कैसे पता लगता है कि तख्तापलट हुआ है?

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जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे को सेना ने गिरफ़्तार कर लिया है. इससे पहले सेना ने राष्ट्रीय प्रसारणकर्ता ज़ेडबीसी पर कब्ज़ा कर लिया था.
राजधानी हरारे की सड़कों पर सैनिक और सैन्य वाहन मौजूद हैं और बुधवार को गोलीबारी की आवाज़ें भी सुनाई दीं.
क्या ये तख़्तापलट है? सेना का कहना है कि ऐसा नहीं है लेकिन ऐसा लगता है कि निश्चित पर संकेत ऐसे ही हैं.
पूरी दुनिया में दशकों तक किसी तख़्तापलट को पहचानने के लिए कुछ संकेतों को निर्णायक माना जाता रहा है.
तो क्या जिम्बाब्वे में जो कुछ हो रहा है, वो तख़्तापलट है?

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1-कोई नहीं कहता तख़्तापलट हुआ है
दक्षिण अफ़्रीका में जिम्बाब्वे के दूत इसाक मोयो ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि 'सेना ने सत्ता नहीं हथियाई है और कोई तख़्तापलट नहीं हुआ है.'
मोयो ने सरकारी टेलीविज़न पर कहा, "हम केवल अपराधियों (राष्ट्रपति मुगाबे के क़रीबियों) को निशाना बना रहे हैं, जो सामाजिक और आर्थिक दिक्कतों के कारण हैं. जैसे ही हम अपने मिशन को पूरा कर लेंगे, हम उम्मीद करते हैं कि स्थिति सामान्य हो जाएगी."
लेकिन स्थिति इससे ज़्यादा ख़तरनाक दिखाई दे रही है.
आम तौर पर तख़्तापलट की कोशिश में इस तरह की गोलमोल बातें की जाती हैं.
बीते अगस्त में वेनेज़ुएला में भी सेना के अधिकारियों ने इसी तरह की कोशिश की थी.
इसके नेता जुआन ने कहा था कि ये तख़्तापलट नहीं है बल्कि संवैधानिक स्थिति को मज़बूत करने की कार्रवाई है.
लेकिन वेनेजुएला की सत्ताधारी पार्टी ने इसे 'आतंकी हमला' क़रार दिया था.

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2- राष्ट्र का नेता कहां है?
जब भी तख़्तापलट होता है, ये देखा जाता है कि राष्ट्र का नेता कहां है.
दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति जैकब ज़ुमा के कार्यालय के अनुसार, राष्ट्रपति मुगाबे को हरारे में उनके घर पर नज़रबंद कर लिया गया है. कथित तौर पर उन्होंने फ़ोन पर बताया था कि वो ठीक हैं.
अभी उनकी 52 साल की पत्नी ग्रेस मुगाबे के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है. वो अपने पति की उत्तराधिकारी होने की होड़ में रही हैं और मुगाबे सरकार में सबसे ताक़तवर मानी जाती हैं.
हालांकि लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए विपक्षी आंदोलन के सांसद एडी क्रास ने बीबीसी को बताया है कि ग्रेस मुगाबे मंगलवार रात नामीबिया चली गईं हैं.
बीबीसी संवाददाता जोनाथन मार्कस का कहना है कि जुलाई 2016 में तुर्की में हुई तख़्तापलट की कोशिश असफल इसलिए भी हुई क्योंकि साजिशकर्ता राष्ट्रपति रेचप तैय्यप अर्देआन को कैद करने में असफल रहे.

