यूक्रेन संकट: दुनिया पर दिखने लगा असर, तेल के दाम 2008 के बाद सबसे ज़्यादा

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अमेरिका ने कहा कि वो रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विचार कर रहा है. इसके बाद तेल की क़ीमतें आसमान छूने लगी हैं. साल 2008 के बाद से पहली बार है जब तेल की क़ीमत इतनी बढ़ी हो.
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बिकने वाले ब्रेंट क्रूड (कच्चे तेल) की क़ीमत 139 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई. हालांकि फिर ये थोड़ी गिरकर 130 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है.
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद आपूर्ति बंद होने की आशंकाओं के बीच ऊर्जा बाज़ार में भी अफरा-तफ़री सा माहौल हो गया है.
बढ़ी क़ीमतों का असर उपभोक्ताओं पर भी होने लगा है क्योंकि ईंधन से लेकर घर के बिजली बिल तक में बढ़ोतरी होने लगी है.
सोमवार को एशियाई शेयर बाज़ार में मंदी देखी गई. जापान के निक्केई और हॉन्ग-कॉन्ग के हैंग सेंग सूचकांक में तीन प्रतिशत तक की गिरावट आई है.
भारतीय शेयर बाज़ार पर भी यूक्रेन के संकट का गंभीर असर देखने को मिल रहा है. सोमवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स में क़रीब 1500 अंकों की बड़ी गिरावट आई है.
रविवार को अमेरिकी विदेश मंत्री ऐंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि बाइडन प्रशासन और उसके सहयोगी देश रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विचार कर रहे हैं.
इसके बाद अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने कहा कि प्रशासन रूसी तेल के आयात पर रोक लगाने के लिए क़ानून लाने पर "विचार" कर रहा है. उन्होंने ये भी बताया कि अमेरिकी संसद इस सप्ताह यूक्रेन को 10 अरब डॉलर की मदद का एलान कर सकती है.

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और कठोर प्रतिबंधों का हो सकता है एलान
एक पत्र में नैन्सी पेलोसी ने कहा, "सदन फ़िलहाल ऐसे कठोर क़ानून के बारे में विचार कर रहा है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था से रूस को अलग-थलग कर सके."
ये बयान ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर पहले से ज़्यादा कठोर प्रतिबंध लगाने के लिए व्हाइट हाउस और अन्य पश्चिमी देशों पर दबाव बढ़ गया है.

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रूस पर नए प्रतिबंधों के संभवतः वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बड़े परिणाम देखने को मिल सकते हैं.
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद वैश्विक बाज़ारों में तेल की क़ीमत के ख़तरे की वजह से बीते सप्ताह ब्रेंट क्रू़ड की क़ीमत 20 फ़ीसदी से ज़्यादा बढ़ गई.
दुनियाभर के उपभोक्ताओं की जेब पर हाल के दिनों में बढ़ी क़ीमतों का बोझ नज़र आने लगा है.
पेट्रोल की क़ीमतों में तेज़ी
रविवार को अमेरिकन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ने कहा था कि अमेरिकी पेट्रोल पंपों पर बीते हफ़्ते क़ीमतों में 11 फ़ीसदी का इज़ाफा हुआ जो कि जुलाई 2008 के बाद सबसे ज़्यादा है.

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रॉयल ऑटोमोबाइल क्लब (आरएसी) के मुताबिक़, पेट्रोल की औसत क़ीमत में 1.50 पाउंड की बढ़ोतरी हुई है.
इस बीच यूक्रेन संकट की वजह से बढ़ी गैस की क़ीमतों ने भी चिंता बढ़ा दी है. माना जा रहा है कि ब्रिटेन में लोगों के सालाना बिजली बिल 3000 पाउंड तक पहुंच सकता है.
रूस की ओर से आपूर्ति में कमी आने की आशंकाओं के बीच हाल के दिनों में यूरोप और ब्रिटेन में गैस की क़ीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं.
रूस से कच्चा तेल ख़रीदने को मजबूर कंपनियां
रविवार को ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी 'शेल' ने यूक्रेन पर आक्रमण के बावजूद रूस से कच्चे तेल की ख़रीदारी के अपने फ़ैसले को सही ठहराया.
कंपनी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि रियायती दरों पर ईंधन ख़रीदने का फ़ैसला "मुश्किल" था.
कंपनी ने ये बताया कि उसने रूस से शुक्रवार को कच्चा तेल ख़रीदा है. कंपनी ने कहा कि उसके पास कोई विकल्प नहीं था.
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ऊर्जा कंपनियों पर बरसते हुए ट्विटर पर पूछा, "क्या रूस के तेल से आपको यूक्रेनियों के खून की गंध नहीं आती?"
भारत में तेल के दाम बीते कुछ हफ़्तों से स्थिर बने हुए हैं. जानकारों का मानना है कि ऐसा पांच राज्यों में हो रहे चुनाव की वजह से है.
कई बाज़ार विशेषज्ञों के मुताबिक़ यूक्रेन संकट की जो मार शेयर बाज़ार पर नज़र आ रही है वो तेल की क़ीमतों पर भी नज़र आएगी ही. आने वाले समय में भारत में पेट्रोल-डीज़ल और गैस के दाम बढ़ सकते हैं.
और ऐसा होने पर दूसरी ज़रूरी चीज़ों की क़ीमतों पर भी असर होगा.

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रूस से संबंध तोड़ती कंपनियां
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वैश्विक ब्रैंड्स यूक्रेन के संकट की वजह से रूस से संबंध तोड़ रहे हैं.
बीते सप्ताह, वीडियो शेयरिंग ऐप टिक-टॉक ने कहा कि उसने रूस में लाइवस्ट्रीमिंग और नए कंटेंट पर रोक लगा दी है. कंपनी ने कहा कि ये फ़ैसला "फ़ेक न्यूज़" पर कार्रवाई को लेकर रूस के नए क़ानून को लेकर लिया है.
इस बीच ओटीटी दिग्गज नेटफ़्लिक्स ने भी कहा है कि यूक्रेन पर आक्रमण की वजह से वो रूस में अपनी सेवा बंद कर रही है.
वीज़ा, मास्टरकार्ड भी पश्चिम देशों की उन कंपनियों की फ़ेहरिस्त में शामिल हैं जिन्होंने रूस में काम बंद कर दिया है.
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