आईएसआई नहीं चाहती कि नवाज़ शरीफ़ 25 जुलाई से पहले बाहर आएं

    • Author, शाहज़ाद मलिक
    • पदनाम, बीबीसी उर्दू संवाददाता, इस्लामाबाद

इस्लामाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज, जस्टिस शौकत अज़ीज़ सिद्दीक़ी ने दावा किया है कि फ़ौज की ख़ुफ़िया संस्था आईएसआई की मर्ज़ी के मुताबिक फ़ैसले देने पर उन्हें वक़्त से पहले मुख्य न्यायाधीश बनवाने और उनके ख़िलाफ़ दायर मामले ख़त्म करवाने की पेशकश की थी.

जस्टिस शौकत सिद्दीक़ी ने यह आरोप शनिवार को रावलपिंडी बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में दिए अपने भाषण में लगाए हैं.

उन्होंने दावा किया कि आईएसआई पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप कर रही है.

अपने भाषण में जस्टिस सिद्दीक़ी ने कहा कि आईएसआई के अधिकारियों ने उनसे मुलाक़ात की थी और कहा था कि अगर वो उनकी मर्ज़ी के मुताबिक़ फ़ैसले देंगे तो उन्हें इस साल सितंबर में ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया जाएगा.

जस्टिस सिद्दीक़ी के मुताबिक़, उनसे कहा गया था ,"हमारी मर्ज़ी के फ़ैसले देंगे तो आपको न सिर्फ़ वक़्त से पहले चीफ़ जस्टिस बना देंगे बल्कि आपके ख़िलाफ़ जो मामले हैं उनको भी ख़त्म करवा देंगे.''

ग़ौरतलब है कि जस्टिस सिद्दिक़ी इस साल नवंबर में चीफ़ जस्टिस बनने वाले हैं. उनके ख़िलाफ़ कुछ वक्त पहले सुप्रीम कोर्ट की जुडिशियल काउंसिल में भ्रष्टाचार से जुड़ा एक मामला दायर हुआ था. हालांकि यह मामला उस वक्त आगे नहीं बढ़ा था.

इस न्यायिक मामले की सुनवाई जुलाई के आख़िरी हफ़्ते में होने वाली है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ये बहस का मुद्दा बन सकता है.

सिर्फ़ जस्टिस सिद्दीक़ी ही नहीं बल्कि चीफ़ जस्टिस मियां शाक़िब निसार और सुप्रीम कोर्ट के अन्य पांच जजों के ख़िलाफ़ भी न्यायिक मामले दायर किए गए हैं लेकिन सुनवाई के लिए उनकी तारीख़ अभी तक तय नहीं हुई है.

जस्टिस सिद्दीक़ी ने कहा कि उन्होंने फ़ौज के ख़ुफ़िया संस्थान के अधिकारी से दो टूक अल्फ़ाज़ में कह दिया था कि वह अपने ज़मीर को गिरवी रखने की जगह मौत को अधिक तरज़ीह देना पसंद करेंगे.

उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके इनकार के बाद आईएसआई के अधिकारियों ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस अनवर काज़ी से संपर्क कर उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की सज़ा के ख़िलाफ़ दायर अपील की सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल न करने के लिए कहा.

उनका आरोप है कि ऐसा इसलिए क्योंकि आईएसआई नहीं चाहती कि 25 जुलाई को होने वाले चुनाव से पहले नवाज़ शरीफ़ और उनकी बेटी मरियम नवाज़ शरीफ़ जेल से बाहर आएं.

जस्टिस सिद्दीक़ी के मुताबिक़, इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस ने आईएसआई की पेशकश स्वीकार कर ली थी और ऐसा बेंच बनाया गया जिसने अपील की सुनवाई की तारीख 25 जुलाई के बाद यानी आम चुनाव के बाद की रखी है.

उनके इस बयान पर हॉल में मौजूद वकीलों ने शेम-शेम के नारे लगाए.

बीते सप्ताह नेशनल एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (नैब) की एक अदालत ने नवाज़ शरीफ़ और उनकी बेटी मरियम नवाज़ और दामाद कैप्टन सफ़दर को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी क़रार दिया था.

जस्टिस शौकत अज़ीज़ सिद्दीक़ी का कहना था कि "देश की तक़दीर के साथ जो खिलवाड़ किया जा रहा है वो बहुत बदक़िस्मती की बात है."

"आईएसआई कोर्ट के मामले को प्रभावित करने में पूरी तरह शामिल है. आईएसआई के लोग विभिन्न जगहों पर पहुंचकर अपनी मर्ज़ी की कोर्ट की बेंच बनवाते हैं और केसों को चिन्हित किया जाता है."

जस्टिस सिद्दीक़ी का कहना था इसके अलावा आईएसआई यह फ़ैसला भी लेती है कि कौन सा मुक़दमा कौन-सी बेंच के पास भिजवाना है.

उनका कहना था कि अकाउंटेबिलिटी अदालत के फ़ैसले पर अमल होने पर नज़र रखना इस्लामाबाद हाईकोर्ट की ज़िम्मेदारी थी लेकिन नवाज़ शरीफ़ के ख़िलाफ़ चलने वाले मामले की निगरानी आईएसआई और सुप्रीम कोर्ट करती रही.

उनका आरोप है ,"पूर्व प्रधानमंत्री और उनके बच्चों के ख़िलाफ़ मामलों में होने वाली कार्यवाही के बारे में आईएसआई को विवरण दिया जाता था."

जस्टिस सिद्दीक़ी का कहना था कि उन्हें नहीं मालूम कि आज के बाद उनके साथ क्या होगा लेकिन वह किसी तौर पर भी अपने ज़मीर का सौदा नहीं करेंगे.

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