कोरोना वायरस: इस देश का पहला मामला लेकिन सबसे ख़तरनाक क्यों

यमन में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद सहायता एजेंसियों ने चिंता ज़ाहिर की है. यमन सालों से गृह युद्ध झेल रहा है जिसके कारण वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बेहद बुरी है.

ग़ैर-सरकारी संस्था ऑक्सफ़ैम ने इसे "बड़ा झटका" कहा है जबकि इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी ने इसे "बुरे सपने जैसी स्थिति " बताया है.

यमन दुनिया के सबसे बुरे मानवीय संकट के दौर से जूझ रहा है और यहां की एक बड़ी आबादी खाद्य संकट का सामना कर रही है. वो पूरी तरह से खाद्य सहायता पर आश्रित हैं.

यमन में रहने वाले पहले ही हैज़ा, डेंगू और मलेरिया सहित कई बीमारियों से मुक़ाबला कर रहे हैं और सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि यहां के केवल आधे अस्पताल ही पूरी तरह काम करने की स्थिति में हैं.

हूती विद्रोहियों से लड़ रहे सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन के युद्ध विराम की घोषणा के ठीक एक दिन बाद यमन में कोविड 19 के पहले मामले की पुष्टि हुई. गठबंधन सेना का कहना था कि वो कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में मदद करना चाहते हैं और शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र की कोशिशों का समर्थन करना चाहते हैं.

यमन की राष्ट्रीय आपातकालीन समिति ने शुक्रवार को बताया कि यमन में कोरोना वायरस के पहले मरीज़ 60 साल के एक व्यक्ति हैं जो तेल उत्पादन करने वाले दक्षिणी प्रांत हद्रामउत के रहने वाले हैं.

आपातकालीन समिति के प्रवक्ता अली अल-वलिदी ने संक्रमित व्यक्ति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें क्वारंटीन सेंटर में रखा गया है और फ़िलहाल उनकी स्थिति स्थिर है.

समाचर एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, अधिकारियों ने उस बंदरगाह को तुरंत सील कर दिया है जहां ये शख़्स काम करते हैं. साथ ही उनके साथ काम करने वाले सभी कर्मचारियों को आइसोलेशन में जाने के लिए कह दिया गया है.

वहीं हद्रामउत के पड़ोसी प्रांतों, शबवा और अल महरा ने इससे जुड़ी अपनी सीमाओं को सील कर दिया है. हद्रामउत में 12 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र की ह्यूमैनेटेरियन को-ऑर्डिनेटर लिज़ा ग्रैंदे ने कहा है कि अगर यमन में वायरस ने अपने पैर पसारने शुरू किए तो यहां "भारी तबाही" होगी.

उन्होंने कहा, "कई सप्ताह से हम कोरोना को लेकर आशंकित थे और अब संक्रमण का मामला भी आया है. पाँच साल के युद्ध के बाद देश में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है और यहां रहने वाले वायरस संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील हो सकते हैं."

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वह यमन में चिकित्सा आपूर्ति सेवाएं मुहैया करा रहा है. संगठन का कहना है कि यहां टेस्ट किट, वेंटिलेटर दिए जा रहे हैं और साथ में स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है.

यमन में सेव द चिल्ड्रेन के निदेशक ज़ेवियर जूबर्ट ने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि दोनों पक्ष युद्ध विराम का पालन करें.

उन्होंने कहा "संक्रमण का पहला मामला सामने हैं और हम सभी इसे लेकर डर रहे थे. हम उम्मीद कर रहे थे कि ये देश वायरस से बच जाए. क्योंकि यमन इस वायरस का सामना करने के लिए बेहद कमज़ोर स्थिति में है."

वो कहते हैं, "कोविड 19 महामारी देश की पहले से ही चरमराई स्वास्थ्य सुविधा पर और दबाव डालेगा और इसका नागरिकों पर बुरा और विनाशकारी असर होगा. अगर हम इसके लिए आज काम नहीं करेंगे तो आने वाले समय में जो हमारे सामने होगा, उसे बयां नहीं किया जा सकेगा."

इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी की तामुना सुबेद्ज़ कहती हैं, "यमन में लाखों लोग बेहद कम जगह में और गंदगी के बीच रहने कि लिए मजबूर हैं. वे वायरस का मुकाबला करने के लिए बेहद कमज़ोर स्थिति में हैं."

सुबेद्ज़ के मुताबिक़, "हमें पता था कि दुनिया भर में कोरोना वायरस फैल चुका है और यह यहां भी आ सकता है लेकिन बावजूद इसके हम यही कहेंगे कि यमन में कोविड 19 के मामले का सामने आना बुरे सपने की तरह है."

इससे पहले वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम ने कहा था कि फंड में कमी के चलते हूती विद्रोहियों के कब्ज़े वाले कुछ इलाक़ों में सहायता आधी करने के लिए वो मजबूर हैं.

संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी का कहना था कि कुछ दानकर्ताओं ने अपनी सहायता इसलिए रोक दी थी क्योंकि उन्हें लग रहा था कि भेजी जाने वाली सहायता को हूती विद्रोही रोक रहे हैं.

एजेंसी का कहना है कि अप्रैल के लगभग दो हफ़्ते बाद से परिवारों को हर महीने के बजाय अब दो महीने में एक बार ही सहायता मिल सकेगी.

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