गेहूं, तेल, गैस... वो चार चीजें जो रूस और यूक्रेन दुनिया को सप्लाई करते हैं

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न सिर्फ पश्चिमी प्रतिबंधों बल्कि यूक्रेन पर रूसी हमलों से सप्लाई चेन में आई दिक्कतों ने भी कमोडिटी बाजार में चीजों के दाम बढ़ा दिए हैं. यूक्रेन पर रूसी हमलों के बाद उस इलाके से धातुओं और अनाजों की सप्लाई में रुकावट आई है. कई पश्चिमी देश पहले ही रूसी तेल और गैस के आयात पर प्रतिबंध लगा चुके हैं.
दरअसल, रूस और यूक्रेन दुनिया के कमोडिटी बाजार में बड़ी रणनीतिक भूमिका अदा करते हैं.
दोनों देश बेसिक रॉ मैटेरियल के बड़े निर्यातक हैं. गेहूं से लेकर तेल, गैस, कोयला के अलावा दूसरी बेशकीमती धातुओं के ये बड़े सप्लायर हैं.
लेकिन रूस और यूक्रेन की लड़ाई की वजह से इन चीजों की सप्लाई बाधित हो रही है. इससे कोविड से उबर रही दुनिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने की आशंका पैदा हो गई है.
बहरहाल, चार ऐसी चीजें हैं, जिनकी सप्लाई लंबे समय तक बाधित रही तो विश्व अर्थव्यवस्था के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है.

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तेल-गैस
रूस की अर्थव्यवस्था का बड़ा दारोमदार कच्चे तेल और गैस के निर्यात पर टिका है. यूक्रेन पर हमले से पहले दुनिया में इस्तेमाल होने वाले हर दस बैरल में से एक बैरल कच्चा तेल रूस का हुआ करता था. लेकिन अब युद्ध की वजह से अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन ने रूसी तेल और गैस के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि लड़ाई की वजह से तेल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि रूस एक दिन में 50 लाख गैलन तेल निर्यात करता है. सप्लाई रुकने से ग्लोबल मार्केट में इसकी भरपाई मुश्किल है.
तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के सेक्रेट्री जनरल मोहम्मद बारकिन्डो ने कहा है रूसी उत्पादन की भरपाई मुश्किल है.
जो देश रूस से कम तेल का आयात करते हैं वे भी दिक्कत महसूस कर रहे हैं. ग्लोबल मार्केट में तेल के दाम और बढ़ सकते हैं.
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खाद्यान्न और खाद्य तेल
रूस और यूक्रेन दोनों खाद्यान्न और खाद्य तेल समेत दूसरे खाद्य पदार्थों के बड़े निर्यातक हैं.
दोनों देश यूरोप के 'ब्रेड बास्केट' कहे जाते हैं. दुनिया के बाजार में आने वाले गेहूं में 29 और मक्के में 19 फीसदी की हिस्सेदारी यूक्रेन और रूस की है.
सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा उत्पादक यूक्रेन है. रूस का नंबर दूसरा है. एसएंडपी ग्लोबल प्लैट्स के मुताबिक दोनों मिल कर सूरजमुखी तेल के उत्पादन में 60 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं. लेकिन लड़ाई की वजह से कुछ फ्यूचर एक्सचेंजों में तो कमोडिटी के भाव 14 साल के शिखर पर पहुंच गए.
विशेषज्ञों का कहना है कि लड़ाई की वजह से अनाज के उत्पादन पर असर पड़ेगा. अगर रूस और यूक्रेन की लड़ाई की वजह से सप्लाई बाधित हुई तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें दोगुनी हो सकती है.
तुर्की और मिस्र अपनी जरूरत का 70 फीसदी गेहूं रूस और यूक्रेन से आयात करते हैं. यूक्रेन चीन का प्रमुख मक्का सप्लायर है.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के डायरेक्टर डेविड बेसले ने बीबीसी से कहा कि लड़ाई की वजह से दुनिया भर में खाद्य पदार्थों के दामों में आने वाली तेजी दुनिया के गरीब देशों पर काफी भारी पड़ेगी.

