अंडे सेने बैठा है एक फ्रांसीसी कलाकार

अंडे सेने के लिए कुर्सी पर बैठे अबराम प्वांगशेवेल.

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फ्रांसीसी कलाकार अबराम प्वांगशेवेल कला को कुछ अलग ही आकार देने की योजना में हैं. वो अपने एक कला परफॉर्मेंस में मुर्गियों का काम करेंगे.

और वो काम होगा मुर्गियों की तरह अंडा सेने का.

वो एक कुर्सी पर बैठ कर दस अंडो को सेने का काम करेंगे ताकि उनसे बच्चे निकल सकें. ये काम वो पूरे तीन हफ्ते करेंगे जिसमें उन्हें हर 24 घंटे में आधे घंटे का ब्रेक मिलेगा जैसे मुर्गियां लेती हैं.

वो शीशे से बने एक बाड़े में तबतक रहेंगे जबतक अंडों से चूजे न निकल पाए. इस दौरान दर्शक उन्हें पेरिस के पालासी डी टोक्यो म्यूजियम में देख सकेंगे.

उनका अनुमान है कि इस काम में 21 से 26 दिन तक का समय लग सकता है.

अंडे सेने के लिए कुर्सी पर बैठे अबराम प्वांगशेवेल.

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प्वांगशेवेल ने एग नाम के इस प्रोजेक्ट पर बुधवार से काम शुरू कर दिया. हालांकि वो अंडों पर सीधे नहीं बैठेंगे बल्कि उनकी कुर्सी के नीचे एक कंटेनर लगा हुआ है.

जब वो इस कुर्सी पर बैठेंगे तो वो एक तापरोधी कंबल लपेटे हुए होंगे, जिससे कि उनके शरीर का तापमान ऊंचा बना रहे. इस कंबंल को कोरियाई कलाकार सिगलुई ली ने तैयार किया है.

अंडों को सेने के लिए उनकी योजना शरीर की गर्मी बढ़ाने वाले अदरक जैसे पदार्थ भी खाने की है.

कुर्सी पर अंडे सेने के लिए बैठने के दौरान अगर उनको शौच की ज़रूरत महसूस होती है तो वो नीचे बने एक बॉक्स का प्रयोग करेंगे. इसके लिए वो वहां से उठ नहीं पाएंगे.

इन अंडों को सफलता से सेने के लिए अबराम प्वांगशेवेल को काफी त्याग करना होगा. एक दिन में वो केवल आधे घंटा ही खड़ा हो पाएंगे, वह भी खाना खाने के लिए.

चूने के पत्थर में रहते अबराम प्वांगशेवेल.

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इससे पहले अबराम प्वांगशेवेल चूना पत्थर की एक चट्टान में बनाए गए अपने शरीर के आकार के छेद में रहे थे. एक महीने से कम समय में ही उन्होंने प्रोजेक्ट 'एग' पर काम शुरू कर दिया है.

अबराम प्वांगशेवेल पेरिस के बाहरी इलाक़े गार्ड डू नार्ड में बनाए गए 20 मीटर ऊंचे एक पोल पर एक हफ़्ता गुजार चुके हैं.

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पालासी डी टोक्यो म्यूजियम का कहना है, '' कलाकार इंसानी समय से बचकर खनिज की रफ्तार का अनुभव करना चाहता है.''

भालू के खोल में रहते अबराम प्वांगशेवेल.

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इसके पहले अबराम प्वांगशेवेल अप्रैल 2014 में पेरिस के म्यूजियम ऑफ़ हंटिंग एंड नेचर में भालू के भरे हुए खोल में एक पखवाड़े तक रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने जानवरों की ही तरह कीड़े-मकोड़े खाए थे.

प्लास्टिक से बनी एक विशाल बोतल में बंद अबराम प्वांगशेवेल

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प्वांगशेवेल के मुताबिक़ चीजों को समझने का बेहतर तरीका उन्हें दूर से देखना नहीं बल्कि उनके अंदर समाना है.

अबराम प्वांगशेवेल मार्शेल्ली में किताबों की एक दुकान के नीचे बने भूमिगत छेद में भी एक हफ़्ते रह चुके हैं.

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इस अजन्मे चिकन का भविष्य सही तरीक़े से ईस्टर के बाद ही तय हो पाएगा.

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