पैग़ंबर पर टिप्पणी का बदला है काबुल गुरुद्वारे पर किया गया हमला- इस्लामिक स्टेट

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को एक गुरुद्वारे पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी इस्लामिक स्टेट यानी आईएस ने ली है और कहा है कि यह हमला भारत में पैग़ंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ दिए गए आपत्तिजनक बयान का बदला है.

इस हमले में कम-से-कम तीन लोग मारे गए थे. शनिवार सुबह काबुल में सिखों के आख़िरी बचे हुए गुरुद्वारे करते परवान में कुछ बंदूकधारियों ने पहले गार्ड को मार डाला और फिर परिसर के पास एक कार बम में धमाका किया.

इसके बाद उन्होंने एक सिख श्रद्धालु को मार डाला. तालिबान लड़ाकों ने इसके बाद हमलावरों को रोकने की कोशिश की और ये संघर्ष कई घंटे चला. अधिकारियों के अनुसार लगभग तीन घंटे तक चले संघर्ष में सभी हमलावरों को मार डाला गया.

काबुल पुलिस के प्रवक्ता ख़ालिद ज़रदानी ने तीन लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है. प्रवक्ता के अनुसार हमले में एक सिख व्यक्ति, एक तालिबान अधिकारी और एक अज्ञात हमलावर की मौत हो गई.

काबुल में मौजूद बीबीसी संवाददाता मलिक मुदस्सिर ने बताया कि धमाका और गोलीबारी स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजे शुरू हुई और लगभग 10 बजे तक चलती रही. संवाददाता ने पुलिस सूत्रों और स्थानीय लोगों के हवाले से बताया कि गुरुद्वारे में कुल आठ धमाके हुए.

ये गुरुद्वारा अफ़ग़ानिस्तान में बचा आख़िरी गुरुद्वारा है. अफ़ग़ानिस्तान में सिख समुदाय के लोगों ने हाल ही में बताया था कि वहाँ अभी केवल 140 सिख रह गए हैं, जबकि 1970 के दशक में वहाँ लगभग एक लाख सिख रहा करते थे.

भारत सरकार ने काबुल में गुरुद्वारे पर हमले की निंदा की है. तालिबान ने भी हमले को कायराना कार्रवाई बताया है.

काबुल पुलिस के प्रवक्ता ख़ालिद ज़दरान ने बीबीसी से कहा कि आम नागरिकों को निशाना बनाना हमलावरों के कायराना रवैये को दिखाता है.

उन्होंने कहा, "हमारे कॉमरेडों ने सिख समुदाय के लिए अपनी ज़िंदगी कुर्बान की, उनकी सुरक्षा इस्लामी सरकार के भीतर उनका हक़ है."

इस्लामिक स्टेट ने ली ज़िम्मेदारी

हमले के बाद इस्लामिक स्टेट ने एक बयान जारी कर इसकी ज़िम्मेदारी ली और बताया कि हमला कैसे हुआ.

तालिबान ने एक संदेश में कहा कि उसके हमलावर ने बंदूक़ और हैंड ग्रेनेंड से गुरुद्वारे में सिख और हिंदू श्रद्धालुओं पर हमला बोला जिसमें कथित तौर पर 20 तालिबानी सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं या घायल हुए हैं. उसने दावा किया है कि हमले में कुल 50 लोग हताहत हुए. हालाँकि स्थानीयी मीडिया में ये संख्या बहुत कम बताई गई है.

आईएस ने हमलावर की पहचान अबू मोहम्मद अल-ताजिकी के तौर पर की है और उसकी एक तस्वीर भी जारी की है. इस नाम से ऐसा लगता है कि हमलावर मूलतः ताजिक शख़्स था.

आईएस ने बताया कि इसके बाद घटनास्थल पर तालिबान के सुरक्षाकर्मी पहुँचे और उनका मुक़ाबला करने के लिए उनके चरमपंथियों ने विस्फोटकों का इस्तेमाल किया और एक कार बम धमाका किया जिससे कई तालिबान लड़ाके हताहत हुए.

