यूक्रेन पर रूस का हमला: क्या यूक्रेन पर परमाणु हमला कर सकता है रूस?

    • Author, गॉर्डन कोरेरा
    • पदनाम, सिक्यूरिटी संवाददाता, बीबीसी न्यूज़

यूक्रेन पर आक्रमण के तुरंत बाद ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश के परमाणु हथियार को तैनात करने का आदेश दिया था.

इससे ये ख़तरा पैदा हुआ है कि रूस सीमित परमाणु हथियारों या 'टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन' का इस्तेमाल कर सकता है. इसका मतलब ये है कि परमाणु युद्ध तो नहीं होगा लेकिन अपने आप में ये घटनाक्रम अहम है.

टेक्टिकल परमाणु हथियार क्या होते हैं? टेक्टिकल न्यूक्लियर ऐसे परमाणु हथियार होते हैं जिन्हें सीमित या छोटे दायरे में इस्तेमाल किया जा सकता है.

ये रणनीतिक यानी स्ट्रेटेजिक परमाणु हथियारों से भिन्न होते हैं. शीत युद्ध के दौरान, ये ऐसे परमाणु बम थे जिन्हें दोनों महाशक्ति देश अमेरिका और रूस एक दूसरे पर लंबी दूरी से मार सकते थे.

हालांकि टेक्टिकल वेपन की श्रेणी में ऐसे कई तरह के हथियार आते हैं जिन्हें जंग के मैदान में इस्तेमाल किया जा सकता है. इनमें छोटे बम और मिसाइलें भी शामिल हैं.

रूस के पास किस तरह के टेक्टिकल परमाणु हथियार हैं?

माना जाता है कि रूस के पास दो हज़ार तक टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन हो सकते हैं. इन्हें कई तरह कि मिसाइलों और आम तौर पर पारंपरिक विस्फोटक ले जाने वाली मिसाइलों पर तैनात किया जा सकता है.

इन्हें लड़ाई के मैदान में तोप से गोले की तरह भी दागा जा सकता है.

इन हथियारों से लड़ाकू विमानों और युद्धपोतों से लांच करने के लिए भी डिज़ाइन किया गया है. उदाहरण के तौर पर किसी पनडुब्बी से लांच किया जाने वाला टॉरपिडो.

माना जाता है कि ये टेक्टिकल परमाणु हथियार रूस के हथियार भंडारों में हैं और अभी इन्हें लड़ाई के मैदान में तैनात नहीं किया गया है.

लेकिन एक चिंता ये गहराती जा रही है कि रूस स्ट्रेटेजिक परमाणु हथियारों के बजाए टेक्टिकल परमाणु हथियार इस्तेमाल करने का अधिक इच्छुक हो सकता है.

चैटम हाउस थिंकटैंक के अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रम की प्रमुख डॉ. पैट्रीसिया लुइस कहती हैं, "वो इसे बड़े परमाणु थ्रैसहोल्ड को लांघना नहीं मानेंगे बल्कि इसे वो अपनी पारंपरिक सेना का हिस्सा मानेंगे."

ये हथियार कितने शक्तिशाली हैं?

अलग-अलग टेक्टिकल परमाणु हथियारों की क्षमता और आकार अलग-अलग होता है.

सबसे छोटा एक किलोटन (एक हज़ार टन टीएनटी विस्फोटक के बराबर) या उससे भी कम क्षमता का हो सकता है जबकि बड़ा टेक्टिकल परमाणु हथियार सौ किलोटन तक का हो सकता है.

हालांकि ऐसे परमाणु हथियार का असर परिस्थितियों पर निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर वो ज़मीन से कितनी ऊपर फटा, हथियार का साइज़ क्या था और स्थानीय पर्यावरण कैसा है.

इसकी तुलना में हिरोशिमा में 146000 से अधिक लोगों की जान लेने वाला परमाणु बम 15 किलोटन का था.

रूस के पास जो सबसे बड़े स्ट्रेटेजिक परमाणु हथियार हैं उनकी क्षमता 800 किलोटन तक मानी जाती है.

क्या पुतिन का बयान चिंता का विषय है?

राष्ट्रपति पुतिन रूस के परमाणु हथियारों का ज़िक्र एक से अधिक बार कर चुके हैं और इसका एक संकेत ये है कि वो डर का माहौल पैदा करना चाहते हैं.

अमेरिकी ख़ुफ़िया अधिकारी इसे पश्चिम के लिए यूक्रेन में अधिक दख़ल ना देने के एक संकेत के तौर पर देखते हैं, ना कि उनके परमाणु युद्ध की तैयारी करने के तौर पर.

लेकिन अन्य विश्लेषकों की चिंता है कि भले ही इसकी संभावना बेहद कम हो लेकिन हो सकता है कि रूस कुछ विशेष परिस्थितियों में यूक्रेन में सीमित क्षमता वाला टेक्टिकल परमाणु हथियार इस्तेमाल करने पर विचार कर रहा हो.

हार्वर्ड केनेडी स्कूल में बेलफेर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफ़ेयर्स की परमाणु विशेषज्ञ डॉ. मारियाना बुयेर्न ने ट्वीट किया, "पुतिन एक संतुलित-असंतुलित दुनिया में सहज है, जिसमें पश्चिमी देश उनकी परमाणु धमकियों से डर जाएं. मानों नेटों का अरबों डॉलर का परमाणु कार्यक्रम काग़ज़ी शेर के अलावा कुछ ना हो."

रूस की रणनीति

अमेरिकी ख़ुफ़िया अधिकारी मानते हैं कि नेटो से संघर्ष की स्थिति में रूस के पास एक नीति है जिसे 'एस्केलेट टू डी-एस्केलेट' कहा जाता है यानि 'तनाव कम करने के लिए तनाव को बढ़ाया जाए.'

