ऑस्ट्रेलिया-अफ़्रीक़ा में चीन से पीछे है भारत!

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- Author, रोहित बंसल
- पदनाम, आर्थिक मामलों के जानकार
दो दिन पहले जापान की अर्थव्यवस्था अचानक मंदी में चली गई.
इसके बाद सोमवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि अगर मंदी से बचना है तो दुनिया के देशों को भारत और चीन के साथ ज़्यादा आर्थिक समझौते करने होंगे.
ये बात इन दो देशों के बढ़ते आर्थिक महत्व की तरफ़ इशारा करती है.
वैसे कैमरन का बयान ऑस्ट्रेलिया में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद आया है, जिसमें दुनिया की आर्थिक वृद्धि सबसे ज़्यादा चर्चा में रही.
ऐसे में ये सवाल लाज़िम हो जाता है कि अभी विश्व अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है?
रोहित बंसल का आकलन

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किसी के अनुमान के बारे में तो पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन अगले कुछ महीनों में हालात बेहतर होने के आसार नहीं हैं.
हालाँकि ज़्यादातर लोगों का अनुमान है कि 2014 के मुक़ाबले 2015 में हालात अच्छे हो सकते हैं. विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती केवल चीन और जापान की वजह से नहीं है, बल्कि यूरोप की भी अहम भूमिका है.
यूरोप के वे देश जो यूरोज़ोन में आते हैं, उनके आर्थिक संकट का भी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है.
यूरोप की बदलती आर्थिक हवा की गंभीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कैमरन ने भारत और चीन से आर्थिक सहयोग बढ़ाने की बात कही है.
आपसी सहयोग

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कई लोग इसे भारत और चीन की उभरती आर्थिक ताक़त से जोड़ कर देखते हैं. हालाँकि एक तबक़ा ऐसा भी है जो इसे यूरोप की मजबूरी का नाम देना चाहता है.
वैसे यह कोई दार्शनिक सवाल नहीं है कि किसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ना कोई मजबूरी है. यह तो आपसी सहयोग की बात है.
और इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन की अर्थव्यवस्था में भी कुछ हद तक ठहराव आया है.
ये और बात है कि चीन की अर्थव्यवस्था की थमने की दर बाक़ी अर्थव्यवस्थाओं की बुलंदी की स्थिति से भी बेहतर होती है.
ऑस्ट्रेलिया में मोदी

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अगर कैमरन ने दोनों अर्थव्यवस्थाओं के साथ ब्रिटेन की इकोनॉमी को जोड़ने की बात कही है तो ये बात उद्योग जगत के लोगों को पहले से ही पता है.
मेरी राय में उन्हें इस तरह की सलाह की ख़ास ज़रूरत नहीं है. ऑस्ट्रेलिया में जी-20 की बैठक में भारत और चीन दोनों ही देशों के नेताओं ने शिरकत की.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने इस दौरे में ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया है. वहीं, द्विपक्षीय संबंधों की तरह ही व्यापार जगत में भी मोदी के ऑस्ट्रेलिया दौरे को उम्मीद से देखा जा रहा है.
आर्थिक संबंध

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भारत को ऑस्ट्रेलिया के प्राकृतिक संसाधनों में दिलचस्पी है, लेकिन भारत से कहीं ज़्यादा बढ़कर चीन के ऑस्ट्रेलिया के साथ आर्थिक संबंध हैं.
कुछ लोगों का तो मानना है कि अफ़्रीक़ा और ऑस्ट्रेलिया में चीन की कंपनियां ख़ासा असर रखती हैं.
मुक्त व्यापार समझौते से ज़ाहिर है कि ऑस्ट्रेलिया को थोड़ा बहुत तो ज़रूर फ़ायदा होगा, लेकिन इसे चीन के प्रभाव के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है.
भारत को भी कोशिश करनी चाहिए कि उसकी कंपनियां, ख़ास कर खनन क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां वहां जाएं और बेहतर तालमेल बनाएं.
अफ़्रीक़ा और ऑस्ट्रेलिया के प्राकृतिक संसाधनों की दौड़ में भारत चीन से कहीं पीछे है.
(बीबीसी संवाददाता अशोक कुमार से बातचीत पर आधारित)
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