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'गाय के पेशाब से कैंसर का इलाज..ये भी तजुर्बा है'
- Author, वुसतुल्लाह ख़ान
- पदनाम, पाकिस्तान से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
दिवंगत राष्ट्रपति जनरल ज़िया-उल-हक़ ने एक कारनामा ये भी किया था कि पाकिस्तान में इस्लामिक साइंस का परिचय करवाने के लिए दो बड़ी अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस करवाईं.
एक 1973 में जिसका सारा खर्चा हमारी जेब से गया और दूसरी 1987 में होने वाली इस्लामिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉन्फ़्रेंस जिसका आधा खर्चा यानी चार लाख डॉलर सऊदी सरकार ने दिया.
दोनों कॉन्फ़्रेंसों में पाकिस्तान और दूसरे मुस्लिम देशों के साइंसदानों ने सौ से अधिक साइंटिफ़िक पेपर पढ़े.
काहिरा की अल अज़हर यूनिवर्सिटी के मोहम्मद मुतलिब ने साबित किया कि आइंस्टीन की थियरी ऑफ़ रिलेटिविटी बकवास है, असल में तो पृथ्वी अपने भ्रमण पथ पर इसलिए ठीक-ठीक घूम रही क्योंकि पहाड़ों ने पृथ्वी के सीने पर पैर जमा के उसका संतुलन बना रखा है.
अगर पहाड़ उड़ जाएं तो पृथ्वी भी अंतरिक्ष में सूखे पत्ते जैसे उड़ने लगे और सुरमा हो जाए.
पाकिस्तान काउंसिल ऑफ़ साइंस एंड रिसर्च के डॉक्टर अरशद अली बेग़ ने किसी समाज में छल कपट की मात्रा नापने के फ़ॉर्मूले से ये साबित किया कि पश्चिमी देशों में छल-कपट का लेवल 22 है. मगर एक पश्चिमी देश पुर्तगाल में 14 है.
पाकिस्तान में छल कपट की क्या मात्रा है, डॉक्टर साहब बताना भूल गए.
डिफ़ेंस साइंड एंड टेक्नोलॉजी संस्था के डॉक्टर सफ़दर जंग राजपूत ने बड़े अनुसंधान के बाद साबित किया कि मांस से बने इंसान के साथ-साथ आग से बने जिन्न भी हमारे आज़ू-बाज़ू रहते हैं मगर उनसे धुआं इसलिए नहीं निकलता क्योंकि उनका जिस्म मीथेन गैस से बना है.
पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन के एक वैज्ञानिक बशीरूद्दीन महमूद के पेपर का निचोड़ ये था कि जिन्न चूंकि आग से बने हैं अगर उन्हें किसी तरह काबू कर लिया जाए तो उनकी एनर्जी से भारी मात्रा में बिजली पैदा की जा सकती है.
मुझे ये पुरानी साइंस की रिसर्च हिंदुस्तान टाइम्स में पिछले हफ्ते छपने वाली उस रिपोर्ट से याद आ गई जिसके अनुसार दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने ह्यूमन रिसोर्स और साइंस के मंत्रालयों के पैसे से एक वर्कशॉप की जिसमें 200 साइंसदानों ने इस बात पे सिर जोड़ा कि पंचगव के इंसानी फ़ायदे पर रिसर्च के लिए अलग से गौ विज्ञान विश्वविद्यालय बनाया जाए.
इस वर्कशॉप में उत्तराखंड के वेटरीनरी प्रोफ़ेसर आर एस चौहान ने चार गायों पर तजुर्बा करके साबित किया कि गाय के पेशाब से कैंसर का इलाज संभव है.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि गाय अकेला ऐसा पशु है जो ऑक्सीजन अंदर ले जाता है और ऑक्सीजन ही बाहर निकालता है.
मुझे लगता है अगले वर्ष का नोबेल पुरस्कार श्री वासुदेव के लिए पक्का.
मैं तो समझा था कि ज्ञान जनरल ज़िया-उल-हक़ की इस्लामिक साइंस कॉन्फ़्रेंसों से शुरू होकर नरेंद्र मोदी की गणेश जी के सिर की प्लास्टिक सर्जरी वाली साइंटिफ़िक थियरी पर ख़त्म हो गया होगा. मगर मैं शायद ग़लत सोच रहा था.
ज्ञान तो वो दौलत है जिसे जितना बांटा जाए उतना ही बढ़ता है.
इस ऐतबार से भारत और पाकिस्तान में ज्ञान बंट नहीं रहा बल्कि लुट रहा है तो फिर लूट लो दोनों हाथों से और नारा लगाओ 'जय हो चेतना की'.
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