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तो क्या भूमंडलीकरण के पक्ष में खड़ा होगा चीन?
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्विट्जरलैंड के दावोस में होने वाले वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम में शिरकत करने वाले हैं.
वो चीन के पहले राष्ट्रपति होंगे जो इस इकॉनॉमिक फोरम में जाएंगे.
1979 में पहली बार चीन को इस फोरम में बुलाया गया था. तब से हर बार चीन अपना प्रतिनिधिमंडल फोरम में भेजता रहा है.
लेकिन कभी भी कोई चीनी राष्ट्रपति इस फोरम में नहीं गया है.
हालांकि 1992 में ली पेंग के रूप में पहली बार किसी चीनी प्रधानमंत्री ने दावोस फोरम में शिरकत की थी.
चीन एक ऐसे वक़्त में वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम में शिरकत करने जा रहा है जब ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से अलग हो चुका है और अमरीका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप शपथ लेने जा रहे हैं.
डोनल्ड ट्रंप ने चीन के बारे में अपनी राय जाहिर करते हुए वन चाइना पॉलिसी पर सवल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि वन चाइना पॉलिसी पर बातचीत होनी चाहिए.
फोरम में जहां एक तरफ जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल नहीं आ रही है वहीं चीन सबसे बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ शामिल हो रहा है.
इसके साथ ही दुनिया के बाज़ार में चीन को अमरीका के एक मजबूत प्रतिद्वंदी के तौर पर भी देखा जा रहा है.
यूरोप और अमरीका में भूमंडलीकरण और मुक्त व्यापार को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.
चीन के सूचना मंत्री जिआंग जिआंगुओ ने कहा है, "राष्ट्रपति शी जिनपिंग दुनिया को आर्थिक मंदी से उबरने के उपाय बताएंगे."
इन सभी बातों के लिहाज से राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फोरम में कही बातों पर सबकी नज़र रहेगी.
वाकई में भूमंडलीकरण का सबसे ज्यादा फ़ायदा विवादास्पद रूप से चीन को ही हुआ है.
हालांकि इस बात को लेकर हमेशा बहस होती रही है कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था में उसी हद तक छूट देता है जहां तक उसे फ़ायदा हो रहा हो.
लेकिन उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बारे में भी कोई फ़ैसला लेंगे. इसलिए उनके संबोधन में कुछ बड़ी घोषणाएं करने की संभावनाएं जताई जा रही हैं.
चीन की कूटनीति का यह हिस्सा होगा कि वो दुनिया के तमाम देशों को यह संदेश दे कि चीन की तरक्की सभी के लिए अच्छी है.
किंग्स कॉलेज, लंदन के लाउ चाइना इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर केरी ब्राउन का कहना है, "चीन के राष्ट्रपति चीन की छवि हर किसी के दोस्त की तरह पेश करना चाहेंगे. जिसे हर कोई गले लगा सकता है और हर कोई जिसे लेकर निश्चिंत रह सकता है."
हालांकि यह करना इतना आसान नहीं होगा. ख़ासकर जब दक्षिण चीन सागर में चीन अपनी सैन्य गतिविधियों को लगातार बढ़ा रहा है.
बीजिंग में चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल अफ़ेयर्स के जिआ शिनडुआंग कहते हैं, "दावोस में चीन की इस छवि को तोड़ने का बेहतरीन मौका होगा."
वो कहते हैं, "दूसरे देश चीन को एक आक्रमक और हठी देश के तौर पर देख सकते हैं. लेकिन यह एक ग़लतफहमी है. इसलिए यह राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए अपनी बात पहुंचाने का एक बेहतरीन मौका है."
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