इस नीति के तहत रूस कुछ ना कुछ नाटकीय करेगा जैसे जंग के मैदान में टेक्टिकल परमाणु हथियार का इस्तेमाल या फिर कहीं कोई बड़ा प्रदर्शन या ऐसा करने की धमकी.

ऐसा करने से रूस दूसरे पक्ष को पीछे हटने के लिए डरा सकता है.

चिंता इस बात की है कि यदि पुतिन को लगता है कि यूक्रेन में उनकी रणनीति नाकाम हो रही है, ऐसी परिस्थिति में वो हालात को बदलने के लिए भी टेक्टिकल हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं. हार से बचने या गतिरोध समाप्त करने के लिए भी वो ऐसा कर सकते हैं.

हालांकि उनके ऐसा करने के लिए या रूस में या फिर यूक्रेन में हालात को और अधिक ख़राब होना होगा.

वॉशिंगटन डीसी में कार्नेगी एनडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस से जुड़े परमाणु विशेषज्ञ जेम्स एक्टन कहते हैं, "मैं इस बात को लेकर चिंतित हूं कि उन परिस्थितियों में पुतिन परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं. उनके यूक्रेन में परमाणु हथियार के इस्तेमाल की संभावना ज्यादा है, ऐसा करके वो लोगों को डरा देंगे और अपने लिए रास्ता साफ़ करेंगे. हालांकि अभी हम उस स्थिति में नहीं पहुंचे हैं."

वहीं किंग्स कॉलेज लंदन के परमाणु विशेषज्ञ डॉ. हेथर विलियम्स कहते हैं कि एक समस्या ये है कि पुतिन के लिए यूक्रेन में जीत क्या है ये अभी स्पष्ट नहीं है. ऐसे में ये भी असपष्ट है कि रूस यूक्रेन में किन परिस्थितियों में परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेगा.

रूस के लिए क्या है ख़तरा?

पुतिन ये दावा करते हैं कि यूक्रेन रूस का ही हिस्सा है ऐसे में अपनी ही ज़मीन पर परमाणु बम का इस्तेमाल करना अजीब हो सकता है. पैट्रीशिया लुइस कहती हैं कि रूस यूक्रेन का पड़ोसी देश है ऐसे में परमाणु हथियार का असर सीमाएं भी पार कर सकता है.

आज तक युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ़ एक बार दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ है. तब अमेरिका ने जापान के शहरों पर परमाणु बम गिराए थे. सवाल ये भी है कि क्या पुतिन दुनिया के ऐसे नेता बनना चाहेंगे जिन्होंने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल फिर से शुरू किया.

कुछ विश्लेषकों की चिंता है कि पुतिन ने अब तक उन कामों को करने की इच्छा दिखाई है जिन्हें लेकर दूसरे लोग ये मानते रहे थे कि वो ऐसा नहीं कर पाएंगे. चाहें फिर वो यूक्रेन पर आक्रामण हो या सेल्सबरी में नर्व एजेंट का इस्तेमाल हो.

वहीं डॉ. विलियम्स कहते हैं कि रूस के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न करने की एक और वजह हो सकती है और वो है चीन.

वो कहते हैं, "रूस चीन के सहयोग पर निर्भर है लेकिन चीन पहले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल ना करने की नीति पर चलता है. यदि पुतिन टेक्टिकल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करते हैं तो चीन के लिए उनके साथ खड़े रह पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा. यदि पुतिन परमाणु हथियार चलाते हैं तो वो चीन का समर्थन गंवा देंगे."

क्या छिड़ जाएगा परमाणु युद्ध ?

अभी कोई नहीं जानता है कि टेक्टिकल परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से हालात कहां तक पहुंचेंगे. तनाव बढ़ भी सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि पुतिन इनका इस्तेमाल ही ना करना चाहें. लेकिन ऐसी परिस्थितियों में कोई भी चूक भारी साबित हो सकती है.

पैट्रीशिया लुइस कहती हैं, "वो ये कल्पना कर रहे होंगे की सब झुक जाएंगे लेकिन होगा ये कि नेटो को प्रतिक्रिया देने के लिए आगे आना होगा."

अमेरिका का कहना है कि वो हालात पर नज़दीकी नज़र रखे हुए है.

अमेरिका के पास रूस की परमाणु गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए एक विस्तृत खुफ़िया नेटवर्क है. उदाहरण के तौर पर अगर टेक्टिकल परमाणु हथियारों को भंडारस्थ स्थान से निकाला जाएगा तो अमेरिका को पता चल जाएगा. इसके अलावा यदि लांच साइट पर कोई बदलाव होता है तो वो भी अमेरिका को पता चल जाएगा.

अमेरिकी ख़ुफ़िया अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अभी तक कुछ ऐसा नहीं देखा है जो चिंता की बात हो. परमाणु हमले के ख़तरे की स्थिति में अमेरिका और नेटो क्या प्रतिक्रिया देंगे इसकी परिकल्पना अभी मुश्किल है.

हो सकता है कि वो परिस्थितियों को और जटिल ना करना चाहें और पूर्ण परमाणु युद्ध ना चाहें लेकिन वो एक रेखा तो खींचना चाहेंगे ही. इसका मतलब ये है कि पश्चिम पारंपरिक तरीके से मज़बूत प्रतिक्रिया दे, लेकिन ऐसा हुआ तो रूस क्या करेगा?

जेम्स एक्टन कहते हैं, "एक बार आप परमाणु हमले की सीमा को लांघ देते हैं तो फिर रुकने की कोई जगह नहीं रह जाती है."

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