बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों में तोड़फोड़, तीन की मौत

बांग्लादेश
    • Author, प्रभाकर मणि तिवारी
    • पदनाम, कोलकाता से, बीबीसी हिंदी के लिए

बांग्लादेश में एक फ़ेसबुक पोस्ट के कारण भड़की हिंसा के बाद कई दुर्गा पूजा पंडालों में तोड़फोड़ हुई है और कम से कम 150 अल्पसंख्यक परिवारों पर हमले हुए हैं. अधिकारियों ने तीन लोगों की मौत की पुष्टि की है.

बांग्लादेश के कोमिल्ला ज़िले में एक पूजा पंडाल में क़ुरान के कथित अपमान की अफ़वाह के बाद हिंसा भड़की जिसके बाद इलाक़े में भारी तादाद में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया है. पुलिस के मुताबिक, हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई है और दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.

इधर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि मंत्रालय को पूजा पंडालों पर हुए हमले के बारे में जानकारी मिली है.

मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आज एक प्रेस वार्ता में कहा कि बांग्लादेश सरकार ने इस मामले में तुरंत कार्यवाई की है और पुलिसबल तैनात किए हैं. उन्होंने कहा, "ढाका में मौजूद भारतीय हाईकमीशन और भारतीय कंसुलेट, बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ और स्थानीय स्तर पर भी संपर्क में हैं."

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अब तक 10 लोग गिरफ्तार

पुलिस ने कई हिंदू मंदिरों, घरों और दुकानों में तोड़फोड़ के संबंध में दर्ज मामले में अभी तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. स्थानीय समुदाय के नेताओं का कहना है कि क्षेत्र में पहली बार इस तरह की सांप्रदायिक हिंसा की घटना हुई है.

वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक़, बांग्लादेश की 14.9 करोड़ की आबादी में करीब 8.5 फ़ीसदी हिंदू हैं. कोमिल्ला ज़िला समेत वहां के कई और ज़िलों में हिंदू समुदाय के लोगों की बड़ी आबादी है.

पश्चिम बंगाल के कई संगठनों ने बुधवार रात की इस हिंसा की कड़ी निंदा की है. विश्व हिंदू परिषद ने इस मामले की गंभीरता से जाँच की मांग की है.

कोलकाता में दुर्गा पूजा आयोजित करने वाले भारत संघ के सचिव सोमेन भट्टाचार्य कहते हैं, "यह बेहद शर्मनाक है. लेकिन इन दिनों बांग्लादेश में जिस तरह कट्टरता बढ़ रही है उसमें कुछ भी संभव है. सरकार और प्रशासन को पहले से पूजा पंडालों की सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए था. यह कुछ कट्टपंथियों की दंगा भड़काने की साज़िश है."

कोमिल्ला के क़रीब एक गाँव से कोलकाता आने वाले बुजुर्ग सब्यसाची दत्त कहते हैं, "इलाक़े में जाति और धर्म के आधार पर कभी तनाव नहीं रहा. दोनों तबके के लोग एक-दूसरे के त्योहारों में हिस्सा लेते थे. लेकिन अब वहां कट्टर विचारधारा तेज़ी से बढ़ रही है. वहाँ रहने वाले अल्पसंख्यक ख़ुद को बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं." सब्यसाची बांग्लादेश की लड़ाई के समय कोमिल्ला छोड़ कर आ गए थे. उनके कई रिश्तेदार अब भी वहाँ रहते हैं.

रिपोर्टों के मुताबिक़ एक सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया था कि एक पूजा पंडाल में क़ुरान रखकर उसका अपमान किया गया है. इसके बाद चांदपुर के हबीबगंज, चटगाँव के बांसखाली, कॉक्स बाज़ार के पेकुआ और शिवगंज के चापाईनवाबगंज समेत कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी और पंडालों में तोड़फोड़ की गई.

पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा

इमेज स्रोत, PM Tiwari

साज़िश का आरोप

कुछ पूजा पंडालों में दुर्गा की प्रतिमा को भी नुक़सान पहुँचाया गया है.

बांग्लादेश के गृह मंत्री असदुज्जमान ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा है कि सरकार इस घटना को गंभीरता से ले रही है. उनका कहना था, "कोमिल्ला में हमला करने वालों को शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा. यह हमला हिंसा भड़काने की साज़िश का हिस्सा हो सकता है."

बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं ने 13 अक्तूबर को काला दिवस बताते हुए दावा किया है कि हमलावरों ने कई पूजा पंडालों में तोड़फोड़ की और कम से कम 150 परिवारों पर हमले किए.