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मेटल
रूस एल्यूमीनियम से लेकर तांबा और कार बनाने में इस्तेमाल होने वाले मेटल्स का बड़ा निर्यातक है.
यह दुनिया का चौथा बड़ा एल्यूमीनियम निर्यातक है. यह स्टील, निकेल, पैलेडियम और कॉपर के शीर्ष पांच निर्यातकों में शामिल है.
यूक्रेन इंडस्ट्रियल मेटल्स का भी बड़ा उत्पादक है. पैलेडियम और प्लेटिनम के निर्यात बाजार में भी इसकी अहम हिस्सेदारी है.
इसका मतलब ये कि आने वाले दिनों में एल्यूमीनियम के डिब्बों में मिलने वाली चीजें और कॉपर के तार महंगे हो जाएंगे.
लंदन मेटल एक्सचेंज के डायरेक्टर मैथ्यू चैंबरलेन ने बीबीसी से कहा, "इस साल की शुरुआत से अब तक एल्यूमीनियम और निकेल के दाम 30 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. इसका असर नीचे तक जाएगा क्योंकि इससे एल्यूमीनियम के डिब्बे में बिकने वाले पेय पदार्थ महंगे हो जाएंगे. कॉपर वायरिंग महंगी हो जाएगी."
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक रूस ऑस्ट्रेलिया और चीन के बाद गोल्ड का तीसरा बड़ा उत्पादक देश है. पिछले साल रूस ने 350 टन सोने का उत्पादन रूस ने किया था. पिछले कुछ समय से गोल्ड के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ते जा रहे हैं. अगर रूस यूक्रेन लड़ाई जारी रही तो दाम और बढ़ सकते हैं.
रूस और यूक्रेन से सप्लाई होने वाले निकेल और पैलेडियम भी महंगे हो सकते हैं. पैलेडियम की सप्लाई बाधित हुई तो दुनिया भर के वाहन निर्माता कंपनियों के सामने मुश्किलें आ सकती हैं. निकेल का इस्तेमाल लिथियम-आयरन बैटरी बनाने में होता है. मार्च की शुरुआत में इसकी कीमत 76 फीसदी बढ़ गई.
पैलेडियम भी महंगा हो रहा है. इसका इस्तेमाल कार में कैटेलिक कन्वर्टर बनाने में होता है. दुनिया भर में पैलेडियम उत्पादन में 38 फीसदी हिस्सेदारी रूस की है.

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नियॉन
यूक्रेन क्रिप्टोन और नियॉन जैसी शुद्ध गैसों का प्रमुख सप्लायर है. नियॉन का इस्तेमाल सेमीकंडक्टर बनाने में होता है. यह कार बनाने में काम आता है.
ट्रेंडफोर्स डेटा के मुताबिक पूरी दुनिया में निर्यात होने वाली शुद्ध नियॉन गैस में यूक्रेन की हिस्सेदारी लगभग 70 फीसदी है.
अमेरिकी में चिप इंडस्ट्री जितनी नियॉन गैस का इस्तेमाल करती है, उसका 90 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सा यूक्रेन से आता है.
इस सप्लाई में बाधा आई तो माइक्रोचिप की भारी कमी पैदा हो सकती है. पिछले साल से ही माइक्रोचिप की सप्लाई घट गई है.
मूडीज एनालिटिक्स के टिम यूवाई ने हाल में एक रिपोर्ट में लिखा, "रूस दुनिया का 40 फीसदी पैलेडियम की सप्लाई करता है यूक्रेन दुनिया में सप्लाई होने वाली नियॉन सप्लाई में 70 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है. अगर लड़ाई और तेज हुई तो दुनिया भर में चिप की किल्लत और बढ़ सकती है."
जून 2014-15 में भी जब क्राइमिया को लेकर यूक्रेन में लड़ाई हो रही थी तो नियॉन की कीमतें कई गुना बढ़ गई थी. इससे पता चलता है कि सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए संकट कितना गंभीर है."
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