अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की पांच बड़ी बातें

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अमरीका और चीन के बीच व्यापार युद्ध जारी है. इसे एक कदम और आगे बढ़ाते हुए अमरीका ने सोमवार को 200 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर नया टैरिफ़ लगा दिया है.
ये टैरिफ़ 5 हज़ार से ज़्यादा वस्तुओं पर लगाया जाएगा. दोनों देशों के बीच टकराव का ये सिलसिला जुलाई में शुरू हुआ था जब अमरीका ने पहली बार चीनी उत्पादों पर नए टैरिफ़ लगाए थे.
इसके बाद से दोनों ही देश कई बार एक-दूसरे को चेतावनियां दे चुके हैं. इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ, समझे यहां.
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अमरीका पहले भी चीन पर टैरिफ़ लगा चुका है. इस साल में ये तीसरा मौका है जब अमरीका ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ़ बढ़ाया है.
जुलाई में, अमरीका ने 34 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाया था. इसके बाद पिछले महीने एक कदम और आगे बढ़ते हुए अमरीका ने 16 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाया था.
तीसरी बार लगाए गए टैरिफ़ के बाद चीन से अमरीका में जाने वाले आधे उत्पाद नए टैरिफ़ के दायरे में आ चुके हैं.
अब इससे बढ़ने वाली कीमतों का असर बाजार पर पड़ना शुरू हो सकता है. अमरीकी कंपनियों ने भी कारोबार की लागत बढ़ने और नौकरियां जाने की चेतावनी दी है.
हालांकि, विशेषज्ञ टैरिफ़ का बहुत कम असर पड़ने की बात कह रहे हैं.

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1. किन उत्पादों पर लगा टैरिफ़
अधिकारियों का कहना है कि जितना संभव हो सके वो उपभोक्ता उत्पादों को टैरिफ़ के दायरे से बचाना चाहते हैं.
लेकिन कई महत्वपूर्ण उत्पाद जैसे सूटकेस, हैंडबैग्स, टॉयलेट पेपर और ऊन तीसरे चरण के टैरिफ़ में शामिल किए गए हैं.
इस सूची में खाने के कई सामान जैसे फ्रोज़न मीट, कई तरह के फल, दाल और चावल भी शामिल हैं.
वहीं, कंप्यूटर नेटवर्क को चलाने के लिए जरूरी राउटर्स जैसे उत्पाद भी निशाने पर हैं.

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2. कौन से उत्पाद बचे हैं
टैरिफ़ लगाने वाले उत्पादों की सूची में 6000 वस्तुएं शामिल थीं लेकिन बाद में अमरीकी अधिकारियों ने उनमें से 300 वस्तुएं बाहर कर दी थीं.
बाहर किए गए सामानों में स्मार्ट वॉच, साइकिल के हेलमेट, प्ले पेन, हाई चेयर और बेबी कार सीट शामिल थे.
ये बदलाव ऐप्पल, डेल और हेवलेट पैकर्ड जैसी वैश्विक कंपनियों के सख्त विरोध जताने के बाद किए गए.
कंपनियों को डर था कि इससे उत्पादों की क़ीमत बढ़ जाएगी क्योंकि इनके कई उत्पाद चीन में बनते हैं.

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3. अमरीका ऐसा क्यों कर रहा है
अमरीका का कहना है कि चीन की 'अनुचित' व्यापार नीति के कारण टैरिफ़ बढ़ाए गए हैं.
ये भी कहा जा रहा है कि टैरिफ़ लगाने से आयात किए गए उत्पादों के मुकाबले अमरीकी उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और इससे अमरीकी उत्पादों की बिक्री बढ़ जाएगी.
इस तरह अमरीका स्थानीय कारोबार को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था को मजबूती देना चाहता है.
अमरीकी अधिकारियों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने के डर से चीनी सरकार अपनी नीतियों में कुछ बदलाव करेगी.

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4. चीन की प्रतिक्रिया
अमरीका के टैरिफ़ बढ़ाने के बाद चीन ने भी जवाबी कार्रवाई में 50 अरब डॉलर की कीमत के अमरीकी उत्पादों पर शुल्क लगाया था.
चीनी सरकार ने 60 अरब डॉलर के और अमरीकी उत्पादों पर शुल्क लगाने की योजना बनाई थी और अन्य उपाय अपनाने की भी चेतावनी दी थी.

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5. अमरीका-चीन बात कर रहे हैं?
नहीं, दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय बातचीत मई में ही ख़त्म हो गई. इस बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला था. बातचीत शुरू करने के प्रयास भी असफल हो गए.
अमरीकी और चीनी अधिकारियों के बीच पिछले कुछ हफ़्तों में बैठक के लिए चर्चा हुई थी लेकिन नए टैरिफ़ के बाद रिश्तों में और कड़वाहट आ सकती है.
चीन ने कहा था कि अगर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप 200 अरब डॉलर के उत्पादों पर टैरिफ़ लगाते हैं तो वह आगे की बातचीत ख़ारिज कर देगा.
ट्रंप के आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने इससे पहले कहा था कि अमरीका को अब भी बातचीत से खुशी होगी.
उन्होंने कहा, ''जब भी चीन गंभीर और ठोस बातचीत करने के लिए तैयार होता है तो हम इसके के लिए तैयार हैं.''
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