कोमिल्ला के जिस इलाक़े में यह घटना हुई, वहाँ दशकों से हिंदू और मुसलमान आपसी सद्भाव के साथ रहते आए हैं. मुस्लिम तबके के लोग भी दुर्गा पूजा के दौरान पंडालों में जाते हैं. इसी वजह से यहां रात को पूजा पंडालों में कोई पहरा नहीं होता.

कोमिल्ला महानगर पूजा उद्यापन समिति के महासचिव शिव प्रसाद दत्त ने क़ुरान के कथित अपमान की बात को निराधार बताते हुए कहा है कि किसी ने जानबूझ कर हिंसा भड़काने के लिए ही मामुआ दीघीर पार में बने पूजा पंडाल में चुपके से क़ुरान की एक प्रति रख दी थी. उस समय पंडाल में कोई नहीं था.

ज़िला प्रशासन के एक अधिकारी ने भी नाम न छापने की शर्त पर इसकी पुष्टि की है. उनका कहना था कि पंडाल में क़ुरान रखने के बाद किसी ने उसकी फोटो खींच ली और वीडियो बना कर वहाँ से भाग गया. उसके कुछ देर बाद ही फ़ेसबुक पर क़ुरान के कथित अपमान वाली पोस्ट वायरल हो गई.

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अपील

इस हिंसा के बाद उपजे तनाव के बीच बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल ने ट्विटर के ज़रिए मुसमलान समुदाय से अफ़वाहों पर भरोसा नहीं करने की अपील की है. काउंसिल ने प्रधानमंत्री से वहाँ सेना भेजने की भी मांग की है.

काउंसिल ने कहा है, "हम अपने मुस्लिम भाइयों से अपील करते हैं कि वो अफ़वाहों पर भरोसा न करें. हम क़ुरान का सम्मान करते हैं. दुर्गा पूजा के दौरान पंडाल में क़ुरान रखने की कोई ज़रूरत नहीं है. यह दोनों समुदायों के बीच दंगा भड़काने की साज़िश है. कृपया हिंदुओं और पंडालों पर हमले न करें."

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काउंसिल ने बीते 24 घंटों में हिंसा के मामले में कई अलर्ट और अपडेट साझा किए हैं.

ट्वीट में काउंसिल ने कहा है, "कोमिल्ला में सभी हिंदुओं को सतर्क रहने का निर्देश दिया जा रहा है. एक साथ मंदिर में रहो. हम बांग्लादेश पुलिस से नानुआ दीघीर पार इलाक़े में मदद की अपील कर रहे हैं."

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परिषद ने कहा, "बांग्लादेश के इतिहास में एक निंदनीय दिन. अष्टमी के दिन प्रतिमा विसर्जन के दौरान कई पूजा मंडपों में तोड़फोड़ की गई है. हिंदू अब पूजा मंडप की रखवाली कर रहे हैं. आज पूरी दुनिया ख़ामोश है."

एक अन्य ट्वीट में काउंसिल ने कहा, "बांग्लादेश में हिंदुओं से इतनी नफ़रत क्यों है? बांग्लादेश में हिंदू जन्म से ही रहते हैं. 1971 में जान गँवाने वालों में ज़्यादातर हिंदू थे. बांग्लादेश के हिंदू, मुसलमानों को अपना भाई मानते है. 90 फीसदी मुसलमानों के लिए 8 फीसदी हिंदू समस्या का कारण कैसे हो सकते हैं?"

एक प्रत्यक्षदर्शी काज़ी तमीम ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि "क़ुरान इस तरह रखा था कि सड़क से आने-जाने वाले व्यक्ति को भी ये नज़र आए. इससे स्पष्ट है कि वह किसी की साज़िश थी. उसने फ़ेसबुक पर अपनी एक पोस्ट में पूरी घटना बताई है."

उनका आरोप है कि पहले से हिंसा भड़कने की सूचना के बाद भी पुलिस और प्रशासन ने इसे रोकने के लिए समुचित क़दम नहीं उठाए.

वैसे, बांग्लादेश में सोशल मीडिया पोस्ट से हिंदुओं के ख़िलाफ़ हिंसा भड़कने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले इसी साल मार्च में एक हिंदू व्यक्ति ने इस्लामी संगठन हिफ़ाजत-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना मुफ़्ती मोमिनुल हक़ की आलोचना की थी.

उसके बाद संगठन के कार्यकर्ताओं ने सुनामगंज गाँव में 80 हिंदू परिवारों पर हमले किए थे. नोआगाँव का उक्त हिंदू युवक मौलाना के किसी भाषण से नाराज़ था और उसने अपनी पोस्ट में उसकी आलोचना कर दी थी.

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