हाफ़िज़, सलाहुद्दीन बीते दिनों की बात है

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- Author, ज़ुबैर अहमद
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की पाकिस्तान यात्रा का सरहद के दोनों तरफ कड़ा विरोध हो रहा है. भारत में उनके <link type="page"><caption> आलोचक</caption><url href="http://www.dailyo.in/politics/india-pakistan-ties-narendra-modi-rajnath-singh-nawaz-sharif-pathankot-attack/story/1/12122.html" platform="highweb"/></link>, ख़ासतौर से कांग्रेस पार्टी, मांग कर रहे हैं कि उन्हें वापस लौट जाना चाहिए.
बल्कि वो ये भी सवाल कर रहे हैं कि जब भारत सरकार कश्मीर हिंसा में पाकिस्तान का हाथ बताती है तो गृह मंत्री को पाकिस्तान जाना ही नहीं चाहिए था.

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पाकिस्तान में उनके दौरे का कड़ा हाफ़िज़ सईद और सैयद सलाहुद्दीन जैसे चरमपंथी नेता कड़ा विरोध कर रहे हैं.
राजनाथ सिंह इस्लामाबाद गए हैं सार्क सम्मलेन में भाग लेने. साथ ही भारत ने साफ़ कर दिया है कि वहां कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी.
इस्लामाबाद में अपने भाषण में राजनाथ सिंह कहा कि ज़रूरत है कि न सिर्फ़ उन लोगों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई हो जो आंतकवाद फैलाते हैं, बल्कि जो मुल्क आतंकवाद का समर्थन करते हैं उनके ख़िलाफ़ भी उतने ही कड़े क़दम उठाए जाने चाहिएं.
उनके दौरे के पहले ये भी कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह पठानकोट चरमपंथी हमले की छानबीन के लिए भारतीय टीम को पाकिस्तान भेजे जाने की मांग करेंगे. ठीक उसी तरह जैसे भारत ने पाकिस्तानियों को पठानकोट के लिए इजाज़त दी थी.
बीजेपी कह सकती है कि राजनाथ सिंह के दौरे का विरोध करने वाले सियासत कर रहे हैं. राजनाथ सिंह का दौरा शुरू होने से पहले से ही हाफ़िज़ सईद की जमात उद दावा और सलाहुद्दीन की हिज़्बुल मुजाहेदीन संगठन इसका विरोध कर रही थीं. उनके पहुँचने पर उन्होंने <link type="page"><caption> प्रदर्शन</caption><url href="http://timesofindia.indiatimes.com/india/Rajnath-Singhs-Pakistan-visit-Hafiz-Saeed-warns-of-nationwide-protest/articleshow/53485549.cms" platform="highweb"/></link> किये जिनमें 2000 से अधिक लोग शामिल नहीं हुए.

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धमकी ये भी दी गयी कि राजनाथ सिंह भारत न लौटे तो पाकिस्तान भर में प्रदर्शन किये जाएंगे. राजनाथ सिंह अब भी पाकिस्तान में हैं. हाफ़िज़ सईद की अपील पर केवल मुठी भर पाकिस्तानियों ने ध्यान दिया.
अगर आपको याद हो पिछले माह पाकिस्तान ने कश्मीर हिंसा के ख़िलाफ़ काला दिन मनाया था. लेकिन क्या आपको याद है पाकिस्तानी अवाम में इसके प्रति कितना जोश था?
तस्वीरों से ज़ाहिर हो गया था कि कितना, बहुत कम. पाकिस्तानी जनता के बीच हाफ़िज़ सईद जैसे लोगों के लिए अब समय नहीं है. कश्मीर के मुद्दे पर अपनी सियासत चमकाने वाले नेताओं के लिए भी उनके दिल में कोई ख़ास जगह नहीं है.

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हाफ़िज़ सईद और सलाहुद्दीन जैसे लोग अब अतीत का हिस्सा बन चुके हैं. कश्मीर में चरमपंथ के शुरूआती दौर में हाफिज सईद और राष्ट्रपति ज़िया के ट्रेन किये हुए चरमपंथियों की पाकिस्तान और कश्मीर में चलती थी. इतने सालों के बाद दोनों तरफ़ के लोगों को समझ में आ गया है कि ये लोग केवल हिंसा की ज़बान ही बोल सकते हैं. ये लोग आज के युवाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते.
अगर कांग्रेस पार्टी और दुसरे आलोचकों का कहना मानकर राजनाथ समय से पहले पाकिस्तान से वापस देश लौट जाते तो ये हाफ़िज़ सईद जैसे लोगों की जीत मानी जाती और कश्मीर में टांग अड़ाने के लिए उनका मनोबल बढ़ता.

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राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का दौरा करके और वापसी की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करके चरमपंथी तत्वों की तेज़ी से खोती अहमियत को बेनक़ाब किया है.
उनका दौरा एक सही क़दम है. ज़रुरत इस बात की है कि कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए इसमें शामिल सभी पक्षों के बीच बातचीत जल्द शुरू हो. भारत सरकार को बातचीत के लिए माहौल तैयार करना पड़ेगा और जल्द करना पड़ेगा.
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