'भारतीय इंजीनियर की हत्या को ट्रंप से न जोड़ें'

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- Author, ब्रजेश उपाध्याय
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता, वाशिंगटन
ट्रंप प्रशासन ने कैंसस राज्य में भारतीय इंजीनियर की मौत पर कहा है कि कोई भी मौत दुखद होती है. लेकिन इस हमले को ट्रंप के बयानों से जोड़ना हास्यास्पद है.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता शॉन स्पाइसर का ये भी कहना था कि इस हमले का मकसद क्या था उस पर कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी.
ग़ौरतलब है कि बुधवार शाम अमरीका के कैंसस राज्य के एक रेस्तरां में एक हमलावर ने दो भारतीय समेत तीन लोगों पर गोली चलाई. इसमें एक भारतीय युवक की मौत हो गई.
अमरीकी मीडिया और सोशल मीडिया में बहुत लोगों ने इस हमले को राष्ट्रपति ट्रंप के आप्रवासियों के ख़िलाफ़ दिए गए बयानों से प्रेरित बताया है. स्थानीय पुलिस ने अभी तक इसे नस्लवादी हमले की श्रेणी में नहीं रखा है.
हमले में मारे गए इंजीनियर श्रीनिवासन कुचीवोतला का शव फ़िलहाल दाह-गृह में ही है. भारतीय अधिकारी डेथ सर्टिफ़िकेट और दूसरी कागज़ी कार्रवाई का इंतज़ार कर रहे हैं.

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भारतीय काउंसलर जनरल अनुपम रे ने बीबीसी को बताया कि इन कागज़ातों के आते ही कुचीवोतला के शव को भारत भेज दिया जाएगा.
उन्होंने बताया, " हमने भारतीय समुदाय को आश्वासन दिया है कि इस पूरे मामले को ख़ुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मॉनीटर कर रही हैं. हम हर तरह की मदद के लिए तैयार हैं."
उन्होंने बताया कि हमले में घायल आलोक मदासानी को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. उनसे भी भारतीय अधिकारियों की बात हुई है.

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अनुपम रे का कहना था कि दोनों भारतीय इंजीनियर एक रेस्तरां में बैठे हुए थे, जब हमलावर वहां आया और उनसे आक्रामक तरीके से बर्ताव करने लगा. इसके बाद दोनों ने इसकी वहां के मैनेजर से शिकायत की.
रे का कहना था, "मैनेजर उस शख़्स को बाहर ले गया और वहां बैठे लोगों ने भी उसके बर्ताव का विरोध किया. लेकिन वो पंद्रह मिनट बाद लौटा और उसने गोली चलानी शुरू कर दी."
स्थानीय मीडिया के मुताबिक़ हमलावर को यह कहते सुना गया "मेरे देश से बाहर निकलो".

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वहीं बैठे एक अमरीकी युवक, इएन ग्रिलॉट, भी दोनों भारतीय इंजीनियर्स के बचाव में खड़े हुए. लेकिन उन्हें भी हमलावर ने गोली मार दी. वो फ़िलहाल अस्पताल में हैं, जहां उनकी हालत स्थिर है.
पुलिस ने हमलावर को दो-तीन घंटे बाद पड़ोसी राज्य मिसूरी के एक रेस्तरां से गिरफ़्तार कर लिया.
हमलावर के बारे में कहा जा रहा है कि वो अमरीकी मरीन में काम कर चुके हैं. उन्होंने आईटी कंसलटेंट के तौर पर भी काम किया है.
अनुपम रे का कहना था कि उन्होंने मृतक की पत्नी सुनयना कुचीवोतला से बात कर उन्हें हर तरह की मदद का आश्वासन दिया है.

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उनका कहना था, "ज़ाहिर है वो बिल्कुल टूटी हुई हैं. लेकिन उनके देवर डैलस शहर में रहते हैं. वो उनके साथ हैं. इसके अलावा उनके कई रिश्तेदार भी यहां हैं."
दोनों ही इंजीनियर्स कैंसस में ही जीपीएस बनानेवाली कंपनी गारमिन के लिए काम करते थे. शहर में हर तरफ़ से लोगों ने न सिर्फ़ सहानुभूति जताई है बल्कि दोनों के परिवारों को आर्थिक मदद देने के लिए काफ़ी पैसा भी जमा किया है.
भारतीय समुदाय में पिछले दिनों आप्रवासियों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ ट्रंप के बयानों को लेकर चिंता रही है. लेकिन बहुत से लोगों को ये भरोसा रहा है कि अमरीका में भारतीय लोगों की कामयाबी को काफ़ी इज़्ज़त के साथ देखा जाता है. उनपर इस तरह के हमले नहीं होंगे.
बहुत से लोगों का कहना है कि वो विश्वास अभी भी टूटा नहीं है. लेकिन इस हमले से उसे बड़ा झटका लगा है.
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