'पैग़ंबर पर टिप्पणी का बदला'

आईएस ने एक प्रोपेगैंडा वेबसाइट अमक़ पर एक संदेश पोस्ट किया है जिसमें लिखा है कि शनिवार का हमला हिंदू, सिखों और उनको सुरक्षा देने वाले 'धर्मत्यागियों' के ख़िलाफ़ था.

उसने लिखा है कि 'यह हरकत अल्लाह के पैग़ंबर को समर्थन के लिए था.'

आईएस ने कहा कि उनका एक लड़ाका 'काबुल में हिंदू और सिख बहुदेववादियों के मंदिर में घुस गया, उसके गार्ड को मारने के बाद उसने मूर्तिपूजकों के ख़िलाफ़ मशीन गन और हैंड ग्रेनेड से हमला शुरू कर दिया.'

बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैग़ंबर मोहम्मद पर एक विवादित बयान दिया था जिसकी दुनियाभर में निंदा हुई है. बीजेपी की प्रवक्ता के बयान के बाद कई मुस्लिम देशों में इस बयान की निंदा की गई थी.

तालिबान और इस्लामिक स्टेट

अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने भी नूपुर शर्मा की टिप्पणी की निंदा करते हुए भारत सरकार के इस दिशा में कार्रवाई की अपील की थी.

तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने 6 जून को ट्वीट कर लिखा था- "हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वो 'ऐसे धर्मांध लोगों को इस्लाम का अपमान करने और मुसलमानों की भावनाओं को आहत करने से रोके."

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की तुलना में इस्लामिक स्टेट का प्रभाव बहुत कम है और देश के किसी हिस्से पर उनका नियंत्रण नहीं है. मगर अफ़ग़ानिस्तान में हुए कई बड़े हमलों में उनका हाथ रहा है.

बीबीसी संवाददाता सिकंदर किरमानी के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता में वापस आने और उनके चरमपंथ को छोड़ दने के बाद हिंसा में नाटकीय रूप से कमी आई है, मगर इस्लामिक स्टेट की वजह से तालिबान के देश में सुरक्षा क़ायम करने के संकल्प को पूरा करने में बाधा आ रही है.

अफ़ग़ानिस्तान में सिख

अफ़ग़ानिस्तान में एक समय में बड़ी संख्या में सिख और हिंदू अल्पसंख्यक रहा करते थे, मगर वहाँ दशकों तक चली लड़ाइयों के बीच उनकी संख्या लगातार घटती गई.

हाल के वर्षों में, इस्लामिक स्टेट ने वहाँ बचे हुए सिख लोगों पर कई बार हमले किए हैं.

2018 में एक आत्मघाती बम हमलावर ने जलालाबाद शहर में सिख लोगों की एक सभा पर आत्मघाती बम हमला हुआ था. 2020 में एक और गुरुद्वारे पर हमला हुआ था.

शनिवार को हमले का निशाना बने गुरुद्वारे के पास रहने वाले सुखबीर सिंह खालसा ने बीबीसी संवाददाता सिकंदर किरमानी को बताया कि जलालाबाद में जब हमला हुआ था तब यहाँ लगभग 1500 सिख थे, इसके बाद लोगों ने सोचा कि हम यहाँ नहीं रह सकते.

वो कहते हैं, "2020 के हमले के बाद और लोगों ने देश छोड़ दिया, और पिछले साल जब तालिबान यहाँ सत्ता में आए तो यहाँ 300 से कम सिख रह गए थे, अब ये संख्या घटकर लगभग 150 रह गई है."

"हमारे सभी ऐतिहासिक गुरुद्वारों को शहीद कर दिया गया, और अब जो एक बचा रहा गया था, उसे भी शहीद कर दिया गया."

सुखबीर खालसा कहते हैं कि उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि वो उन्हें वीज़ा दे क्योंकि "अब वो वहाँ नहीं रहना चाहते".

वो बताते हैं, हम जो यहाँ बचे रह गए हैं, "वो इसलिए क्योंकि हमारे पास वीज़ा नहीं है, वरना कोई यहाँ नहीं रहना चाहता. जो आज हुआ, वो कल भी होगा, बार-बार होगा."

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