'क्रिकेट में दलितों को मिले आरक्षण'

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    • Author, ज़ुबैर अहमद
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली

खिलाड़ियों को कथित तौर पर गोमांस खाने की सलाह देने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद उदित राज अब कहते हैं कि दलित खिलाड़ियों को क्रिकेट की राष्ट्रीय और श्रेत्रीय टीमों में आरक्षण मिलना चाहिए.

बीबीसी से एक विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि वो इस मुद्दे को उच्च स्तर पर जल्द ही उठाने वाले हैं.

भाजपा के दलित चेहरों में से एक उदित राज का कहना था कि दलित खिलाड़ियों की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में आगे न बढ़ने का कारण उनके ख़िलाफ होने वाला भेदभाव है.

उन्होंने सचिन तेंदुलकर के समकालीन क्रिकेटर विनोद काम्बली का नाम लेकर कहा, "सचिन कहाँ और विनोद कांबली कहाँ है आज ?" भाजपा सांसद के अनुसार अन्य स्पोर्ट्स में भी दलितों को आगे बढ़ने में दिक्कत हो रही है.

भाजपा सांसद और दलित नेता उदित राज कहते हैं कि दलित खिलाड़ियों को  स्पोर्ट्स में आगे बढ़ाने के लिए उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए

उनका कहना था कि दलित खिलाड़ियों के प्रोत्साहन का एक ही इलाज है और वो है आरक्षण. उदित राज ने दक्षिण अफ्रीका में काले खिलाड़ियों को राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में शामिल करने की कोशिशों की मिसाल देते हुए कहा कि "हमारे देश में भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए."

सोमवार को वो उस समय सुर्ख़ियों में आए जब उन्होंने ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा, "जमैका के उसैन बोल्ट ग़रीब थे और तब उनके ट्रेनर ने उन्हें बीफ़ खाने की सलाह दी, जिसके बाद उसैन बोल्ट ने ओलंपिक में कुल नौ गोल्ड मेडल जीते."

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इसके बाद से ही भाजपा समर्थकों समेत तमाम लोग उनकी आलोचना करने लगे. उन्होंने कहा कि उनके विचार पार्टी से अलग नहीं हैं.

उन्होंने कहा, " भाजपा किसी को ये नहीं कहती है कि क्या खाओ और क्या न खाओ".

उनका कहना था कि संविधान इस बात की इजाज़त नहीं देता कि कोई किसी पर ज़बर्दस्ती किसी चीज़ को खाने या ना खाने पर ज़ोर दे.

उन्होंने कहा, "हमने खिलाड़ियों को बीफ खाने को नहीं कहा. हमने कहा कि वो ओलंपिक मुक़ाबलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए जज़्बा और जोश भी दिखाएं, केवल सरकार और बुनियादी ढांचों की कमी पर ध्यान न दें"

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उदित राज का कहना था कि वो बीफ की वकालत नहीं करते. उन्होंने ये भी साफ़ किया कि बीफ का मतलब केवल गोमांस नहीं है.

विवाद के बाद उन्होंने एक ट्वीट लिखा, "मेरा ट्वीट दूर-दूर तक बीफ़ खाने की वकालत नहीं करता. मैंने तो सिर्फ़ वही जस का तस लिख दिया जो उसैन बोल्ट के ट्रेनर ने कहा था."

उन्होंने आगे लिखा, "मैंने ये बात इस संदर्भ में कही कि ग़रीबी और ख़राब व्यवस्थाओं के बावजूद उसैन बोल्ट ने नौ गोल्ड मेडल जीत लिए. उसी तरह से हमारे खिलाड़ियों को भी इसी तरह से जीतने के रास्ते खोजने होंगे. मैं कहना चाहता हूं कि हर वक़्त परिस्थितियों और सरकार को दोष देने की बजाय समाज और खिलाड़ियों को जीतने के नए रास्ता खोजने होंगे. और क्या खाना है ये उनकी निजी पसंद है."

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