मुज़फ़्फ़रनगरः 'हिंसा पीड़ितों को सुरक्षित घर पहुंचाए यूपी सरकार'

प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि यूपी सरकार को मुज़्फ़्फ़रनगर ज़िले के हिंसा पीड़ितों जान-माल की हिफ़ाज़त की पूरी कोशिश करनी चाहिए ताकि वह लोग अपने घर लौट सकें.
प्रधानमंत्री ने ज़िले के बसीकलां में एक राहत शिविर का दौरा करने के बाद यह बात कही.
मनमोहन सिंह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह के साथ मुज़फ़्फ़रनगर दौरे पर पहुंचे थे.
मुज़फ़्फ़रनगर में ये लोग सबसे पहले बसीकलां में बनाए गए शरणार्थी शिविर का दौरा करने पहुंचे.
दौरे के बाद प्रधानमंत्री ने पत्रकारों से कहा,"यूपी सरकार को चाहिए कि हिंसा पीड़ितों के घर लौटने लायक माहौल बनाए और जब तक लोग अपने घरों को लौटना सुरक्षित न समझें तब तक उनको सुरक्षित स्थानों पर रखा जाए. केंद्र सरकार इसमें यूपी सरकार की पूरी मदद करेगी."
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि हिंसा फैलाने वालों को इसकी कड़ी सज़ा मिलेगी.
सोनिया लोगों के बीच
बसीकलां राहत शिविर में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी बैरीकेड पार कर सीधे लोगों के बीच पहुंच गई और उनसे बात करने लगीं.
सोनिया गांधी महिलाओं का दुख-दर्द समझने की कोशिश कर रही थीं तो राहुल गांधी और प्रधानमंत्री आदमियों की बात सुन रहे थे.
अखिलेश को काले झंडे
इससे एक दिन पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ज़िले का दौरा किया था. उन्हें लोगों के ग़ुस्से का सामना करना पड़ा था.
अखिलेश को गांववालों ने काले झंडे दिखाए और नारेबाज़ी की. गांव वालों ने सरकार पर तुरंत कार्रवाई न करने और हिंसा को रोक पाने में नाकाम रहने के आरोप लगाए.
अखिलेश यादव ने घटना को दुखद बताते हुए कहा कि दंगाइयों के खिलाफ़ सरकार कड़े कदम उठाएगी. ‘हम उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेंगे और दोषियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई होगी.’ उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार ने न्यायिक आयोग गठित किया है जो 27 अगस्त के बाद की घटनाओं की पड़ताल कर रहा है.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कवाल गांव के अलावा मालिकपुरा और कांधला गांवों में भी गए जहां उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर माहौल बिगाड़ने के आरोप लगाए. बागपत में एके-47 के कारतूस मिलने की घटना पर उनका कहना था कि प्रशासन को सतर्क रहने की ज़रूरत है.
मुज़फ़्फ़रनगर में 27 अगस्त को एक छेड़खानी की वारदात के बाद तीन लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे ज़िले में तनाव पैदा हो गया था.
ज़िले में अब तक सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 47 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं. हिंसा प्रभावित बहुत से लोगों को अस्थायी शिविरों में ठहराया गया है.
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