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1989 में जब अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर ने पनामा पर कब्ज़ा किया तो जनरल मैनुएल नोरिएगा ने वैटिकन दूतावास में खुद को बंद कर लिया था.
साल 2009 में होंडुरास में सेना ने राष्ट्रपति मैनुअल ज़ेलाया को सत्ता से हटाकर एक हवाई जहाज में बैठा दिया था.
वो कोस्टा रिका पहुंचे थे. इसके तीन महीने बाद वो अचानक लौट आए और ब्राज़ील के दूतावास में शरण ली.
3-सड़कों पर विरोध प्रदर्शन-गोलीबारी
लोकतंत्र के लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू होना, तख़्तापलट का मुख्य संकेत होता है.
प्रदर्शनकारी आम तौर पर लोकतंत्र स्थापित करने और दमनकारी सत्ता को गिराने की दुहाई देते हैं ताकि सेना आगे आए और सत्ता हथिया ले.
2010-11 में अरब स्प्रिंग के दौरान मिस्र में भारी विरोध प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को सत्ता से हटना पड़ा था. इसके बाद ऐसे ही आंदोलन लीबिया, ट्यूनीशिया, यमन और सीरिया में शुरू हुए.

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मिस्र की सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया. मुबारक सत्ता से हट गए और इस खाली जगह को सेना ने भरा.
तुर्की में तख़्तापलट की कार्रवाई के दौरान ही लोग अर्देआन के समर्थन में सड़कों पर आ गए.
लेकिन जिम्बाब्वे में जनता की ओर से कोई प्रदर्शन नहीं दिखाई देता.
4- विदेशी राष्ट्र अपने नागरिकों को सलाह जारी करते हैं
राष्ट्रों के दूतावास अपने नागरिकों को सुरक्षित रहने के लिए सलाहें जारी करते हैं.
जिम्बाब्वे में, ब्रिटेन के दूतावास ने अपने नागरिकों को सुरक्षित रहने की सलाह जारी की है.
अमरीकी दूतावास ने ट्वीट कर स्थिति पर नज़र रखने की बात कही है.
5- सरकारी मीडिया पर कब्ज़ा

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तख़्तापलट के समय बाहर संदेश देना पहुत अहम होता है, इसलिए आम तौर पर विद्रोही सरकारी और निजी मीडिया को अपने मीडिया के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.
जिम्बाब्वे में, सेना ने सरकारी टीवी स्टेशन ज़ेडबीसी मुख्यालय को कब्ज़ा कर लिया.
हालांकि ये तख़्तापलट की कोई गारंटी नहीं है.
तुर्की में सेना के विद्रोही धड़े ने सरकारी प्रसारण पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था, लेकिन बाद में वे असफल हो गए.
1997 में ज़ाम्बिया में तो तख़्तापलट की कोशिश महज तीन घंटे तक ही टिक पाई.
सुबह छह बजे खुद को कैप्टन सोलो ने सरकारी रेडियो पर तख्तालट की घोषणा की और 10 बजे राष्ट्रपति फ्रेडरिक ने घोषणा की कि छह लोग गिरफ़्तार कर लिए गए हैं.

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6- सीमा, पुल और हवाईअड्डे सील
देश या राजधानी पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए, सीमाओं, पुलों और उन सभी जगहों, जहाँ से लोग बाहर निकल सकते हैं, सील कर दिया जाता है.
बुरकिना फासो में सितम्बर 2015 में राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते ने जब तख़्तापलट किया तो सबसे पहले ज़मीनी और हवाई सीमा को सील करने और रात के कर्फ़्यू का आदेश दिया.
पाकिस्तान में 1999 में जब प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने जब जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को हटाने की कोशिश की तो सत्ता का संघर्ष छिड़ गया.
एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल ने मुशर्रफ़ के हवाई जहाज को उतरने की इजाज़त देने से इनकार कर दिया. इसे पहले ओमान और फिर भारत डायवर्ट किया गया.
लेकिन बाद में मुशर्रफ़ के वफ़ादार सैनिकों ने जब कराची हवाईअड्डे को अपने कब्जे में लिया तब जाकर उनका विमान हवाई पट्टी पर उतरा. इसमें 200 लोग सवार थे और तेल लगभग ख़त्म हो चुका था.
इसके घंटों बाद ही उन्होंने तख़्तापलट की घोषणा की.
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