चीन में पहली बार आख़िर इतनी अनिश्चितता क्यों, क्या है आगे की राह

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वर्ष 1990 के बाद ऐसा पहली बार है, जब चीन ने अपने आर्थिक विकास का लक्ष्य तय नहीं किया है. ऐसा कोरोना महामारी से फैली स्थिति के मद्देनज़र किया गया है.
चीन में चल रही नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की महत्वपूर्ण वार्षिक बैठक में प्रीमियर ली कचियांग ने ये घोषणा की है.
ली कचियांग ने कहा- ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा देश कुछ चीज़ों से जूझ रहा है और ऐसे अनिश्चितता भरे समय में प्रगति का अनुमान लगाना मुश्किल है. यह अनिश्चितता कोविड 19 के कारण है क्योंकि इससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं और कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है.
शुक्रवार सुबह चीन की वार्षिक संसदीय बैठक नेशनल पीप्लस कांग्रेस में क़रीब तीन हज़ार प्रतिनिधि शामिल हैं. एनपीसी की बैठक में बजट को मंज़ूरी दी जाती है और साथ में अर्थव्यवस्था की वृद्धि का लक्ष्य भी तय किया जाता है. लेकिन इस बार चीन ने घोषणा की है कि वो आर्थिक वृद्धि दर का कोई लक्ष्य तय नहीं करेगा.
चीन का बजट

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चीन का बजट घाटा भी 2019 की तुलना में बढ़ गया है. 1990 से चीन ने आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को प्रकाशित करना शुरू किया था और तब से यह लगातार जारी था. यह पहली बार है जब चीन ने जीडीपी का कोई लक्ष्य तय नहीं किया है.
ली कचियांग ने कहा कि कोविड 19 को नियंत्रित करने के लिए सरकार एक ट्रिलियन युआन और देगी. ली केचियांग ने ये भी कहा कि चीन अमरीका के साथ ट्रेड डील पर बात करेगा, जो कि कोरोना वायरस की महामारी के कारण अधर में लटक गया था. ताइवान को लेकर कचियांग ने कहा कि चीन अपनी संप्रभुता को लेकर अडिग है.
चीन की वार्षिक संसदीय बैठक में चीन के प्रीमियर ली कचियांग ने कोरोना वायरस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में चीन की तारीफ़ की है और इसे देश की 'प्रमुख रणनीतिक उपलब्धियों' में से एक बताया है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि "महामारी अभी समाप्त नहीं हुई है और जो काम विकास को बढ़ावा देने के लिए हमें करने हैं, वो काफ़ी ज़्यादा हैं."

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चीन की वार्षिक संसदीय बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई है कि देश में कोरोना वायरस महामारी के दूसरे झटके को कैसे रोका जाएगा.
कचियांग ने कहा कि महामारी की वजह से देश 'बड़ी अनिश्चितता' के बीच फंसा है और देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बुरे दौर का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अगले कुछ हफ़्तों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है.
हॉन्गकॉन्ग को लेकर अहम क़ानून को मिल सकती है मंज़ूरी

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चीन एनपीसी में हॉन्गकॉन्ग को लेकर सुरक्षा संबंधी नया क़ानून लाने जा रहा है जिसके तहत राजद्रोह और विरोध करने का अधिकार छीन लिया जाएगा.
बीबीसी के चीन संवाददाता रॉबिन ब्रायंट का कहना है कि स्थिति इसलिए उकसाने वाली हो सकती है क्योंकि चीन हॉन्गकॉन्ग के चुने हुए प्रतिनिधियों की अनदेखी करके बदलाव को लागू कर सकता है.
चीन हॉन्गकॉन्ग को अपना विशेष प्रशासनिक क्षेत्र मानता है. हॉन्गकॉन्ग 1841 से 1997 तक ब्रिटेन की कॉलोनी था.
ब्रिटेन ने उसे 'वन कंट्री टू सिस्टम' यानी एक देश और दो प्रणाली समझौते के तहत चीन को सुपुर्द किया. ये क़रार हॉन्गकॉन्ग को वो आज़ादी और लोकतांत्रिक अधिकार देता है, जो चीन के लोगों को हासिल नहीं है.
अब लोकतंत्र समर्थकों को लगता है कि चीन का नया क़ानून लाना हॉन्गकॉन्ग को पूरी तरह समाप्त कर सकता है. इससे न सिर्फ़ उनकी स्वायत्ता समाप्त हो जाएगी बल्कि आज़ादी भी चली जाएगी.

