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चीन ने फिर रोका मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकवादी घोषित करने का प्रयास
चीन ने पाकिस्तान स्थित चरमपंथी समूह जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की काली सूची में शामिल किए जाने के प्रयास को रोक दिया है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की काली सूची में शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया गया था.
चीन ने बुधवार को इस पर रोक लगा दी.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक सुरक्षा परिषद को दिए अपने नोट में चीन ने कहा है कि वो मसूद अज़हर पर प्रतिबंध लगाने की अपील को समझने के लिए और समय चाहता है.
ये तीसरा मौका था जब संयुक्त राष्ट्र में मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए प्रस्ताव आया था.
पहले भी ख़िलाफ़ रहा है चीन
चीन इससे पहले साल 2016 और 2017 में मसूद अज़हर पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों को रोक चुका है. अज़हर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद को साल 2001 में ही आतंकी संगठन घोषित कर दिया गया था.
यदि उन्हें इस सूची में शामिल कर लिया जाता तो उन पर यात्रा प्रतिबंध लग जाते और उनकी अंतरराष्ट्रीय संपत्तियों को ज़ब्त कर लिया जाता.
मसूद अज़हर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ही हाल ही में भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में हुए चरमपंथी हमले की ज़िम्मेदारी ली थी. इस हमले में भारत के कम से कम चालीस सुरक्षा बल मारे गए थे.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूत सैयद अकबरउद्दीन ने कुछ देर पहले किए ट्वीट में चीन का नाम तो नहीं लिया लेकिन संकेत ज़रूर दिया.
उन्होंने उन सभी देशों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने भारत के प्रयासों का समर्थन किया.
इससे पहले भी चीन अज़हर मसूद को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करता रहा है.
23 अक्टूबर 2018 को चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत मसूद को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में शामिल करवाना चाहता है, लेकिन इस बारे में चीन अपना रुख़ कई बार दोहरा चुका है. चीन आतंकवाद विरोधी सहयोग में हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है और हर मामले पर उसकी मैरिट के आधार पर निर्णय लेता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, "हम भारत के साथ आतंकवाद विरोधी और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना चाहेंगे और दोनों देश मिलकर क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा पर काम करेंगे."
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