डोनाल्ड ट्रंप चीन के वुहान से लैब लीक थ्योरी को क्या राजनीतिक हथियार बना रहे हैं?

डोनाल्ड ट्रंप

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    • Author, तारा मैकेल्वी
    • पदनाम, बीबीसी न्यूज़, ओहायो

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब कोरोना महामारी के मामले में चीन के वुहान शहर से वायरस लीक होने की बात कही थी, तो इसे ख़ारिज कर दिया गया था. लोगों ने इसे साज़िश की एक थ्योरी कह कर ध्यान नहीं दिया था. लेकिन अब इस पर चर्चा होने लगी है.

अमेरिका की बाइडन सरकार ने भी इस मुद्दे पर चीन को घेरा है. इस कारण अब डोनाल्ड ट्रंप वैज्ञानिक सोच में आए इस बदलाव को अपने समर्थकों में ऊर्जा भरने के लिए राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

शनिवार की शाम ओहायो में एक रैली को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि वे सही साबित हुए हैं. ट्रंप ने रैली में अपने उस विचार पर चर्चा की कि चीन के शहर वुहान में कोरोना वायरस को वैज्ञानिक रूप से बनाया गया था.

ट्रंप ने अपने समर्थकों से कहा- मैं कहा था कि ये वुहाने से आया है- ये लैब से आया है. इस रैली में शामिल महिलाओं और पुरुषों ने लाल रंग की ड्रेस पहन रखी थी. कई लोगों ने हैट पहन रखी थी, जिस पर लिखा था- मेक अमेरिका ग्रेट अगेन.

ट्रंप ने कहा कि पहले इस थ्योरी को लोग अलग तरीक़े से देख रहे थे, लेकिन अब वे भी कह रहे हैं कि इसकी ज़्यादा संभावना है कि वायरस वुहान लैब से ही आया था. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने जब पहली बार ऐसा कहा था तो इस थ्योरी का मज़ाक उड़ाया गया था. लेकिन अब ऐसा नहीं है.

कुछ महीने पहले तक वॉशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्क टाइम्स और अन्य मीडिया संगठनों के पत्रकारों ने लैब लीक थ्योरी को ख़ारिज कर दिया था. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी ऐसा ही किया था. वर्ष 2020 के अप्रैल में जब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे, उस समय उन्होंने कहा था कि लोग लैब लीक थ्योरी पर क़रीबी से नज़र रख रहे हैं.

उस समय कोरोना वायरस ने अमेरिका में तबाही मचाई हुई थी. अमेरिका में अभी तक कोरोना वायरस के कारण छह लाख से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है. अब भी ये वायरस पूरी दुनिया में फैला हुआ है और कई देशों में स्थिति काफ़ी भयावह बनी हुई है.

लैब लीक थ्योरी

वुहान लैब

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अभी तक वायरस की उत्पत्ति का पता नहीं चल पाया है. लैब लीक थ्योरी भी अभी तक साबित नहीं हुई है. फिर भी कई लोगों के लिए ये थ्योरी मुमकिन दिखने लगी है, क्योंकि अन्य संभावनाओं को लेकर कोई सबूत नहीं मिले हैं.

इस साल मई में अमेरिकी मीडिया में ये बात फैलने लगी कि अमेरिका की एक गुप्त ख़ुफ़िया रिपोर्ट के मुताबिक़ नवंबर 2019 में चीन के वुहान लैब के तीन शोधकर्ताओं का अस्पताल में इलाज हुआ है. ये वुहान में लोगों में वायरस फैलने से ठीक पहले हुआ था.

वीडियो कैप्शन, चीन, चमगादड़ और वुहान लैब, कहां से आया कोरोना? Duniya Jahan

इस साल के शुरू में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की टीम ने वुहान का दौरा किया था, इसके बाद ही वैज्ञानिकों ने लैब से वायरस के आने की संभावना पर बात करना शुरू किया.

अमेरिका में राष्ट्रपति की कोरोना वायरस से निपटने के लिए बनी टीम से कॉर्डिनेटर डॉक्टर एंथनी फ़ाउची ने भी लैब लीक थ्योरी और वायरस की उत्तपति को लेकर बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ अमेरिका की कैटी के को इंटरव्यू दिया था. उस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि इसकी अधिक संभावना है कि यह प्राकृतिक रूप से सामने आया था. लेकिन हम अपना दिमाग़ खुले रखेंगे जब तक कि हमें इस वायरस का कनेक्शन न मिल जाए. हालाँकि अधिकतर वैज्ञानिक यही मानते हैं कि ये वायरस की उत्तपति प्राकृतिक रूप से हुई है.

इस साल मई में अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने वायरस की उत्तपति को लेकर एक ख़ुफ़िया जाँच का आदेश दिया था.

चीन के वुहान लैब में काम करने वाले लोग इससे इनकार करते हैं कि ये वायरस लैब से निकला है. चीन के अधिकारियों ने इन आरोपों पर अपनी नाराज़गी जताई है और कहा है कि कोई नहीं जानता कि ये वायरस कहाँ से आया. लेकिन शुरू में चीन पर ये आरोप लगे कि वे जाँच में रुकावट डाल रहा है.

