पाकिस्तान के क़रीबी महातिर मलेशिया की सत्ता से बाहर, मोहिउद्दीन नए पीएम

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महातिर मोहम्मद के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद मलेशिया के सुल्तान ने पूर्व गृह मंत्री मोहिउद्दीन यासीन को देश का नया प्रधानमंत्री बनाए जाने की घोषणा कर दी है.
72 वर्षीय मोहिउद्दीन रविवार को नेशनल पैलेस में शपथ लेंगे.
महातिर मोहम्मद के सत्ता में आने के बाद मलेशिया की पाकिस्तान से क़रीब बढ़ी थी. महातिर मोहम्मद ने कश्मीर पर पाकिस्तान की लाइन का समर्थन किया था. यहां तक कि उन्होंने सीएए का भी विरोध किया था. महातिर ने कहा था कि भारत की तरह अगर मलेशिया ने भी सीएए लागू कर दिया तो क्या होगा. महातिर के सत्ता में रहते हुए भारत से रिश्तों में तनाव बना रहा. महातिर मोहम्मद 1981 से 2003 तक मलेशिया के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और 2018 में वो एक बार फिर से पीएम चुने गए थे. दोबारा चुने जाने के बाद पाकिस्तान और मलेशिया क़रीब आए हैं.
एक सप्ताह तक चली राजनीतिक रस्साकशी के बाद 94 साल के महातिर ने अपने गठबंधन सहयोगी अनवर (72) से रिश्ता तोड़ लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
हालांकि, महातिर ने शनिवार को अनवर के साथ दोबारा गठबंधन करने की घोषणा की थी लेकिन पैलेस ने अपने बयान में कहा था कि सुल्तान ने इस आधार पर फ़ैसला ले लिया है कि मोहिउद्दीन यासीन के पास संभवतः संसद में बहुमत है.
इस बयान में कहा गया है, "महामहिम आदेश दे चुके हैं कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया में देरी नहीं की जा सकती है. यह सभी के लिए सबसे अच्छा फ़ैसला है."
मोहिउद्दीन ने भी बाद में कहा कि वो सभी मलेशियाई लोगों से कहेंगे कि नेशनल पैलेस के फ़ैसले को स्वीकार करें.

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कौन हैं मोहिउद्दीन?
दिग्गज राजनीतिज्ञ के रूप में पहचाने जाने वाले मोहिउद्दीन का राजनीतिक अनुभव 50 साल से अधिक का है. वो सात बार कैबिनेट मंत्री के पद पर रह चुके हैं.
मलेशियाई लोगों में उनकी छवि एक सिद्धांतवादी राजनेता की है.
जोहोर प्रांत के मुआर में मोहिउद्दीन की परवरिश हुई. उन्होंने मलय विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और मलय स्टडीज़ में बैचलर्स की डिग्री ली.
1971 में वो यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन (यूएमएनओ) में शामिल हुए जो देश में सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली पार्टी है.
मोहिउद्दीन ने राजनीति में तेज़ी से अपना सफ़र तय किया और वो सिर्फ़ 15 सालों में जोहोर की विधानसभा के सदस्य से मुख्यमंत्री तक का सफ़र तय किया.
उत्तरी जोहोर में पगोह से वो आठ बार सांसद रह चुके हैं. वो युवा एवं खेल समेत घरेलु व्यापार, कृषि और उद्योग जैसे मंत्रालय संभाल चुके हैं.

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जब रहा विवाद से नाता
नजीब रज़ाक की सरकार के दौरान वो देश के उप-प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री रह चुके हैं. 2010 में वो तब विवादों में आ गए जब उन्होंने कहा कि वो मलय पहले हैं और बाद में कुछ और.
असल में उस समय वो नजीब के वन मलेशिया के विचार से जुड़े विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे.
2015 में उन्हें तब कैबिनेट से निष्कासित कर दिया गया जब उन्होंने नजीब द्वारा वन मलेशिया डिवेलपमेंट बेरहाद घोटाले पर की गई कार्रवाई पर सवाल उठाए.
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ बोलने पर उनकी काफ़ी प्रशंसा की गई लेकिन अंत में उन्हें 2016 में यूएमएनओ से निष्कासित कर दिया गया. यह वो पार्टी थी जिसमें वो 50 सालों से थे.
मोहिउद्दीन ने पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के साथ मिलकर परती परीबूमी बेरसातू मलेशिया (बेरसातू) नामक नई पार्टी का गठन किया. वो बेरसातू के अध्यक्ष हैं जबकि महातिर चेयरमैन हैं.
इस पार्टी ने 2018 में पकातन हरापन (पीएच) गठबंधन बनाया जिसने आम चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए बरिसन नेशनल गठबंधन को हरा दिया.
जीत के बाद महातिर को मलेशिया का सातवां प्रधानमंत्री बनाया गया जबकि मोहिउद्दीन को गृह मंत्री नियुक्त किया गया.
अगस्त 2018 में मोहिउद्दीन को पैनक्रियाटिक कैंसर हुआ जो शुरुआती स्टेज का था इसकी सफल सर्जरी सिंगापुर में हुई.
ठीक होने के बाद उन्होंने वापस गृह मंत्रालय का पदभार संभाला. इस दौरान वो आतंक के ख़िलाफ़ अभियान और सबाह के पानी की सुरक्षा के लिए कड़े फ़ैसले लेते भी दिखे.
भगोड़े कारोबारी लो ताएक झो को वापस लाने को लेकर भी उन्होंने कोशिशें की.

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आख़िर कहां से शुरू हुई राजनीतिक उठापटक
मोहिउद्दीन की कोशिशों के बावजूद भी पीएच गठबंधन सरकार को लेकर देश में असंतोष था. मलेशिया में लोग बढ़ती महंगाई और बेरोज़गार को लेकर नाख़ुश थे.
बीते रविवार को मोहिउद्दीन ने पीएम पार्टी के सांसदों, विपक्षी गठबंधन यूएमएनओ और पीएएस के सांसदों और एक अन्य गठबंधन नेता अज़मीन अली के साथ बैठक की थी.
इसके कुछ दिनों में बेरसातु पीएच गठबंधन से बाहर आ गया और महातिर मोहम्मद ने इस्तीफ़ा दे दिया. सुलतान ने नेशनल पैलेस में सभी सांसदों से बात की तो अगले प्रधानमंत्री के रूप में मोहिउद्दीन इस दौड़ में सबसे पहले शामिल थे.
बेरिसन नेशनल, पीएएस और बेरसातु के सांसदों ने शुरुआत में महातिर का प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन किया था लेकिन महातिर ने कह दिया था कि वो यूएमएनओ के सांसदों के साथ काम नहीं करेंगे जबकि मोहिउद्दीन इसको लेकर राज़ी थे.
महातिर मोहम्मद दुनिया के सबसे उम्रदराज़ प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ पाकिस्तान के बहुत क़रीबी थे.
महातिर ने भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून की ख़ासी आलोचना भी की थी. उन्होंने कुआलालंपुर समिट में नागरिकता संशोधन क़ानून की ज़रूरत पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब भारत में सब लोग 70 साल से साथ रहते आए हैं, तो इस क़ानून की आवश्यकता ही क्या थी.
भारत ने महातिर मोहम्मद के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि एक बार फिर मलेशिया के पीएम ने भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी की है.
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