चुनावी पोस्टर में हिजाब वाला चेहरा पर फ़ोटो नहीं

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अल्जीरिया की सरकारी मीडिया के अनुसार देश की राजनीतिक पार्टियां इस बात पर राज़ी हो गई हैं कि वो पोस्टर में महिलाओं की तस्वीरें छापेंगी.
वोउज वु आदीज इलाके में पार्टियों ने जो पोस्टर लगाए थे उनमें पुरुष उम्मीदवारों की तस्वीरें थीं जबकि महिलाओं को खाली चेहरों पर हिजाब लपेटे दिखाया गया था.
अधिकारियों ने मंगलवार को इन पार्टियों से कहा था कि या तो वो ये पोस्टर उतारें या इन पर महिला उम्मीदवारों के चित्र लगाएं. इसके लिए पार्टियों को दो दिन का समय दिया था.

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चुनाव पर निगरानी रखने वाले इंडिपेंटेंड हाई ऑथोरिटी के हसन नुई ने कहा, "इस तरह की हरकत ख़तरनाक है. ये ग़ैर-कानूनी है और सभी कानूनों और परंपराओं की अवमामनना है."
उन्होंने कहा, "ये हर नागरिक का अधिकार है कि वो जानें वो किसके लिए वोट कर रहे हैं."
उन्होंने कहा कि सोशलिस्ट फोर्सेस फ्रंट समेत कम से कम पांच पार्टियां ऐसी हैं जिन्होंने पोस्टर पर महिला उम्मीदवारों के चेहरे नहीं दिखाए हैं.
देश के भीतर इसे लेकर बहस छिड़ गई है.

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नैशनल फ्रंट फॉर सोशल जस्टिस पार्टी की तरफ से उम्मीदवार फातिमा तिरबख अनाहा ने टेलिवीज़न बहस पर कहा, "मेरा चेहरा दिखाया जाना ज़रूरी है. लेकिन मैं दक्षिणी हिस्से से हूं जो कि रूढ़िवादी इलाका है... यही वजह है कि पोस्टर पर मेरी तस्वीरें नहीं छापी गई हैं."
उन्होंने कहा, "लेकिन सच मानें तो मेरे परिवार में टेलिवीज़न पर मेरी तस्वीर ना दिखाने का दवाब बनाया था. लेकिन किसी पोस्टर पर मेरी तस्वीर से उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं है."
फातिमा तिरबख ने ये भी कहा कि उनके परिवार को उनके राजनीति में उतरने और संसद में जनता का नुमांइदा बनने से कोई ऐतराज़ नहीं है.
साल 2012 में आए एक क़ानून के मुताबिक सभी पार्टियों के लिए कम से कम 20 से 50 फ़ीसदी महिला उम्मीदवारों को चुनाव में उतारना अनिवार्य है.

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अल्जीरिया एकमात्र देश नहीं जहां संसदीय चुनावों में महिलाओं के चेहरों को छिपा कर पोस्टर पर तस्वीरें छापी गई हैं. साल 2011-12 में मिस्र में सलाफ़ी पार्टियों ने महिलाओं की तस्वीरों की जगह फूलों का इस्तेमाल किया था.












