ट्रंप को बैन करना सही लेकिन ख़तरनाक: ट्विटर बॉस जैक डोर्सी

ट्विटर के मालिक जैक डोर्सी ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप को प्रतिबंधित करना एक सही फ़ैसला था. हालाँकि उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि असाधारण और अपरिहार्य हालात के कारण ट्रंप के ट्विटर अकाउंट को स्थायी रूप से निलंबित करना पड़ा.

डोर्सी ने ये भी कहा कि प्रतिबंध लगाना ट्विटर की नाकामी है क्योंकि इसे लेकर एक जो स्वस्थ संवाद होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया.

ट्रंप के अकाउंट बंद करने को लेकर ट्विटर की आलोचना और प्रशंसा दोनों हो रही है. जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल और मेक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुएल लोपेज़ ओब्रैडोर ने ट्रंप को बैन करने की आलोचना की थी.

दोनों नेता ट्रंप के कोई क़रीबी नहीं रहे हैं. ट्विटर प्रमुख जैक डोर्सी ने इस मामले में एक साथ कई ट्वीट कर सफ़ाई दी है. उन्होंने कहा है कि वो ट्रंप पर प्रतिबंध लगाकर कोई उत्सव नहीं मना रहे हैं और न ही इसे लेकर उन्हें गर्व है. ट्विटर ने वाशिंगटन में ट्रंप समर्थकों के हमले के बाद ट्विटर पर बैन लगा दिया था.

जैक ने कहा, ''ट्रंप को पहले भी चेतावनी दी गई थी. इसके बाद ही उनके अकाउंट को निलंबित किया गया. हमलोगों के पास सुरक्षा को लेकर ख़तरे की पुख्ता सूचना थी और इसी आधार पर यह फ़ैसला लिया गया.''

उन्होंने स्वीकार किया कि इस क़दम से खुला और स्वतंत्र इंटरनेट के इस्तेमाल के अधिकार पर असर पड़ेगा.

जैक ने कहा, ''इस तरह की कार्रवाई से जन संवाद में विभाजन बढ़ेगा. ये हमें विभाजित करेंगे. यह एक ऐसी मिसाल बनेगी जो मुझे लगता है कि ख़तरनाक होगी.

सेंसरशिप?

जैक ने ट्रंप को बैन करने के फ़ैसले की हो रही आलोचना पर भी बात की. उनकी आलोचना में कहा जा रहा है कि मुट्ठी भर टेक कंपनियों के मालिक ये फ़ैसला नहीं कर सकते कि इंटरनेट पर किसकी आवाज़ होगी और किसकी नहीं होगी. ट्विटर पर सेंसरशिप के भी आरोप लग रहे हैं.

इन आरोपों पर जैक ने कहा, ''एक कंपनी जब कोई कारोबारी फ़ैसला ख़ुद को संयमित करने के लिए लेती है तो वो सरकार के उन फ़ैसलों से अलग होता है जो किसी की पहुँच को बाधित करने के लिए होता है. फिर भी बहुत हद तक मैं भी ऐसा ही महसूस कर रहा हूं.''

अभिव्यक्ति की आज़ादी का मुद्दा

यूज़र्स, पोस्ट और ट्वीट को हटाने की आलोचना हो रही है और इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार के हनन के तौर पर देखा जा रहा है.

हालांकि बड़ी टेक कंपनियाँ यह तर्क देती हैं कि वे निजी कंपनी हैं. वे कोई सरकार की अंग नहीं हैं. ऐसे में जब वे अपने प्लेटफ़ॉर्म को लेकर कोई फ़ैसला लेती हैं तो सरकार के नियमों से बाध्य नहीं होती हैं.

सोमवार को जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल के प्रवक्ता ने कहा था कि मर्केल ट्विटर के बैन करने के फ़ैसले से सहमत नहीं हैं. मर्केल ने कहा था कि बैन करना समस्या पैदा करने वाला है. मेक्सिको के राष्ट्रपति ने कहा था कि किसी को सेंसर किया जाए ये उन्हें पसंद नहीं है.

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि वो फ़ेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों से चाहते हैं कि नफ़रत भरे भाषण और फर्ज़ी ख़बरों को लेकर सख़्ती दिखाएं.

बाइडन ने पहले भी कहा था कि वो सेक्शन 230 को ख़त्म करना चाहते हैं ताकि लोगों की पोस्ट के कारण सोशल मीडिया के ख़िलाफ़ क़ानूनी क़दम उठाया जा सके.

अभी तक साफ़ नहीं है कि बाइडन ट्विटर और फ़ेसबुक को लेकर क्या करेंगे.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)