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सऊदी अरब ने मुश्किल में फँसे पाकिस्तान के लिए उठाया बड़ा क़दम
सऊदी अरब से पाकिस्तान को तीन अरब डॉलर का क़र्ज़ शनिवार को मिला.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के वित्तीय सलाहकार शौकत तरीन ने कहा है कि यह क़र्ज़ सऊदी से मिलने वाला आर्थिक पैकेज का हिस्सा है.
पाकिस्तान आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है. बढ़ती महंगाई दर, ख़ाली होता विदेशी मुद्रा भंडार, चालू खाते घाटे का बढ़ता दबाव और पाकिस्तानी मुद्रा रुपए की पतली हालत से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है.
शौकत तरीन ने ट्वीट कर कहा है, ''मैं इस मदद के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और किंग सलमान को धन्यवाद देता हूँ.''
सऊदी अरब ने पाकिस्तान को यह क़र्ज़ एक साल के लिए चार प्रतिशत के ब्याज पर दिया है. इस समझौते पर पिछले महीने हस्ताक्षर हुआ था.
समचार एजेंसी रॉयटर्स से बीएमए कैपिटल के कार्यकारी निदेशक साद हाशमी ने कहा, ''यह अच्छी ख़बर है...इससे पाकिस्तान के ख़ाली होते विदेशी मुद्रा भंडार को राहत मिलेगी और फॉरेक्स मार्केट पर भी असर पड़ेगा.''
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पिछले महीने 24 तारीख़ को कहा था कि उनके पास मुल्क को चलाने के लिए पैसे नहीं हैं और क़र्ज़ बढ़ता जा रहा है.
इमरान ख़ान ने कहा था, ''हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि अपने मुल्क को चलाने के लिए उतना पैसा नहीं है. इसकी वजह से हम क़र्ज़ लेते हैं.''
इमरान ख़ान ने कहा था, ''6 हज़ार ट्रिलियन से पाकिस्तान का क़र्ज़ 10 सालों में बढ़कर 30 ट्रिलियन रुपए हो गया. ये कैसे हुआ? कोई इन्फ़्रास्ट्रक्चर पर बड़ा काम नहीं हुआ है. कोई बड़ा डैम नहीं बना है. उस मुल्क में इतना क़र्ज़ा चढ़ा हुआ है कि हमारी हुकूमत आज तक जूझ रही है.''
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से भी छह अरब डॉलर के क़र्ज़ लेने की बात कर रहा है. पाकिस्तान पहले आईएमएफ़ के हिसाब से अपनी आर्थिक नीतियों को बदलने के लिए तैयार नहीं था
लेकिन अब इस क़र्ज़ को फिर से लेने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने 8.75 फ़ीसदी की ब्याज दर में 150 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की है. नवंबर महीने में पाकिस्तान में महंगाई दर 11.5 फ़ीसदी पहुँच गई थी जो कि अक्टूबर में 9.2 फ़ीसदी थी.
पाकिस्तान में एक डॉलर की क़ीमत 176.77 रुपए हो गई है. इस साल पाकिस्तानी रुपए में अब तक 11 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इसी हफ़्ते पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने डेटा जारी किया था. इस डेटा के अनुसार, पिछले 20 महीनों में महंगाई दर सबसे ज़्यादा 11.5 फ़ीसदी हो गई है. अक्टूबर में तेल की क़ीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि की गई थी.
पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली
नवंबर के आख़िरी हफ़्ते में पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में 24.4 करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी. कुल 1.2 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. यह गिरावट पिछले हफ़्तों से जारी है.
इसी हफ़्ते सर्बिया में पाकिस्तानी दूतावास के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया था. इस ट्वीट में अपने ही दूतावास ने पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली पर निशाना साधा था. हालाँकि बाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने सफ़ाई दी थी कि ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था.