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पिछले साल लोकतांत्रिक सुधारों को लेकर हॉन्गकॉन्ग में लंबे समय तक प्रदर्शन हुए थे. कई बार ये प्रदर्शन हिंसक भी हो गए थे. चीन की सरकार का मानना है कि इस क़ानून से ऐसे प्रदर्शनों पर रोक लगेगी. दूसरी ओर जानकारों का मानना है कि इस क़ानून से हॉन्गकॉन्ग में नए दौर के प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं.
चीन के पास हमेशा से ही हॉन्गकॉन्ग में राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून को लागू करने का अधिकार था लेकिन 2003 में जब उसने ऐसा करने की कोशिश की, तो लाखों लोग सड़क पर उतर आए. उस समय चीन ने विरोध को देखते हुए क़ानून पास नहीं किया.
पिछले साल एक प्रत्यर्पण क़ानून को लेकर बहुत हंगामा हुआ था. उस प्रस्तावित क़ानून के मुताबिक़ अगर कोई शख़्स अपराध करके हॉन्गकॉन्ग भाग जाता है तो उसे जाँच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चीन भेजा जाना था.
लेकिन इसे लेकर भारी विरोध हुआ और प्रदर्शनकारियों का कहना था कि हॉन्गकॉन्ग के लोगों पर चीन का क़ानून लागू हो जाएगा और लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया जाएगा और उन्हें यातनाएं दी जाएंगी. बाद में चीन इस प्रस्ताव से पीछे हट गया था.
बीबीसी न्यूज़ के चीन संवाददाता स्टीफ़न मैकडॉनेल का आकलन
मैं साल 2006 से चीन में रिपोर्टिंग कर रहा हूँ और हमें हमेशा चीन के 'द ग्रेट हॉल ऑफ़ द पीपल' में जाने की अनुमति दी जाती रही है, जहाँ चीन की वार्षिक संसदीय बैठक - नेशनल पीपुल्स कांग्रेस का आयोजन होता है.
लेकिन इस वर्ष हम इसे बाक़ी लोगों की तरह टीवी स्क्रीन पर देख रहे हैं और वजह है कोरोना वायरस का संक्रमण.
कुछ हॉटस्पॉट्स को छोड़कर चीन के अधिकांश क्षेत्रों में कोरोना वायरस महामारी नियंत्रण में है लेकिन इस बैठक में चीन के तमाम इलाक़ों के नेता मौजूद हैं. सभी बड़े सैन्य अधिकारी हैं और सभी एक बड़े हॉल में हैं, तो मीडियाकर्मियों को हॉल के भीतर ना बुलाकर, उन्हें सीमित एक्सेस देकर ख़तरे को कम रखने का प्रयास किया गया है.

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हमें उम्मीद थी कि इस बैठक में कोरोना वायरस महामारी का बोलबाला रहेगा और अमरीका के साथ चीन के बिगड़ते रिश्तों पर भी चर्चा होगी क्योंकि इस महामारी ने सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को कमज़ोर कर दिया है और दुनिया में एक तरह से आर्थिक आपातकाल के हालात बने हैं.
लेकिन बैठक के पहले दिन हॉन्ग कॉन्ग विवाद ने इस बड़े मुद्दे से ज़्यादा वक़्त लिया. चीन हॉन्ग कॉन्ग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू करने का प्रयास कर रहा है, जिसके बाद हॉन्ग कॉन्ग के लोगों पर राजद्रोह से संबंधित मुक़दमे बनाना चीन के लिए आसान हो जाएगा. चीन के इस प्रयास से हॉन्ग कॉन्ग के स्थानीय लोग बहुत ग़ुस्सा हैं और इसकी चर्चा शुरू होने के बाद से ही प्रदर्शन कर रहे हैं.
माना जा रहा है कि चीन की ताज़ा कोशिश के बाद हॉन्ग कॉन्ग शहर में प्रदर्शन ज़रूर होंगे जबकि पिछले वर्ष गर्मियों में चीन के ख़िलाफ़ हुए उग्र प्रदर्शन इस महामारी के कारण धीरे-धीरे शांत हो गए थे.
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