क्या अमरीका और चीन कारोबारी जंग की कगार पर हैं?

अमरीका चीन

इमेज स्रोत, Getty Images

    • Author, एंड्र्यू वॉकर
    • पदनाम, आर्थिक संवाददाता, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस

अमरीका और चीन ने एक दूसरे के यहां से आयात होने वाले सामानों पर अधिक टैरिफ़ यानी शुल्क लगा दिया है. लेकिन दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ये खींचतान क्या पूरी तरह से कारोबारी जंग में तब्दील हो जाएगी?

शायद ये जंग शुरू भी हो गई है. दोनों तरफ़ से एक-दूसरे पर शुरुआती वार भी किए जा चुके हैं.

अमरीका ने स्टील और एल्यूमीनियम पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है. जो देश अमरीका के साथ ज्यादा आयात करते हैं उन्हें इससे छूट दी गई है (शायद अस्थायी रूप से), लेकिन इन देशों में चीन शामिल नहीं है.

इसकी जवाबी कार्रवाई में चीन ने भी पोर्क, वाइन, फल और सूखे मेवों जैसे अमरीकी उत्पादों के आयात पर शुल्क बढ़ा दिया है.

इस तरह का व्यवसायिक टकराव कब ट्रेड वॉर या कारोबारी जंग का रूप ले लेता है, इसकी कोई तय परिभाषा नहीं है, लेकिन जो कदम अमरीका और चीन ने उठाए हैं और जिस तरह की ज़ुबानी जंग दोनों के बीच चल रही है - वो आर्थिक रूप से गंभीर संघर्ष को बढ़ाने का ही काम कर रही है.

इन सब के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार पर पड़ने वाला असर बेहद मामूली है.

अमरीका चीन

इमेज स्रोत, Getty Images

अमरीका ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया

पिछले साल अमरीका ने चीन से तीन बिलियन डॉलर का स्टील और एल्यूमीनियम आयात किया था. ये अमरीका में चीन से आयात का एक फ़ीसदी से भी कम था.

चीन की जवाबी कार्रवाई भी अमरीका से व्यापार के इतने ही हिस्से पर है, लेकिन ये शेयर अमरीका के मुकाबले कुछ ज्यादा (करीब 2%) है.

ऐसा भी तर्क दिया जा सकता है कि स्टील और एल्यूमीनियम पर लगाया गया शुल्क ट्रेड वॉर का कारण नहीं बन सकता क्योंकि ये सीधे तौर पर चीन के लिए नहीं था.

अमरीका ने इस कार्रवाई के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया है. उसका कहना है कि देश की सेना को धातुओं के लिए आयात पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. और तमाम छूटों के बावजूद चीन अकेला देश नहीं है जिस पर शुल्क लगाया गया है.

लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि अमरीका चीन के ख़िलाफ़ कई और भी ऐसे कदम उठाने की तैयारी कर रहा है.

अमरीका चीन

इमेज स्रोत, Getty Images

और टैरिफ़ लगाने की तैयारी

अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ख़ासकर चीन से आने वाले अन्य सामानों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है. चीन के ख़िलाफ़ इस तरह के कड़े कदम उठाकर अमरीका दरअसल चीन को अमरीकी बौद्धिक संपदा और कॉपीराइट की चोरी करने से रोकना चाहता है.

अमरीका के नए प्रस्ताव के बाद दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पर दस गुना से भी ज्यादा असर पड़ेगा. चीन ने भी इसका जवाब देने का फैसला किया है. वो भी ऐसा ही प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है जिससे अमरीका को भी इतना ही बड़ा आर्थिक झटका लगे. इससे चीन में अमरीका से आने वाली सोयाबीन और कारों के आयात पर असर पड़ेगा.

इस दूसरे दौर के प्रस्ताव में निश्चित तौर पर दोनों के बीच होने वाले व्यापार पर बड़ा असर होगा.

