चीन क्रिसमस से पहले ईसाइयों पर क्यों हुआ सख़्त?

चीन में चर्चों के ख़िलाफ़ हाल में बढ़ती पुलिस कार्रवाई ने इस बात को लेकर चिंता पैदा कर दी है कि चीनी सरकार ईसाई गतिविधियों को लेकर सख़्ती बढ़ा रही है.

चीन में गिरफ़्तार किए गए ईसाइयों में सिचुआन के अर्ली रेन कवनेंट चर्च के प्रमुख पादरी वांग यी और उनकी पत्नी भी शामिल हैं. दोनों पर राज्य सत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोह का आरोप लगाया गया है.

इसके बाद रविवार सुबह दर्जनों पुलिसकर्मियों ने गुआनझाउ में रॉन्गविलाई चर्च में बच्चों की बाइबिल क्लास में छापा मारा था.

आधिकारिक तौर पर चीन एक नास्तिक देश है. फिर भी वह धार्मिक स्वतंत्रता की अनुमति देता है.

लेकिन पिछले कई सालों से चीन में उन धार्मिक नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा रही है जिन्हें वो शासन और स्थायित्व के लिए ख़तरा समझती है.

ह्यूमन राइट्स वॉच सरकार के धार्मिक विश्वास के सम्मान के दावे को एक धोखा बताता है.

चीन की सरकार ईसाइयों को थ्री-सेल्फ़ पैट्रीओटिक चर्च, राज्य-स्वीकृत निकायों में से किसी एक में शामिल होने के लिए दबाव डालती है, जो कम्युनिस्ट पार्टी के विचारधारा से सहमति रखते हैं और स्वीकृत पादरियों द्वारा चलाए जाते हैं.

आलोचनाओं को दबाना

इसके बावजूद हाल के वर्षों में चीन में ईसाइयों की संख्या में तेज़ी से वृ​द्धि हुई है. एक अनुमान के मुताबिक़ चीन में 10 करोड़ ईसाई रहते हैं और इनमें से अधिकतर भूमिगत चर्चों में पूजा करते हैं.

वागं यी इसी तरह के अनाधिकारिक चर्च अर्ली रेन कवनेंट में पादरी हैं. यह चर्च दक्षिण-पश्चिमी सिचुआन प्रांत की राजधानी चंगुडु में स्थित है.

यह चर्च इसलिए अलग है क्योंकि यह खुलेआम पूजा करता है और ईसाई धर्म प्रचार से जुड़ी सामग्री ऑनलाइन डालता है. चर्च का कहना है कि शहर में उसके 800 अनुयायी हैं. यह एक छोटा स्कूल भी चलाता है.

वांग यी मुखर होने के लिए भी जाने जाते हैं. वह चीन के धर्म पर नियंत्रण की नीति के कड़े आलोचक हैं और चर्च के संबंध में लाए गए एक नए क़ानून के ख़िलाफ़ याचिका तैयार कर चुके हैं.

इस क़ानून के मुताबिक चर्चों पर सख़्त निगरानी रखने और लाइन से अलग चलने वालों पर कठोर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है.

'चर्च छोड़ने का बनाया दबाव'

पुलिस ने 9 दिसंबर को चर्च में छापा मारा और वांग यी व उनकी पत्नी जियांग रॉन्ग को गिरफ़्तार कर लिया. इसके बाद अगले दो दिनों में चर्च के 100 सदस्यों को पकड़ा गया. इसमें वांग यी के असिस्टेंट भी शामिल हैं.

अपना नाम छिपाने की शर्त पर चर्च के एक सदस्य ने बीबीसी को बताया कि चर्च के स्कूल का ताला तोड़ा गया था. चर्च जाने वालों के घर लूटे गए और कुछ को ''घर में ही नज़रबंद कर दिया गया था या उनका पीछा किया जाता था.''

वह कहती हैं कि पुलिस और अन्य अधिकारियों ने घर-घर जाकर लोगों पर दबाव बनाया था कि वो चर्च छोड़ने और उनके बच्चों को चर्च के स्कूल से निकालने की शपथ पर साइन करें.

सदस्य ने बताया, ''रविवार को कुछ सदस्य पूजा के लिए अन्य जगहों पर इकट्ठा हुए थे लेकिन वहां पर भी उन्हें पकड़ लिया गया. पुलिस ने और सादे कपड़ों में आए अधिकारियों ने चर्च को घेर लिया. वो किसी को भी पूजा के लिए चर्च में नहीं जाने दे रहे थे.''

