सैकड़ों ओलिव रिडले कछुओं की मौत

इमेज स्रोत, tree foundation
- Author, अनबरासन इथिरंजन
- पदनाम, बीबीसी न्यूज़
पर्यावरणविदों का कहना है कि आंध्र प्रदेश के तटीय इलाक़े में क़रीब 900 से भी ज़्यादा लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुए मृत पाए गए हैं.
पर्यावरण के लिए काम कर रहे संगठनों का कहना है कि ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर ऐसा कोई उपकरण नहीं इस्तेमाल करते जिससे कि इन कछुओं को जांल में फंसने से बचाया जा सके.
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान कभी भी इतने पड़े पैमाने पर कछुए मृत नहीं पाए गए.
कछुओं की ओलिव रिडले प्रजाति भारत में विलुप्ति के कगार पर है. समुद्री कछुओं की पांच में से यही एक ऐसी प्रजाति है जो तटीय इलाकों में <link type="page"><caption> प्रजनन</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/science/2012/06/120620_turtles_fossilised_sdp.shtml" platform="highweb"/></link> करती है और <link type="page"><caption> अंडे</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/rolling_news/2012/07/120709_turtles_eggs_rn.shtml" platform="highweb"/></link> देती है.
समुद्री जीव संरक्षण संगठनों का आरोप है कि इन मौतों का कारण ट्रॉलर द्वारा अवैध रूप से मछली पकड़ना है.
<link type="page"><caption> उपग्रह से नज़र रखी जाएगी कछुओं पर</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/science/story/2006/08/060804_turtle_tag.shtml" platform="highweb"/></link>
कारण

इमेज स्रोत, tree fondation
ये कछुए आंध्र प्रदेश के तट पर चेन्नई से 130 किमी उत्तर में एक संकरी खाड़ीनुमा जगह पर मृत पाए गए.
समुद्री जीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था ट्री फाउंडेशन की डॉक्टर सुप्रजा धारिनी ने बीबीसी को बताया, ''माना जाता है कि तट से क़रीब आठ किमी के बाद ही ट्रालर से मछली पकड़नी चाहिए. लेकिन हमने पाया है कि उस दौरान वे तट से चार किमी दूर झींगा मछली पकड़ कर रहे थे. इसके कारण बहुत सारे कछुए उनके जाल में फंस गए.''
हर साल जनवरी और अप्रैल के बीच दसियों हजार ओलिव रिडले कछुए भारत के पूर्वी और दक्षिणी तट पर अंडे देने के लिए आते हैं.
साल 2003 में ओडिशा के पूर्वी तट पर 3,000 हज़ार से भी ज़्यादा ओलिव रिडले मृत पाए गए थे.
<bold>(बीबीसी हिंदी का एंड्रॉयड मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए <link type="page"><caption> क्लिक</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/multimedia/2013/03/130311_bbc_hindi_android_app_pn.shtml" platform="highweb"/></link> करें. आप ख़बरें पढ़ने और अपनी राय देने के लिए हमारे <link type="page"><caption> फ़ेसबुक</caption><url href="https://www.facebook.com/bbchindi" platform="highweb"/></link> पन्ने पर भी आ सकते हैं और <link type="page"><caption> ट्विटर</caption><url href="https://twitter.com/BBCHindi" platform="highweb"/></link> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</bold>












