इसराइल ने तेल अवीव के पास इमरजेंसी लगाई, अरबों के साथ संघर्ष जारी

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इसराइल और फ़लस्तीनी अरबों के बीच पिछले शुक्रवार से भड़का संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसराइल ने तेल अवीव के पास स्थित अपने शहर लोड में दंगे के बाद इमरजेंसी घोषित कर दी है.
लोड में कारों को जला दिया गया है और 12 लोग झड़पों में घायल हैं. शहर के मेयर का कहना है कि शहर में गृह युद्ध की स्थिति बन गई है.
लोड शहर में हिंसा इसराइली अरबों के प्रदर्शन से शुरू हुई और देखते-देखते दंगे में बदल गई जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर बरसाए और पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ बलप्रयोग किया.
प्रदर्शन एक इसराइली अरब व्यक्ति के जनाज़े के बाद शुरू हुआ जिसकी एक दिन पहले झड़प में मौत हो गई थी.
इसराइली मीडिया के अनुसार कम-से-कम 12 लोग झड़प में घायल हो गए हैं.
मीडिया में बताया गया है कि लोड में उपासना स्थलों और कई दुकानों व दफ़्तरों को जला दिया गया. वहीं समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार ऐसी ख़बर है कि कुछ यहूदियों ने एक गाड़ी पर पत्थर बरसाए जिसे एक अरब व्यक्ति चला रहा था.
इसराइल के भीतर बसे अरबों में इसराइली सेना और फ़लस्तीनी चरमपंथियों के साथ संघर्ष छिड़ने के बाद से असंतोष बढ़ता जा रहा है और वो कई शहरों में प्रदर्शन करने लगे हैं.

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गज़ा में अपार्टमेंट पर हवाई हमला
इससे पहले संघर्ष की ताज़ा घटना में फ़लस्तीनी चरमपंथियों ने कहा है कि उन्होंने इसराइल के शहर तेल अवीव पर 130 मिसाइलें दागी हैं. उन्होंने ये हमला गज़ा पट्टी में एक इमारत पर इसराइल के हवाई हमले का जवाब देने के लिए किया.
भारत में इसराइल के राजदूत ने बताया है कि हमास के हमले में एक भारतीय महिला की भी मौत हो गई है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार इसराइल ने गज़ा पट्टी में 13-मंज़िला एक अपार्टमेंट पर हमला किया. उन्होंने इससे डेढ़ घंटे पहले चेतावनी दी थी और लोगों को घरों से बाहर निकल जाने के लिए कहा था.
इसराइली सेना का कहना है कि वो अपने इलाक़ों में रॉकेट हमलों के जवाब में गज़ा में चरमपंथियों को निशाना बना रहा है.
2017 के बाद से मध्य-पू्र्व में दोनों पक्षों के बीच भड़की सबसे गंभीर हिंसा में अब तक कम-से-कम 31 लोगों की जान जा चुकी है. सैकड़ों लोग घायल हैं.
इसराइली क्षेत्र में तीन लोगों की मौत हुई है. वहीं इसराइली हमले में अब तक कम-से-कम 28 फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं. फ़लस्तीनियों का कहना है हमलों में कई बच्चों की भी मौत हुई है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों पक्षों से संघर्ष बंद करने की अपील की है. राजनयिकों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बुधवार को स्थिति पर चर्चा के लिए बैठक करेगी.
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कैसे भड़की हिंसा
संघर्ष का ये सिलसिला यरुशलम में पिछले लगभग एक महीने से जारी अशांति के बाद शुरू हुआ है.
इसकी शुरुआत पूर्वी यरुशलम से फ़लस्तीनी परिवारों को निकालने की धमकी के बाद शुरू हुईं जिन्हें यहूदी अपनी ज़मीन बताते हैं और वहाँ बसना चाहते हैं. इस वजह से वहाँ अरब आबादी वाले इलाक़ों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हो रही थीं.
शुक्रवार को यरुशलम की अल-अक़्सा मस्जिद के पास प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई बार झड़प हुई.
अल-अक़्सा मस्जिद के पास पहले भी दोनों पक्षों के बीच झड़प होती रही है मगर पिछले शुक्रवार को हुई हिंसा पिछले कई सालों में सबसे गंभीर थी.

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आपात सेवालों और पुलिस का कहना था कि इसमें 200 से ज़्यादा फ़लस्तीनी और कम-से-कम 17 इसराइली पुलिसकर्मी ज़ख़्मी हो गए.
फ़लस्तीनी यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद में जाने पर लगाये गये प्रतिबंधों से नाराज़ रहते हैं.
अल अक़्सा को इस्लाम में तीसरी सबसे पवित्र जगह माना जाता है, जो यहूदियों के पवित्र स्थल टेंपल माउंट के बगल में स्थित है. इस वजह से ये परिसर यहूदियों के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है.
गज़ा पर नियंत्रण करने वाले हमास का कहना है कि वो अल-अक़्सा मस्जिद को इसराइली "आक्रमण और चरमपंथ" से बचाने के लिए कार्रवाई कर रहा है.

