रूस ने अगर यूक्रेन पर हमला कर दिया तो क्या होगा?

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- Author, जोनाथन बीले
- पदनाम, रक्षा संवाददाता, बीबीसी न्यूज़
पश्चिम के एक वरिष्ठ ख़ुफ़िया अधिकारी ने चेतावनी दी है कि रूस ने यदि यूक्रेन पर हमला करने का फ़ैसला किया तो यह संघर्ष पूरे यूरोप में फैल सकता है.
बीबीसी के और दूसरे पत्रकारों से बात करते हुए इस अधिकारी ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया, "हमें अंधा नहीं रहना है. यदि रूस किसी भी तरह का कारनामा करता है तो वह नेटो सदस्यों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करेगा. यह सोचना कि यह लड़ाई केवल एक देश तक सिमटी रहेगी, तो मूर्खता होगी."
ब्रिटेन के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी चीफ़ ऑफ डिफ़ेंस स्टाफ़ ने भी इन्हीं चिंताओं को जाहिर किया है.
एडमिरल सर टोनी राडाकिन ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा था कि पूर्ण आक्रमण के लिहाज से इससे भी ख़राब हालात दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में नहीं देखे गए होंगे. यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों के जुटान को उन्होंने "अत्यंत चिंताजनक" क़रार दिया.
अमेरिका और उसके नेटो सहयोगियों की चेतावनी कि यूक्रेन पर रूस के किसी भी हमले के "गंभीर आर्थिक परिणाम" होंगे, यूक्रेन की सीमा पर रूस की सेना का जुटान जारी है.
इस हालात के बारे में उन ख़ुफ़िया अधिकारी ने कहा कि ऐसा अचानक नहीं बल्कि "लगातार" हुआ है.
पश्चिमी देशों की ख़ुफ़िया संस्थाओं का अनुमान है कि यूक्रेन की सीमा पर टैंकों और तोपों के साथ रूस के अभी 1,00,000 सैनिक तैनात हैं. अमेरिका का मानना है कि जनवरी के अंत तक इसकी संख्या 1,75,000 तक बढ़ सकती है.
पश्चिम के उन रक्षा अधिकारी ने कहा कि यदि रूस ने अभी हमला करने का फ़ैसला किया तो वो ऐसा कर सकता है. उन्होंने ये भी बताया कि यूक्रेन की सीमा पर रूसी सेना को अब भी कई अहम चीज़ों की बड़े पैमाने पर ज़रूरत है, जैसे कि पूर्ण लॉजिस्टिकल मदद, गोला-बारूद, फील्ड अस्पताल और ब्लड बैंक.
इन खुफ़िया अधिकारी ने रूसी सेना के जुटान को "धीमी गति से" और "धीरे धीरे दबाव बढ़ाने वाला" क़रार दिया. अमेरिकी अधिकारियों ने रूस के सोशल मीडिया पर "दुष्प्रचार" में हो रही बढ़ोतरी की ओर भी ध्यान दिलाया है.

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कैसी होगी ये लड़ाई?
उन ख़ुफ़िया अधिकारी के अनुसार, रूस ने यदि यूक्रेन पर हमला किया तो बड़े पैमाने पर लोग विस्थापित हो सकते हैं. उन्होंने बताया, "यूक्रेन में तबाही होने के चलते शरणार्थियों और मरने वालों की संख्या के बहुत अधिक होने का अनुमान है."
2014 में पूर्वी यूक्रेन में हुई लड़ाई में पहले ही 14,000 लोग मारे गए थे और क़रीब 14 लाख विस्थापित हुए.
ख़ुफ़िया अधिकारी ने ये भी बताया कि इस कार्रवाई में रूस, नेटो के सदस्य देशों के ख़िलाफ़ साइबर और हाइब्रिड हमले करने के साथ उन पर सीधे हमले भी कर सकता है.
उन्होंने बताया, "यदि यह लड़ाई कहीं और फैल गई तो इन प्रभावों में और विस्तार हो सकता है."
पुतिन का इरादा
पश्चिमी देश रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मंशा को लेकर अब भी स्पष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा, "क्या पुतिन ने संघर्ष शुरू करने का फ़ैसला कर लिया? फ़ैसला होना अभी बाक़ी है."
हालांकि उन ख़ुफ़िया अधिकारी ने चेतावनी दी है कि यदि रूस की मांगें पूरी नहीं होतीं तो "क्रेमलिन की मेज पर सैन्य विकल्पों के होने की संभावना काफ़ी ज़्यादा" है.
ख़ुफ़िया अधिकारी ने कहा कि कई चीज़ों को देखना होगा. इनमें मॉस्को की तीखी बयानबाज़ी, यूक्रेन और नेटो पर उकसाने के आरोप लगाना, पारदर्शिता की कमी और रूस के चिंताजनक ट्रैक रिकॉर्ड के साथ 2014 में उसका क्रीमिया पर क़ब्ज़ा करने का इतिहास शामिल है.
उन्होंने कहा, "इसमें हाल में बेलारूस में हज़ारों प्रवासियों से जुड़े सीमा संकट के साथ काकेशस और अन्य इलाक़ों में अलगाववादियों को रूसी समर्थन भी शामिल है."
उन अधिकारी ने कहा कि हालांकि ये कहना मुश्किल है कि ये सभी मामले रणनीतिक रूप से जुड़े हुए हैं. उनके अनुसार, इससे पता चलता है कि पूर्वी यूरोप के पूर्वी हिस्से में समस्या है.

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रूस की मांगें और उनके राजनयिक हल
अमेरिका और नेटो ने स्पष्ट कर दिया है कि वे संघर्ष से बचने के लिए रूस से बातचीत करना चाहते हैं. मॉस्को भी चाहता है कि बातचीत होती रहे.
इस हफ़्ते के शुरू में बाइडन और पुतिन के बीच की वर्चुअल मीटिंग इस दिशा में एक शुरुआत है. इसके बाद नेटो के अन्य सदस्य देशों के साथ और बातचीत होगी.
हालांकि रूस की मांगें और तथाकथित "लाल रेखाएं" कूटनीति को मुश्किल बना रही हैं. रूस कई मुद्दों पर आश्वासन चाहता है. जैसे कि यूक्रेन कभी नेटो में शामिल नहीं होगा, यूक्रेन में नेटो के सदस्य देशों का कोई स्थायी बल या बुनियादी ढांचा नहीं होगा और रूस की सीमा पर सैन्य अभ्यास को अंज़ाम देने के लिए भी कोई बुनियादी ढांचा नहीं होगा.
हालांकि नेटो ने ज़ोर देकर कहा है कि उनका गठबंधन सुरक्षा की ख़ातिर बना है और वो रूस के लिए ख़तरा नहीं है. इसके साथ ही नेटो ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी राय में एक संप्रभु देश के तौर पर यूक्रेन को अपने निर्णय लेने का अधिकार है. इसके अलावा यूक्रेन के भविष्य पर वो रूस को वीटो देने को तैयार नहीं है.
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