चर्च का आरोप है कि हिरासत में लेने के बाद छोड़े गए लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है.

बाइबिल की क्लास में छापा

वांग यी को गिरफ़्तार करने के 48 घंटों बाद अर्ली रेन कवनेंट चर्च ने उनकी तरफ से एक पत्र जारी किया है, जो उन्होंने पकड़े जाने की आशंका के चलते अपनी रिहाई के लिए लिखा था.

इसमें उन्होंने लिखा है कि वह चीनी प्रशासन का सम्मान करते हैं और उनकी ''चीन में किसी राजनीतिक या क़ानूनी संस्थाओं को बदलने में रुचि नहीं है.''

लेकिन, उन्होंने कहा कि उनमें ''साम्यवादी प्रशासन के ख़िलाफ़ चर्च का उत्पीड़न करने को लेकर गुस्सा और नाराज़गी भरी हुई थी. क्रिश्चन चर्च के पादरी होने के नाते मुझे इस क्रूरता की खुले तौर पर गंभीरता से निंदा करनी चाहिए.''

वांग यी और उनकी पत्नी का एक 11 साल का बेटा है. उन पर राज्य सत्ता के ख़िलाफ़ विद्रोह का आरोप लगाया गया है. यह देश के ख़िलाफ़ किए जाने वाले गंभीर अपराधों में से एक है और इसका इस्तेमाल विरोधियों को शांत करने के लिए भी किया जाता है.

गुआंगझाउ में एक और अस्वीकृत समुदाय के तौर पर रॉन्गविलाई चर्च के दरवाजों को भी सील कर दिया गया.

शनिवार को दर्जनों पुलिसकर्मी बच्चों की बाइबिल की क्लास में आ गए.

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने चर्च को एक अवैध सभा घोषित कर दिया, बाइबिल और अन्य सामग्रियों को ज़ब्त कर लिया और दरवाज़े बंद कर दिए.

अधिकारियों ने लोगों को नाम और पतों से पुकारा और हर किसी को अपना फ़ोन देने के लिए कहा.

सितंबर में बीजिंग के बड़े अनाधिकारिक चर्चों में से एक ज़िओन चर्च को अचानक बंद कर दिया गया. कुछ समय पहले ही चर्च ने निगरानी के लिए सुरक्षा कैमरे लगाने के सरकार के अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया था.

पादरी जिन मिंग्री ने न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स से कहा, ''मुझे डर है कि प्रशासन के साथ इस मसले को सुलझाने के ​लिए हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है.''

चर्च गिराने की घटनाएं

चीन में इस साल चर्च गिराने, क्रॉस चिन्ह को ज़बरदस्ती हटाने या गिरफ़्तारियों की कई घटनाएं सामने आई हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि अर्ली रेन और रॉन्गविलाई चर्च में छापेमारी इस बात का संकेत है कि चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तहत समाज के सभी पक्षों पर सख़्त नियंत्रण रखने की कोशिश कर रहा है.

ह्यूमन राइट्स वॉच के हॉन्ग-कॉन्ग में रहने वाले शोधकर्ता याकियू वांग ने कहा, ''क्रिस्मस और नए साल जैसे छुट्टियां आ रही हैं. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से चीन के स्वतंत्र चर्चों की स्थिति पर ध्यान देने की और चीन सरकार के इस दमन के ख़िलाफ़ बोलने की मांग करते हैं. ''

नाम छुपाने की शर्त पर अर्ली रेन चर्च के एक सदस्य कहते हैं कि अर्ली रेन के ख़िलाफ़ जिस स्तर पर कार्रवाई की गई वो हैरान करनी वाली थी. हालांकि, अभी और ज़्यादा की उम्मीद की जा सकती है.

वह कहते हैं, ''मैं बहुत ख़ुशनसीब हूं कि वो अभी मुझ तक नहीं पहुंच पाए हैं.''

वो कहते हैं, ''हम लोग इकट्ठा होना जारी रखेंगे. चर्च के बंद हो जाने से बड़े स्तर पर इकट्ठा होना तो संभव नहीं होगा लेकिन रविवार और क्रिसमस के दिन छोटी सभा होगी.''

ये भी पढ़ें:

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)