पापा-चाचा के दोस्त राहुल के सामने मैदान में!

- Author, अतुल चंद्रा
- पदनाम, वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिन्दी के लिए लखनऊ से
अमेठी में बीते 12 नवम्बर को कांग्रेस सांसद संजय सिंह का जन्मदिन मनाए जाने के बाद से उत्तर प्रदेश का राजनीतिक माहौल गरम है.
चर्चा ज़ोरों पर है कि गांधी परिवार से नाराज़ सुल्तानपुर के कांग्रेस सांसद संजय सिंह अब भारतीय जनता पार्टी में जाने की तैयारी में हैं.
यही नहीं, अमेठी के भूतपूर्व राजा संजय सिंह को भारतीय जनता पार्टी आने वाले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ अपना प्रत्याशी बनाने पर भी गंभीरता से विचार कर रही है.
‘दृढ़ निश्चय की वर्षगांठ‘ के रूप में मनाए गए जन्मदिन पर कई दलों के भूतपूर्व सांसदों और विधायकों ने एक ओर जमकर राहुल का विरोध किया और दूसरी ओर संजय सिंह को अमेठी से चुनाव लड़ने का न्योता दिया. मंच पर उपस्थित लोगों में कांग्रेस के भी नेता थे.
राहुल बाहरी?
यह पूछे जाने पर कि क्या आप भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने जा रहे हैं, संजय सिंह ने साफ़ इनकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि प्रत्याशियों की सूची आने पर आपको स्वयं पता चल जाएगा.

अपने भाषण में संजय सिंह ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि अमेठी ने सदैव ही बाहरी व्यक्तियों को हराया है.
न संजय सिंह और न ही उनकी पत्नी अमीता सिंह खुलकर इस बात को कह रहे हैं कि संजय सिंह अब कांग्रेस से ऊब चुके हैं और उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.
संजय गांधी और बाद में राजीव गांधी के अभिन्न मित्र रहे संजय सिंह का अमेठी न केवल राज्य बल्कि राजनीतिक कार्यक्षेत्र भी रहा है.
उनकी पत्नी अमीता वहां से विधायक भी रही हैं. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस की प्रत्याशी थीं और चुनाव हार गयी थी.
भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार संजय सिंह लगातार भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के संपर्क में बने हुए हैं. भाजपा के सूत्रों के अनुसार दोनों में अमेठी को लेकर विस्तार से चर्चा हुई है.
कुछ दिन पूर्व हुई इस चर्चा में संजय सिंह को अमेठी से भाजपा का लोकसभा से उम्मीदवार बनाने पर भी बात हुई.
भाजपा के इस वरिष्ठ नेता के अनुसार संजय सिंह अमेठी से चुनाव लड़ना चाहते हैं. ‘‘हमें अमेठी के लिए उनसे बेहतर विकल्प नहीं मिलेगा और वे वहां से पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं लेकिन इस विषय पर पार्टी का सेंट्रल बोर्ड ही कोई निर्णय लेगा.
राहुल के लिए चुनौती?

यदि संजय सिंह को भारतीय जनता पार्टी अमेठी से अपना प्रत्याशी बनाती है, जिसकी संभावना लगभग निश्चित है, तो आने वाले चुनाव में राहुल गांधी के लिए अमेठी से जीतना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
संजय सिंह के आने से केवल अमेठी ही नहीं बल्कि सुल्तानपुर की सीट भी कांग्रेस के हाथ से निकल सकती है.
साल 2012 के विधानसभा चुनावों में रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस को पहले ही जबरदस्त झटका लग चुका है.
रायबरेली में, जो कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का लोकसभा क्षेत्र है, पांचों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी. यहां से समाजवादी पार्टी को चार सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
वहीं अमेठी में पांच में से तीन विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी ने जीती और केवल दो कांग्रेस को मिली. साल 2007 में दोनों क्षेत्रों में मिलाकर कांग्रेस के पास 10 में से सात विधानसभा सीटें थी.
12 नवम्बर के जन्मदिन समारोह में सलोन क्षेत्र के भूतपूर्व कांग्रेस विधायक दल बहादुर कोरी, सुल्तानपुर के भूतपूर्व कांग्रेस सांसद राजकरण सिंह, गौरीगंज से कांग्रेस की पूर्व विधायक प्रजापति देवी, भाजपा के पूर्व मंत्री रामलखन पासी (जगदीशपुर), भाजपा के पूर्व विधायक तेजभान सिंह मौजूद थे.
संजय के साथी
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए यह चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि अमेठी की जनता में उनके ख़िलाफ़ गुस्सा है.
तिलोई के पूर्व प्रमुख राधे प्रताप सिंह के अनुसार राहुल गांधी का ज़मीन के लोगों से कोई जुड़ाव नहीं है. उन्होंने साफ़ कहा कि वे संजय सिंह और अमीता के साथ रहेंगे.
एक अन्य कांग्रेस समर्थक त्रिवेणी सिंह के अनुसार राहुल गांधी ने अमेठी की उपेक्षा की है.
त्रिवेणी सिंह कहते हैं, ‘‘अमेठी का जिस तरह से विकास होना चाहिए नहीं हुआ है. मात्र कह देने से विकास नहीं होता है. उनको (राहुल गांधी) यदि केन्द्र की राजनीति करनी है तो करें अमेठी किसी और को चुन लेगी.‘‘
सूत्रों के अनुसार मंच पर मौजूद सभी नेताओं ने अमेठी की उपेक्षा के लिए राहुल गांधी को ज़िम्मेदार ठहराया. त्रिवेणी सिंह के मुताबिक राहुल गांधी के ख़िलाफ़ जो भी कहा गया वह गलत नहीं था.
उधर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल खत्री ने संजय सिंह के पार्टी छोड़ने की खबर पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. पार्टी की राज्य इकाई के अन्य नेता भी इस बारे में बातचीत करने से बच रहे हैं.
पहली बार नहीं
अगर संजय सिंह को भारतीय जनता पार्टी 2014 में अमेठी से अपना उम्मीदवार बनाती है तो ऐसा दूसरी बार होगा जब अमेठी के भूतपूर्व राजा ‘कमल‘ को अपना चुनाव चिन्ह बनाएंगे. इससे पहले साल 1998 में भी वे अमेठी से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे.
संजय सिंह का कांग्रेस छोड़ने का यह तीसरा मौका होगा. साल 1989 में उन्होंने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था. शायद उनके दल बदलने के स्वभाव के कारण ही भारतीय जनता पार्टी अभी खुलकर उनके नाम को सामने नहीं ला रही है. लेकिन संजय सिंह के करीबी लोगों के मुताबिक उनको भाजपा से अमेठी का टिकट मिलना तय है.
<bold>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए <link type="page"><caption> यहां क्लिक करें</caption><url href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi" platform="highweb"/></link>. आप हमें<link type="page"><caption> फ़ेसबुक</caption><url href="https://www.facebook.com/bbchindi" platform="highweb"/></link> और <link type="page"><caption> ट्विटर</caption><url href="https://twitter.com/BBCHindi" platform="highweb"/></link> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</bold>












