पायलिन से हो सकती है कटरीना जितनी तबाही

चक्रवाती तूफ़ान पायलिन तेज़ी से आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाक़ों की ओर आ रहा है. मौसम विभाग का अनुमान है कि 210 से 315 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार ये यह तटीय इलाक़ो तक शनिवार शाम तक पहुंचेगा.

हवाई स्थित अमरीकी नेवी के ज्वाइंट टायफ़ून वार्निंग सेंटर ने इसकी रफ़्तार 315 किमी प्रति घंटे आंकी है.

कटरीना जितनी तबाही की आशंका

अमरीकी मौसम विभाग ने इसे न्यू आर्लियंस में 2005 में आए चक्रवाती तूफ़ान कटरीना जितना विनाशकारी होने की आशंका जताई है. कटरीना तूफ़ान से क़रीब 12,000 लोग मारे गए थे.

अमरीकी मौसम विभाग ने भी आशंका जताई है कि पायलिन तूफान की रफ्तार 315 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है.

इसकी तुलना 1999 में आए तूफ़ान एंड्र्यू से भी की जा रही है जिसमें हवाओं की रफ़्तार 265 किमी प्रति घंटा थी.

लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया

भारी बारिश के बीच ओडीशा में 40,000 हज़ार लोगों को तटीय इलाक़े के 40 गांवों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है.

सुरक्षाबल आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाक़ों से अबतक दो लाख लोगों को निकाल चुके हैं. आपात स्थिति में राहत और बचाव के लिए सेना को सतर्क रखा गया है.

एक निजी मौसम कंपनी वेदरबेल के अनुसार, चक्रवात के कमज़ोर पड़ने के संकेत नहीं हैं.

चौदह साल पहले 1999 में बंगाल की खाड़ी में पायलिन जितनी ही क्षमता के आए एक तूफ़ान में 10,000 लोग मारे गए थे.

विनाशकारी क्षमता

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार पायलिन के तटीय इलाक़ों तक पहुंचने तक क़रीब 3.4 मीटर (11 फीट) ऊंची समुद्री लहरें पैदा हो सकती हैं.

भारतीय मीडिया में सरकार पर तूफ़ान को कम करके आंकने के भी आरोप लग रहे हैं.

अंग्रेजी अखाबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने कहा है कि स्थानीय मौसम वैज्ञानिक तूफ़ान की विनाशकारी क्षमता को कम करके आंक रहे हैं.

हालांकि मौसम वैज्ञानियों ने कहा है कि यह बहुत शक्तिशाली है और बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकता है.

'कैटेगरी पांच का तूफ़ान'

लंदन स्थित ट्रापिकल स्टॉर्म रिस्क ने पायलिन को सबसे शक्तिशाली तूफ़ानों की कैटेगरी पांच में रखा है. हालांकि भारतीय मौसम विभाग ने इन दावों को ख़ारिज कर दिया है.

मौसम विभाग के महानिदेशक एलएस राठौड़ ने शनिवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि पश्चिमी देशों का अपना पैमाना होता है.

उन्होंने कहा कि भारतीय स्थिति के बारे में भारतीय मौसम विभाग से ज्यादा बेहतर आकलन कौन कर सकता है. उन्होंने मीडिया से भी अपील की है कि इस तरह की ख़बरों को ज़्यादा अहमियत न दें क्योंकि इससे लोगों में दहशत फैलती है.

अप्रैल और नवंबर के बीच भारत के पूर्वी समुद्र तट और बांग्लादेश के तटीय इलाक़े अक्सर ही चक्रवाती तूफ़ान के शिकार होते रहे हैं और भारी जान माल का नुक़सान होता रहा है.

दिसम्बर 2011 में तमिलनाडु के तटीय इलाकों में चक्रवाती तूफ़ान थाने के कारण दर्जनों लोग मारे गए थे.

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