परमाणु हमले के आदेश पर क्या कोई राष्ट्रपति ट्रंप को ना कह सकता है?

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दावा: अगर राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप परमाणु हमले का अवैध आदेश देते हैं तो अमरीकी सेना उन्हें इनकार सकती है.
हक़ीक़त: हालांकि सामान्य परिस्थितियों में कोई भी राष्ट्रपति का आदेश मानने से इनकार नहीं कर सकता है लेकिन अमरीकी सेना के जनरल परमाणु हमले पर स्पष्टीकरण मांग सकते हैं और वे किसी अवैध आदेश को मानने से इनकार कर सकते हैं.
हाल के महीनों में उत्तर कोरिया और अमरीका के बीच बढ़ते तनाव की वजह से लोग ये पूछ रहे हैं कि परमाणु हमला करने से राष्ट्रपति ट्रंप को आख़िर कौन रोक रहा है?
एक रिटायर्ड मिलिट्री जनरल ने कांग्रेस से कहा है कि कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में सेना राष्ट्रपति ट्रंप को ना कह सकती है. अब अमरीकी स्ट्रैटेजिक कमांड के चीफ़ जनरल जॉन हाइटन ने हैलीफ़ैक्स इंटरनेशनल सिक्योरिटी फोरम में कहा कि अगर उन्हें ऐसा कोई आदेश अवैध लगा तो वे इसके ख़िलाफ़ सलाह देंगे.
लेकिन क्या किसी को ये हक़ है कि वो परमाणु हमला करने के राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश को इनकार कर सके?

परमाणु कोड
अगर राष्ट्रपति परमाणु हमला करने की सोचते हैं तो उन्हें सबसे पहले अपने सलाहकारों से उपलब्धों विकल्पों पर मशविरा करना होगा. इसके बाद ट्रंप पेंटागन में मिलिट्री के वरिष्ठ कमांडरों को इस सिलसिले में आदेश जारी करेंगे.
ये कमांडर राष्ट्रपति के पहचान की पुष्टि सिक्रेट कोड्स के ज़रिए करते हैं और ये कोर्ड जिस कार्ड पर छपा हुआ होता है, उसे 'बिस्कुट' कहते हैं. अमरीकी राष्ट्रपति जहां कहीं भी जाते हैं, ये बिस्कुट उनके साथ जाता है.
राष्ट्रपति का ये आदेश अमरीकी स्ट्रैटेज़िक कमांड के पास पहुंचता है और फिर यहां से आगे की कार्रवाई के आदेश के साथ ग्राउंड स्टाफ़ तक संदेश पहुंचता है. सेना के ये ग्राउंड स्टाफ़ ज़मीन पर हो सकते हैं, पानी के भीतर किसी पनडुब्बी में हो सकते हैं. इसके बाद यहां से मिसाइल दागी जाती है.
सवाल उठता है कि इस पूरी प्रक्रिया में क्या कोई ऐसा है भी है जो अमरीकी राष्ट्रपति के आदेश को मानने से इनकार कर सकता है?

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कमांडर-इन-चीफ़
अमरीका में इस सवाल को लेकर क़ानूनी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट है. अमरीकी राष्ट्रपति एक मात्र ऐसे व्यक्ति होंगे जो परमाणु हमले का आदेश देने के लिए अधिकृत हैं.
सामान्य परिस्थितियों में किसी को भी राष्ट्रपति की आदेश की अवहेलना का अधिकार नहीं है. कमांडर-इन-चीफ़ की हैसियत से ये राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में आता है.
सैद्धांतिक रूप से उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को सत्ता से बाहर कर सकते हैं बशर्ते कैबिनेट का बहुमत इस बात पर सहमत हो कि राष्ट्रपति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने लायक नहीं रह गए हैं.
लेकिन ड्यूक यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफ़ेसर पीटर फ़ीएवर का कहना है, "ये बात सही नहीं है कि ट्रंप के परमाणु हमला करना ट्वीट करने जितना आसान है. राष्ट्रपति जो आदेश देते हैं तो वो कई स्तरों से गुजरती हुई अमल में लाई जाती है. इस सिरीज़ में नीचे का कोई व्यक्ति ही परमाणु बटन दबाता है."
हां, ये ज़रूर है कि तमाम नकारात्मक सलाहों के बावजूद राष्ट्रपति ट्रंप के पास हमला करने का आदेश देने का कानूनी हक़ है. लेकिन अपने आदेश की तामील करवाने के लिए उन्हें सेना के जनरलों को मनाना होगा.

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क़ानूनी आदेश
जनरल हाइटन की दलील है कि अगर परमाणु हमले का आदेश अवैध हुआ तो वे इसे मानने से इनकार कर देंगे. उन्होंने कहा, "अगर आप किसी अवैध आदेश को मानते हैं तो बाक़ी उम्र के लिए जेल जा सकते हैं."
तो ऐसी क्या बात हो सकती है जिसकी वजह से परमाणु हमले का कोई आदेश अवैध हो जाए. कुछ लोगों का कहना है कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का कोई भी आदेश अवैध ही होगा. भले ही आप इस दलील से सहमत न हों लेकिन कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अवैध क़रार दिया जा सकता है.
डलास से साउदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी में क़ानून के प्रोफ़ेसर एंथनी कोलांजेलो की राय में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल से अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन होगा. इन कानूनों को अमरीका ने रजामंदी दी है जैसे जिनेवा कन्वेंशन. ये क़ानून बताते हैं कि युद्ध की परिस्थितियों में कोई देश कैसा बर्ताव करेगा.
ये राय न केवल प्रोफ़ेसर एंथनी की है बल्कि अमरीकी रक्षा विभाग के नियम भी कुछ ऐसा ही कहते हैं.
प्रोफ़ेसर एंथनी कोलांजेलो कहते हैं, अगर राष्ट्रपति कोई अवैध आदेश देते हैं तो ऊपर से लेकर तो इस आदेश की तामील करने वाला हर शख़्स युद्ध अपराध के लिए ज़िम्मेदार होगा. ऐसा आदेश मानने से इनकार करना उनकी ज़िम्मेदारी बनती है.

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क्या अधिकारी इनकार कर पाएंगे
हर कोई इस स्थिति में नहीं हो सकता कि वो ये तय कर सके कि आदेश वैध या अवैध. राष्ट्रपति या उनके टॉप मिलिट्री जनरलों के पास जो जानकारी होगी वो पानी के भीतर मौजूद पनडुब्बी में तैनात किसी सैनिक के पास नहीं हो सकती.
बहुत मुमकिन है कि वो इस स्थिति में न हों कि ये बता सकें कि ये आदेश अवैध है.
अगर कोई जनरल राष्ट्रपति के आदेश को मानने से इनकार कर दे तो बेशक उसे नौकरी से निकाला जा सकता है लेकिन उसकी जगह जो व्यक्ति लाया जाएगा, वो भी क़ानून मानने के लिए उतना ही बाध्य होगा.
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