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ताज़ा हमले में क्या हुआ
मंगलवार रात को हुए संघर्ष के बारे में हमास का कहना है कि उसने "दुश्मन के रिहाइशी इमारतों को निशाना बनाने" के जवाब में तेल अवीव और उसके आस-पास रॉकेट हमले किए.
तेल अवीव से आए वीडियो फुटेज में दिखता है कि रॉकेट आसमान से नीचे आते हैं और उनमें से कई को इसराइली प्रतिरोधी मिसाइल बीच में ही नष्ट कर देते हैं.
इसराइली अधिकारियों का कहना है कि एक रॉकेट हमले में 50-साल की एक महिला की मौत हो गई.
एक इसराइली पुलिस प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि एक रॉकेट एक खाली बस पर जा लगा. हमलों में एक बच्ची और दो महिलाएँ घायल हुई हैं.

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार रॉकेट हमलों की चेतावनी में सायरन बजने के बाद तेल अवीव में राहगीर भागने लगे, रेस्तरां में बैठे लोग बाहर निकल आए और बहुत सारे लोग सड़क पर लेट गए.
शहर के एयरपोर्ट पर उड़ानों को रोक दिया गया. हमले में इसराइल के दो शहरों के बीच जाने वाली तेल पाइपलाइन भी निशाना बनी.
भारत में इसराइल के राजदूत रॉन मल्का ने ट्विटर पर जानकारी दी है कि हमास के हमले में सौम्या संतोष नाम की एक भारतीय महिला की भी मौत हो गई है.
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हमास ने ये रॉकेट हमले गज़ा में हनादी टावर नाम के एक अपार्टमेंट पर इसराइल के हवाई हमले के बाद किए जिसमें हमास के नेताओं का एक दफ़्तर है.
अपार्टमेंट पर हुए हमले में किसी के हताहत होने के बारे में कोई जानकारी नहीं आई है.
ऐसी ख़बरें हैं कि इसराइल ने वहाँ एक और बहुमंज़िला इमारत को चेतावनी देने के बाद निशाना बनाया है.
इसराइल के रक्षा मंत्री बेनी गैंट्ज़ ने कहा है कि इसराइल के "ये हमले अभी केवल शुरुआत हैं".
इसराइली मंत्री ने कहा, "आतंकी संगठनों पर ज़ोरदार हमला हुआ है और ये होता रहेगा क्योंकि उन्होंने इसराइल पर हमला करने का फ़ैसला किया."
वहीं हमास के नेता इस्माइल हानिया ने कहा है इसराइल मामले को आगे बढ़ाता है तो वो भी "तैयार" हैं.
हानिया ने एक टीवी संदेश में कहा, "अगर वे बात बढ़ाना चाहते हैं, तो भी हम तैयार हैं, अगर वो रूकना चाहते हैं, तो भी हम तैयार हैं."
इससे पहले इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यमिन नेतन्याहू ने कहा कि फ़लस्तीनी चरमपंथी गुट हमास ने पिछले कई सालों में पहली बार यरुशलम पर हमला कर "हद तोड़" दी है.

बीबीसी में मध्य-पूर्व मामलों के संपादक जेरेमी बॉवेन का कहना है कि फ़लस्तीनियों और इसराइलियों के बीच टकराव का कारण कोई नया नहीं है, यह उन्हीं अनसुलझे विवादों पर आधारित है जिन्हें लेकर फ़लस्तीनियों और इसराइलियों की पिछली कुछ पीढ़ियाँ एक दूसरे से टकराती रही हैं. लेकिन ताज़ा तनाव इस पूरे विवाद के केंद्र यानी यरुशलम में देखने को मिला है जिसकी ना सिर्फ़ एक धार्मिक मान्यता है, बल्कि दोनों पक्षों के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र भी है.
यरुशलम में रमज़ान के दौरान इसराइल द्वारा सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की वजह से भी फ़लस्तीनी गुस्सा थे. वे मानते हैं कि उन्हें इस क्षेत्र में जाने से रोकने की कोशिशों को तेज़ किया जा रहा है और इसी के ख़िलाफ़ फ़लस्तीनी खड़े हुए हैं. वहीं दोनों तरफ के नेता अपनी-अपनी बातों पर ज़ोर दे रहे हैं और अपने पक्ष को सही ठहरा रहे हैं, जो शांति बहाली की प्रक्रिया में फ़िलहाल सबसे बड़ी चुनौती है.


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क्या है यरुशलम का विवाद?
1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद इसराइल ने पूर्वी यरुशलम को नियंत्रण में ले लिया था और वो पूरे शहर को अपनी राजधानी मानता है.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसका समर्थन नहीं करता. फ़लस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आज़ाद मुल्क़ की राजधानी के तौर पर देखते हैं.
पिछले कुछ दिनों से इलाक़े में तनाव बढ़ा है. आरोप है कि ज़मीन के इस हिस्से पर हक़ जताने वाले यहूदी फलस्तीनियों को बेदख़ल करने की कोशिश कर रहे हैं जिसे लेकर विवाद है.
अक्तूबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा यूनेस्को की कार्यकारी बोर्ड ने एक विवादित प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा था कि यरुशलम में मौजूद ऐतिहासिक अल-अक्सा मस्जिद पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है.
यूनेस्को की कार्यकारी समिति ने यह प्रस्ताव पास किया था.
इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है.
जबकि यहूदी उसे टेंपल माउंट कहते रहे हैं और यहूदियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता रहा है.
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