सर्बिया स्थित पाकिस्तानी दूतावास के ट्विटर हैंडल से जो ट्वीट किया था, उसमें लिखा, ''महंगाई पहले की तुलना में सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. इमरान ख़ान आप ये कब तक उम्मीद करते हैं कि हम सरकारी अधिकारी तीन महीने से बिना वेतन के चुपचाप आपके लिए काम करते रहेंगे? हमारे बच्चे पैसे के बिना स्कूल छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. क्या यही नया पाकिस्तान है?''
इसी ट्विटर हैंडल से दूसरा ट्वीट था, ''सॉरी इमरान ख़ान लेकिन हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा है.'' हालांकि, कुछ घंटों बाद दोनों ट्वीट डिलीट कर दिए गए थे.
दूतावासों के पास पैसे नहीं?
लेकिन मसला ट्विटर अकाउंट हैक होने से आगे का लगता है. पाकिस्तानी न्यूज़ वेबसाइट द न्यूज़ ने चार दिसंबर को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें बताया गया है कि अमेरिका स्थित पाकिस्तानी दूतावास के पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि स्टाफ़ को सैलरी मिल सके.
इस रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका स्थित पाकिस्तानी दूतावास में अनुबंध पर काम करने वाले कम से कम पाँच कर्मियों को अगस्त महीने से सैलरी नहीं मिली है. इस रिपोर्ट के अनुसार, पाँच में से एक स्टाफ़, जो कि पिछले 10 सालों से यहाँ काम कर रहा था, उसने सैलरी में देरी के कारण नौकरी छोड़ दी.
द न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, ''पाकिस्तानी दूतावास ने इन स्थानीय कर्मियों को एक साल के अनुबंध पर नियुक्त किया था. अमेरिका की न्यूनतम तनख़्वाह के हिसाब से इन्हें 2000 से 2500 डॉलर प्रति महीने देने होते हैं. दूतावास में नियुक्त स्थानीय कर्मचारी चाहे स्थायी हों या अनुबंध पर उन्हें फॉरन ऑफिस एम्पलॉयी की तरह कोई विशेषाधिकार नहीं मिलते हैं.''
''स्थानीय कर्मियों की नियुक्ति सामान्य तौर पर काउंसलर सेक्शन में वीज़ा, पासपोर्ट, दस्तावेज़ों के सत्यापन के साथ अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानियों को मदद मुहैया कराने के लिए होती है. सूत्रों के अनुसार, इन कर्मियों को वेतन पाकिस्तानी कम्युनिटी वेलफेयर फंड से मिलता है. यह फंड स्थानीय स्तर पर सर्विस फीस से आता है.''
द न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, ''दूतावास से जुड़े लोगों का कहना है कि पाकिस्तानी कम्युनिटी वेलफेयर फंड पिछले साल से ही ख़ाली है क्योंकि इसके पैसे से वेंटिलेटर्स और अन्य मेडिकल उपकरण महामारी के दौरान ख़रीद लिए गए थे. फंड ख़ाली होने के बाद इसका सीधा असर वहाँ काम करने वाले स्थानीय कर्मियों की सैलरी पर पड़ा.''
''इसके बाद स्टाफ़ को सैलरी देने के लिए दूसरे अकाउंट से पैसे क़र्ज़ लेने पड़े. एक दूसरी वजह यह भी बताई जा रही है कि इस्लामाबाद ने वीज़ा सर्विस को ऑनलाइन कर दिया है. स्थानीय कर्मियों ने सैलरी के लिए दूतावास को अक्टूबर में पत्र भी लिखा था. पाकिस्तानी दूतावास इस मुद्दे को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के सामने लगातार उठाता रहा है.''
द न्यूज़ ने इस मामले में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय से भी संपर्क किया तो उसने कहा कि अभी दूतावास में सैलरी से जुड़ी कोई समस्या नहीं है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ''हम हमेशा स्टाफ़ को सैलरी टाइम पर देते हैं लेकिन कई बार अन्य औपचारिकताओं में देरी के कारण सैलरी देने में देरी हो जाती है.''
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