सरकार से वार्ता के लिए तैयार माओवादी

- Author, सलमान रावी
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता, नई दिल्ली
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने कहा है कि वो सरकार के साथ वार्ता के लिए तैयार है. इसके लिए उन्होंने मांग की है कि जेल में बंद उनके वरिष्ठ नेताओं को रिहा किया जाए ताकि वार्ता के लिए माओवादियों की तरफ से प्रतिनिधिमंडल का गठन किया जा सके.
संगठन का कहना है कि वार्ता 'सचमुच की शांति के लिए और ईमानदारी के साथ' होनी चाहिए.
माओवादियों का मानना है कि शान्ति वार्ता दो विरोधी राजनीतिक गुटों के बीच चल रहे राजनीतिक संघर्ष का एक अहम हिस्सा है.
संगठन की केंद्रीय कमिटी के प्रवक्ता अभय के साक्षात्कार के रूप में जारी किये गए बयान में उनके हवाले से कहा गया है कि सरकार को चाहिए कि वो 'माओवादी आंदोलन को एक राजनीतिक आंदोलन' के रूप में स्वीकार करे.
अभय का कहना है, "शान्ति वार्ता के लिए ज़रूरी है कि सरकार माओवादियों के आंदोलन को देश के लोगों का आंदोलन, एक आंतरिक संघर्ष और गृह युद्ध के रूप में स्वीकार करे. तब कहीं जाकर ये सम्भव हो पायेगा की वार्ता के ज़रिए बुनियादी मुद्दों को सुलझाया जा सकेगा ताकि ये गृह युद्ध ख़त्म हो पाए.
लोकतंत्र का एजेंडा
संगठन का कहना है कि उनके आंदोलन का मुख्य एजेंडा है लोकतंत्र, भूमि सुधार और कृषि और अर्थव्यवस्था के विकास का आत्मनिर्भर मॉडल और देश के विकास के लिए शान्ति का एक लम्बा दौर.
माओवादियों का कहना है कि अगर इन तमाम बातों को ध्यान में रखा जाए तभी शांति वार्ता सही मायने में सकारात्मक हो सकती है. माओवादियों की मांग है कि उनके संगठन पर से प्रतिबन्ध हटा लिया जाए और जेल में बंद उनके वरिष्ठ नेताओं को या तो ज़मानत पर रिहा किया जाए या फिर उनपर से मामले हटा लिए जाएँ ताकि वार्ता की लिए ये नेता रास्ता बनाने में मदद कर सकें.
अभय ने कहा है, "जेल में बंद हमारे नेताओं को ज़मानत पर रिहा किया जाए ताकि वो संगठन की केंद्रीय कमिटी से संपर्क कर सकें और वार्ता के लिए माओवादियों की तरफ से प्रतिनिधियों के चयन में मदद कर सकें. हम सभी लोकतांत्रिक संगठनों और व्यक्तियों से अनुरोध करते हैं कि वो सही मायनों में शांति के लिए वार्ता पर हमारे संगठन का रुख़ समझें. अगर सरकार हमारी पेशकश स्वीकार कर शान्ति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल तैयार कर लेती है तो हम उसमे शामिल होंगे."

इमेज स्रोत, BBC World Service
लेकिन माओवादियों को सरकार की मंशा पर शक भी है. उनका आरोप है की शुरू से सरकार ने माओवादियों के सामने वार्ता के लिए जो शर्तें रखीं हैं वो या तो हथियार डालकर वार्ता करने की या फिर वार्ता इसलिए कि माओवादी हथियार डाल दें.
माओवादियों का कहना है कि वार्ता के नाम पर सरकार ने छल से काम लिया है. वो संगठन के प्रवक्ता आज़ाद की 'फ़र्ज़ी मुठभेड़' में हुई मौत का हवाला देते हैं. उनका आरोप है कि आज़ाद वार्ता के लिए संगठन में चर्चा कर रहे थे उस समय सुरक्षा बलों ने उन्हें मार दिया.
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