बात चीन की करें तो उसके इस प्रस्ताव के आने के बाद अमरीका से आयात किए जाने वाले करीब एक तिहाई सामानों पर असर होगा. लेकिन, स्टील और एल्यूमीनियम पर बढ़ाए गए शुल्क को छोड़ दें तो ये अभी सिर्फ प्रस्ताव ही हैं.

अमरीका चीन

इमेज स्रोत, Photoshot

विश्व व्यापार संगठन का रोल

अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि वो चीन के साथ बातचीत करने को तैयार हैं.

ये भी ध्यान देने वाली बात है कि दोनों पक्ष अपने बीच बढ़ रहे विवाद के जोखिम को कम करने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की प्रक्रिया का उपयोग कर रहे हैं.

उदाहरण के लिए अमरीका ने बौद्धिक संपदा को लेकर चीन से परामर्श करने के बारे में पूछा है. ये कदम डब्ल्यूटीओ सिस्टम का पहला चरण हैं. इसके आधार पर एक स्वतंत्र पैनल का गठन किया जा सकता है, जो ये देखता है कि किसी नियम का उल्लंघन तो नहीं हुआ है.

यहां ये कहना भी ज़रूरी है कि दोनों पक्ष एक निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए विश्व व्यापार संगठन की विवाद प्रक्रिया में लगने वाले समय को लेकर कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार इस प्रक्रिया के पूरे होने में महीनों, यहां तक की सालों तक लग जाते हैं. और ये भी जरूरी नहीं कि फ़ैसला शिकायतकर्ता कंपनी के मन मुताबिक ही आए.

अमरीका चीन

इमेज स्रोत, Getty Images

पहले भी हुए ऐसे विवाद

इससे पहले भी कई व्यापारिक झड़पें होती रही हैं. जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने भी अपने राष्ट्रपतिकाल के शुरुआती दिनों में स्टील पर शुल्क लगाया था और इसके जवाब में यूरोपीय संघ ने भी कई शुल्क लगा दिए थे. इसके अलावा उसने कई दूसरे देशों के साथ मिलकर विश्व व्यापार संगठन में शिकायत भी दर्ज करवाई थी.

लेकिन वो जवाबी कार्रवाई कभी अमल में आई ही नहीं क्योंकि डब्ल्यूटीओ से प्रतिकूल फ़ैसला आने के बाद अमरीका ने स्टील पर लगाया शुल्क वापस ले लिया था.

1960 में 'चिकन वॉर' नाम की व्यापारिक झड़प देखने को मिली थी. अमरीका के सस्ते आयात पर शुल्क के जवाब में जर्मनी और फ्रांस ने उनके यहां से आयात होने वाले चिकन पर शुल्क लगा दिया था. अमरीका ने पलटवार करते हुए आलू के स्टार्च, डेक्सट्रिन, ब्रांडी और लाइट ट्रकों पर शुल्क लगा दिया था.

ये शुल्क बाद में हटा लिए गए. लेकिन लाइट ट्रकों पर अमरीका में 25 फीसदी शुल्क जारी रहा.

अमरीका चीन

इमेज स्रोत, Getty Images

सबसे बड़ा विवाद 1930 में हुआ था. जब पहले अमरीका ने कई चीज़ों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था. इसके जवाब में कई और देशों ने व्यापार अवरोधों को बढ़ा दिया था. इससे तनाव बहुत हद तक बढ़ गया था. बीसवीं सदी में विश्व व्यापी आर्थिक मंदी का इस तनाव से सीधा नाता था.

इसमें कोई शक नहीं है कि अमरीका और चीन के बीच मौजूदा खींचतान ने माहौल को गरमा दिया है. लेकिन हालात अभी भी बहुत ज्यादा बिगड़े नहीं है. इसे बदला जा सकता है.

वित्तीय बाज़ार से मिलने वाली प्रतिक्रियाएं इशारा कर रही हैं और निवेशकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच पनप रहे ट्रेड वॉर से बचा जा सकता है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)