ट्रंप की आलोचना

एंथनी फाउची

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चीनी लैब से वायरस लीक होने की धारणा अमेरिका और कई अन्य देशों में भावनात्मक रूप से भी जुड़ी हुई है. ट्रंप के आलोचकों ने कहा था कि अमेरिका में महामारी को लेकर अपनी ज़िम्मेदारी से बचने के लिए ट्रंप ने चीन के अधिकारियों पर दोष मढ़ा.

अमेरिका के अधिकतर वैज्ञानिकों शुरू में ने लैब लीक के विचार को ख़ारिज किया. उन्होंने इस संभावना पर बात की कि ये वायरस किसी जानवर से आया है और शायद एक चमगादड़ से. लेकिन महीनों के बाद भी ये साबित नहीं हो पाया है.

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फिर भी कंजरवेटिव समीक्षकों ने ट्रंप के उस विचार को चुना कि वायरस वुहान से लैब से लीक हुआ. वुहान चीन का वो शहर है, जहाँ पहली बार कोरोना के मामले सामने आए थे. वैज्ञानिकों ने एक लैब में चमगादड़ों पर रिसर्च की थी और वो लैब थी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी. ट्रंप का दावा था कि एक वैज्ञानिक केंद्र से ही ये वायरस निकला था.

कंजरवेटिव मीडिया में लैब लीक थ्योरी की कहानियाँ नियमित रूप से प्रसारित होती रहीं. इसका नतीजा ये हुआ कि मॉर्निंग कंसल्ट पोलिंग के मुताबिक़ डेमोक्रेट्स की तुलना में रिपब्लिकंस इससे ज़्यादा परिचित थे. क़रीब 46 प्रतिशत रिपब्लिकंस ने माना कि वे लैब लीक थ्योरी के बारे में अक्सर सुनते हैं, जबकि एक तिहाई से भी कम डेमोक्रेट्स ने ऐसा सुना था.

राजनीतिक दृष्टि से देखें, तो वायरस को लेकर अपने शुरूआती आकलन को ट्रंप भुनाने में लगे हैं. जैसा कि यूनिवर्सिटी ऑफ़ एक्रोन में राजनीति विज्ञान के प्रोफ़ेसर डेविड कोहेन कहते हैं, "वे ये कहना चाहते हैं कि देखिए मैं इस बारे में सही था. लोगों ने इस बारे में मुझे नहीं सुना और ये अब सही साबित हो रहा है.

ट्रंप कई डेमोक्रेट्स समर्थकों को नहीं समझा पाएँगे और न ही उन्हें नए समर्थक मिलने वाले हैं कि वे लैब लीक मामले में एक भरोसेमंद सूत्र थे. वायरस को लेकर कई मामलों में वे ग़लत साबित हुए हैं. उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर कई झूठे दावे भी किए, जिनके बारे में पत्रकारों ने दस्तावेज़ बना रखे हैं.

अब भी वे अमेरिका के कई हिस्सों में बदनाम हैं. फिर भी वे वायरस की उत्तपति को लेकर विवाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. ताकि वे अपने समर्थकों को दिखा सकें कि उन्होंने उन लोगों पर जीत हासिल की है, जो कभी उन पर हमला करते थे. उनके समर्थक इसे पसंद करते हैं और ट्रंप को चाहते भी हैं.

ट्रंप के समर्थक लैब लीक थ्योरी से हैं सहमत

ट्रंप समर्थक

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ट्रंप के एक समर्थक ओहायो के इंजीनियर पॉल रिकी ने ट्रंप और उनकी लैब लीक थ्योरी को लेकर उत्साह व्यक्त किया. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि ट्रंप ये महसूस करते हैं कि वे सही साबित हो रहे हैं और यहाँ मौजूद लोगों को भी लग रहा है कि वे सही साबित हो रहे हैं."

रैली में मौजूद कई लोगों ने कहा कि काश वैज्ञानिकों ने पहले ट्रंप की लैब लीक थ्योरी को गंभीरता से लिया होता.

वेलिंगटन में रहने वाले और एक फ़ैक्टरी में काम करने वाले जेम्स क्रॉप कहते हैं कि ये वायरस लैब से ही आया था और कहाँ से आएगा. क्रॉप कहते हैं कि इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर आप क्यों नहीं विचार करेंगे.

क्रॉप के अलावा रैली में मौजूद कई अन्य लोग भी वायरस को लेकर चर्चा करते नज़र आते हैं. किसी राजनीतिक रैली में इस तरह की वैज्ञानिक चर्चा कम ही नज़र आती है. क़रीब क़रीब सब एक बात पर तो सहमत नज़र आते हैं कि ट्रंप सही थे और मीडिया ने इसकी अनदेखी की.

रैली में मौजूद कई अन्य लोग इस बात पर ख़ुश थे कि अब वैज्ञानिकों ने भी वायरस को लेकर ट्रंप के विश्लेषण पर ध्यान देना शुरू किया है.

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