नरेंद्र मोदी की रैली में बस पांच हजार लोग

- Author, ऋषि पांडे
- पदनाम, भोपाल से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
ज़रा सोचिए, जिस भोपाल शहर में भाजपा के पीएम इन वेटिंग नरेंद्र मोदी को सुनने के लिए दो लाख से ज़्यादा भीड़ जुट चुकी हो वहां महज़ दो माह के भीतर उनकी सभा में पांच हज़ार लोग भी न जुट पाएं.
है ना नाइंसाफी. अब आयोजक पुलिस की चैकिंग को ज़िम्मेदार माने या समय और मौसम को, लेकिन रिकॉर्ड में तो यह बात दर्ज हो ही गई.
हालांकि अगले दिन जबलपुर, शहडोल वगैरह में उनकी सभा ठीक ठाक रही. मोदी समझदार नेता हैं.
वो भाषण शुरू करने से ही पहले यह मैसेज दे देते हैं कि सभा में कितनी भीड़ है. कभी भारी जनसमुदाय को प्रणाम कह कर तो कभी यह कह कर कि लगता है यह मैदान छोटा पड़ रहा है.
श्रोताओं का टोटा
असल में मध्य प्रदेश की चुनावी सभाओं में श्रोताओं की भीड़ कम जुट रही है.
हां शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया ज़रूर भीड़ को अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे हैं. भोपाल छोड़ <link type="page"><caption> नरेंद्र मोदी</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/11/131117_assembly_election_2013_modi_factor_dil.shtml" platform="highweb"/></link> की सभाएं भी भीड़ के लिहाज से ठीक ठाक रही.
वरना बड़े-बड़े नेताओं को सुनने में लोगों की दिलचस्पी नहीं दिखाई पड़ रही है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष <link type="page"><caption> राजनाथ सिंह</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/09/130911_advani_rajnath_modi_pp.shtml" platform="highweb"/></link> की एक सभा तो इसलिए रद्द करनी पड़ी क्योकि सभा स्थल पर 150 लोग भी नहीं जुट पाए थे.
लालकृष्ण आडवाणी, वेंकैया नायडू, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को भी इस दौर में हज़ार-दो हज़ार श्रोताओं से तसल्ली करनी पड़ रही है.
कांग्रेस में कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

तमाम सर्वे तो कुछ और ही कह रहे हैं, लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है. भाजपा में एकदम क्लीयर है. यदि सत्ता मिलती है तो शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री होंगे.
शिवराज पिछले एक साल से अपनी हर सभाओं में जनता से इस सवाल पर दोनों हाथ उठवाते रहे हैं कि अगली बार शिवराज को मुख्यमंत्री बनवाओगे कि नहीं.
कांग्रेस में इस सवाल पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है. सब मान ही रहे हैं कि यदि बहुमत आया तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस मुख्यमंत्री बना सकती है.
इसके पीछे तर्क उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने का दिया जाता है.
बड़े नेता यह कह कर इस सवाल से पल्ला झाड़ लेते हैं कि कांग्रेस में सब कुछ विधायक दल और पार्टी हाईकमान तय करता है.
कांग्रेस की परंपरा नहीं है कि किसी नेता को प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ा जाए.
दमदार दावेदार
हालात देखकर लगता नही कि मुख्यमंत्री का चयन इतना आसान रहेगा. सिंधिया तो हैं ही दमदार दावेदार. पर यदि आदिवासी नेतृत्व की बात उठी तो प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया दावा ठोकेंगे.
उनके ऊपर कांग्रेस महासचिव <link type="page"><caption> दिग्विजय सिंह</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/11/131117_digvijay_singh_sb.shtml" platform="highweb"/></link> का हाथ है. यदि पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी चुनाव जीत जाते हैं तो वो भी सशक्त दावेदार रहेंगे, क्योकि मध्य प्रदेश कांग्रेस के चार क्षत्रपों में से वो अकेले ऐसे हैं जो ख़ुद चुनाव लड़ रहे हैं.
बाक़ी के तीन, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया तो बस प्रचार ही कर रहे हैं.

पचौरी का दिल्ली कनेक्शन भी स्ट्रांग है. फिर स्वर्गीय अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह राहुल भी एक दावेदार हैं जो विधानसभा के भीतर नेता विपक्ष के तौर पर शिवराज को चुनौती देते रहे हैं. यानी कांग्रेस में स्थिति एक अनार सौ बीमार वाली हो सकती है.
आमने-सामने सिंधिया
माधवराव सिंधिया के ज़माने से यह परंपरा चली आ रही थी कि सिंधिया राजघराने के सदस्य कभी एक दूसरे के ख़िलाफ़ प्रचार नहीं करेंगे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस परंपरा का लंबे समय तक निर्वहन करते रहे लेकिन इस बार यह टूट ही गई. <link type="page"><caption> ज्योतिरादित्य</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/11/131119_jyotiraditya_scindia_mp_congress_rt.shtml" platform="highweb"/></link> को अपनी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया के ख़िलाफ़ प्रचार करने के लिए उतरना ही पड़ा.
यशोधरा शिवपुरी विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. शिवपुरी सीट ज्योतिरादित्य के लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यहां यशोधरा के मुक़ाबले कांग्रेस ने वीरेंद्र रघुवंशी को उम्मीदवार बनाया है.
हालांकि इस पूरे अंचल में सिंधिया राजघराने का प्रभाव है और जनता आज भी उनका वैसा ही सम्मान करती है जैसा पहले होता आया है. इसके बावजूद कांग्रेस के रघुवंशी यशोधरा को अच्छी टक्कर दे रहे हैं.
यशोधरा ने पिछली बार ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था जिसमें वो विजयी भी रही, लेकिन ज्योतिरादित्य ने ग्वालियर की तरफ रुख़ भी नहीं किया. इस बार भी वो महज़ एक दिन प्रचार के लिए गए वह भी कांग्रेस को विजयी बनाने की अपील के साथ.
नोटिस का जवाब थाने में शिकायत

आपको याद होगा कि <link type="page"><caption> शिवराज सिंह चौहान</caption><url href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/11/131108_shivraj_mp_ap.shtml" platform="highweb"/></link> ने चार दिन पहले ख़ुद के ख़िलाफ़ कांग्रेस के एक विज्ञापन से ख़फ़ा होकर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को मानहानि का क़ानूनी नोटिस भेजा था.
अब सोनिया की कांग्रेस पार्टी ने शिवराज के खिलाफ भोपाल के एक पुलिस थाने में धोखाधड़ी की लिखित शिकायत दर्ज कराई है.
कांग्रेस की शिकायत है कि भाजपा ने अपने एक विज्ञापन में विकास के झूठे दावे करते हुए जो सड़क दिखाई वह मध्य प्रदेश की नहीं बल्कि दुर्गापुर की है. खेत ईरान के और ट्रक अमरीका का है.
कांग्रेस ने इस बारे में एक विज्ञापन भी जारी कर जनता को उन वेबसाइट के लिंक भी उपलब्ध कराए हैं, जहां से ये फ़ोटो डाउनलोड किए गए थे.
भोपाल की हबीबगंज पुलिस को की गई शिकायत में कांग्रेस का कहना है कि विदेशी फ़ोटो के साथ ख़ुद के विकास का प्रचार कर भाजपा जनता के साथ धोखाधड़ी कर रही है लिहाज़ा मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया जाए. है न दिलचस्प चुनाव.
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