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नागरिकता संशोधन बिल पर अमित शाह के बयान पर बांग्लादेश को एतराज़
- Author, बीबीसी मॉनिटरिंग
- पदनाम, दिल्ली
बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को ख़ारिज किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं का उत्पीड़न हो रहा है.
बांग्लादेश के प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार ढाका ट्रिब्यून में 10 दिसंबर को छपे उनके बयान के मुताबिक़ बांग्लादेश सरकार इस मसले को भारत के साथ उठाने से पहले ठीक से पढ़ेगी.
उन्होंने कहा, "जो वे हिंदुओं के उत्पीड़न की बात कह रहे हैं, वो ग़ैर-ज़रूरी और झूठ है. पूरी दुनिया में ऐसे देश कम ही हैं जहां बांग्लादेश के जैसा सांप्रदायिक सौहार्द है. हमारे यहां कोई अल्पसंख्यक नहीं है. हम सब बराबर हैं. एक पड़ोसी देश के नाते, हमें उम्मीद है कि भारत ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे हमारे दोस्ताना संबंध ख़राब हों. ये मसला हमारे सामने हाल ही में आया है. हम इसे ध्यान से पढ़ेंगे और उसके बाद भारत के साथ ये मुद्दा उठाएंगे."
ढाका के एक ऑनलाइन अख़बार बांग्ला ट्रिब्यून में 11 दिसंबर को विदेश मंत्री का एक और बयान छपा है.
उन्होंने कहा है कि धर्म के आधार पर नागरिकता के इस क़ानून से भारत का सेक्युलर स्टैंड कमज़ोर होगा.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक तौर पर भारत एक सहिष्णु देश रहा है. उन्होंने कहा कि अगर भारत उससे हटता है तो उसकी ऐतिहासिक पहचान कमज़ोर होगी.
भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को संसद में कहा था कि बांग्लादेश में हिंदू अपनी धार्मिक गतिविधियां नहीं कर पाते हैं.
अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि 1947 में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की संख्या 22 फ़ीसदी थी और 2011 में यह कम होकर 7.8 फ़ीसदी रह गई जबकि बांग्लादेश 1971 में बना, 1947 से 1971 के बीच वो पूर्वी पाकिस्तान था.
उन्होंने ये भी कहा कि 1971 में बांग्लादेश को संविधान में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र माना गया था लेकिन उसके बाद 1977 में राज्य का धर्म इस्लाम माना गया.
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