क्या अपनी बेशुमार दौलत से खुशियां भी ख़रीद पाया क़तर?

क़तर

इमेज स्रोत, Getty Images

तेल और गैस ने क़तर को दुनिया के सबसे रईस मुल्कों की फेहरिस्त में शामिल होने में मदद की.

इनके ज़रिए जमा की गई वो बेहिसाब दौलत ही तो थी, जिसके बूते क़तर 2022 के फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप के बुनियादी ढांचे और स्टेडियमों को तैयार करने के लिए 200 अरब डॉलर की बड़ी रकम खर्च करने के लिए तैयार हो गया.

लेकिन इस बेशुमार दौलत के बावजूद भी क्या क़तर ने अपने लिए खुशियां कमाई हैं? यह सवाल इस वक़्त बहुत से लोगों के मन में है.

क़तर

इमेज स्रोत, Sean Gallup/Getty Images

क़तर में जिनके पास ज़्यादा काम नहीं होता, वो गर्मियां बढ़ने पर घर के भीतर एयर कंडीशनर चलाकर आराम फ़रमाते हैं.

अब बदल गई है तस्वीर

एक वक़्त था, जब यहां के परिवार दोपहर में पानी वाले स्रोतों के पास बैठकर आराम किया करते थे. लेकिन अब ये तस्वीर काफी बदल गई है.

जहां कभी हर तरफ रेत बिखरी होती थी, वहां अब ग्लास और स्टील की इमारतें किसी जंगल की तरह उग आई हैं.

क़तर यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफ़ेसर डॉक्टर कलथाम अल-ग़ानिम के शब्दों में इसे समझें तो क़तर के लोगों का सामाजिक और आर्थिक जीवन बदल चुका है.

क़तर

इमेज स्रोत, Getty Images

डॉक्टर कलथाम अल-ग़ानिम कहते हैं, "हम अब शहरी लोग हो गए हैं. हमारा सामाजिक और आर्थिक जीवन बदल गया है. परिवार अलग हो गए हैं. उपभोक्ता संस्कृति अब हर जगह हावी दिखाई देती है."

सरकार ने दी सकारात्मक दिशा

जानकार मानते हैं कि बदलाव की रफ़्तार को क़तर सरकार ने एक सकारात्मक दिशा दी है.

कोई सौ बरस पहले यहां बेहद गरीबी थी. लेकिन अब क़तर को दुनिया के सबसे अमीर मुल्कों में गिना जाता है. 2014 में यहां औसतन प्रति व्यक्ति आय एक लाख डॉलर थी.

क़तर

इमेज स्रोत, AFP

लेकिन इस रईसी का क़तर के समाज पर कितना प्रभाव पड़ा, इसकी समझ कम लोगों को है और इसका आंकलन भी बहुत ही कम लोगों ने किया है.

साथ ही जानकार मानते हैं कि तेज़ी से बढ़ती रईसी से क़तर पर पड़े सामाजिक प्रभाव के बारे में बात भी हमेशा कम की गई है.

वैसे इसका प्रभाव दोहा शहर पर साफ़तौर पर देखा जा सकता है.

दोहा शहर

इमेज स्रोत, AFP

इमेज कैप्शन, दोहा शहर

लगता है जैसे ये शहर कोई कंस्ट्रक्शन साइट हो. शहर में या तो कहीं कुछ तोड़ा जा रहा होता है, या फिर कहीं कोई नया निर्माण कार्य चल रहा होता है.

स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़, क़तर में होने वाली 40 फीसदी शादियां तलाक़ का शिकार हो जाती हैं.

मुल्क के दो तिहाई लोग मोटापे का शिकार हैं. यहां मुफ्त तालीम, फ्री इलाज, नौकरी की गारंटी, बिना ख़र्च के पानी और बिजली जैसी सुविधाएं मिल जाती हैं.

लेकिन इन अकूत सुविधाओं ने अपनी ही तरह की समस्याएं भी खड़ी कर दी हैं.

क़तर

इमेज स्रोत, AFP

क़तर में एक अमरीकी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र ने बताया, "ग्रैजुएट होने वाला कोई भी छात्र यहां नौकरी के 20 प्रस्ताव पाने के बाद हक्का-बक्का रह जाता है. सही फ़ैसला करने का लोगों पर बहुत दबाव रहता है."

'नजदीकियां, अब दूरियों में बदल चुकी हैं'

क़तर के परिवार जिस तरह से बिखर रहे हैं, वहां बच्चों का पालन-पोषण इंडोनेशिया, नेपाल और फ़िलिपींस से आईं महिलाएं (आयाएं) करती हैं.

क़तर में एक भारी 'कल्चरल गैप' दिखाई देता है, जो कि अब यहां काफी आम बात लगने लगा है.

उम्म ख़लाफ़ एक 60 वर्षीय बुर्कानशीं महिला हैं. वह कहती हैं, "कभी हम अपने पर निर्भर हुआ करते थे. अब पारिवारिक नजदीकियां, दूरियों में बदल चुकी हैं. यह देखकर दुख होता है."

2022 के फ़ीफा वर्ल्ड कप के लिए क़तर की दावेदारी को और उसकी कोशिशों को शुरुआत में शक की नज़र से देखा गया था.

क़तर

इमेज स्रोत, AFP

मरियम दहराउज़ पत्रकारिता की छात्रा हैं. बात करते हुए किसी अनजाने ख़तरे को लेकर उनका डर महसूस किया जा सकता था.

नकाब संभालते हुए वो कहती हैं, "क़तर में लोग डरे हुए हैं. अचानक पूरी दुनिया हमें देखना चाहती हैं. हम एक बंद समाज थे. और अब अचानक दुनिया यहां आना चाहती है. हमारे क्या मूल्य रहे हैं, इस बारे में हम उन्हें कैसे बताएं."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)