मिज़ोरम में कांग्रेस को दो तिहाई बहुमत

चार राज्यों में करारी हार झेलने वाली कांग्रेस के लिए मिज़ोरम में सफलता मिल रही है.

पार्टी ने मिज़ोरम में दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया है. सरकारी टेलीविज़न दूरदर्शन के मुताबिक़ पार्टी ने चालीस में से 30 सीटें जीत ली है. एक सीट पर उनका उम्मीदवार आगे चल रहा है.

मुख्य विपक्षी मिज़ो नेशनल फ्रंट को केवल सात सीटों पर जीत हासिल हुई है जबकि एक सीट पर उनका उम्मीदवार आगे है.

इससे पहले रविवार को आए चार राज्यों के नतीजों में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था.

आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का जन्मदिन भी है, इस लिहाज से भी मिज़ोरम में पार्टी की जीत के पार्टी कैडर के लिए ख़ास मायने हैं.

चुनाव

25 नवंबर को मिज़ोरम में चुनाव हुए थे.

कांग्रेस ने सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), मिज़ो पीपुल्स कांफ्रेंस (एमपीसी) और मिज़ो डेमोक्रेटिक फ्रंट (एमडीएफ़) ने एकजुट होकर मिज़ो डेमोक्रेटिक एलायंस (एमडीए) के बैनर तले चुनाव लड़ा था.

कांग्रेसी मुख्यमंत्री ललथनहवला ने सेरछिप सीट पर जीत हासिल की है जबकि वह हरांगतुर्जो सीट पर भी बढ़त बनाए हुए हैं.

राज्य के आठ ज़िलों में सुबह आठ बजे से मतगणना का काम शुरू हुआ. पहले डाक मतपत्रों की गणना की गई और उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के मतों की गिनती जारी है.

कांग्रेस का भरोसा

ललथनहावला

राज्य में इस बार बड़ी संख्या में मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. 6,90,860 मतदाताओं में से 81 प्रतिशत से ज़्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.

1993 में ललथनहावला की शुरू की गई 'न्यू लैंड यूज पॉलिसी' (एनएलयूपी) से मिले सियासी फ़ायदे ने साल 2008 में कांग्रेस को सत्ता दिलाई थी.

इस नीति का मकसद किसानों को खेती के इतर ज़मीन के स्थायी बंदोबस्त के ज़रिए वैकल्पिक रोज़गार देना था. स्थानीय पत्रकार डेज़ी वानललडिकनुमि के मुताबिक़ यही नीति इस बार भी कांग्रेस को सत्ता में वापस ला सकती है.

मिज़ोरम विधानसभा की एक ख़ास बात यह है कि यहां की 40 विधानसभा सीटों में 39 आदिवासी-जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित हैं, महज एक सीट सामान्य वर्ग के लिए है.

साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 32 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी.

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