दूरसंचार में 100% विदेशी निवेश को मंज़ूरी

टॉवर

भारत सरकार ने देश में आर्थिक सुधारों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए कई क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को बढ़ा दिया है.

सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर शत-प्रतिशत करने का फ़ैसला किया है.

लेकिन नागरिक उड्यन, एयरपोर्ट, मीडिया और फार्मा के क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर कोई फ़ैसला नहीं लिया.

विदेशी निवेश को बढ़ाने का फ़ैसला प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों की बैठक के दौरान लिया गया.

बैठक में हिस्सा लेने वाले मंत्रियों में वित्त मंत्री पी चिदंबरम, रक्षा मंत्री एके एंटनी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा तथा दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल शामिल थे.

दूरसंचार में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश के फ़ैसले से पहले दो जुलाई को दूरसंचार आयोग ने शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए मंज़ूरी दे दी थी.

महत्वपूर्ण फ़ैसले

बैठक के बाद केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने बताया कि बीमा क्षेत्र में में 26 प्रतिशत एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर 49 फीसदी किया गया है.

सरकार ने कई सेक्टरों के विदेशी निवेश के रूट में बदलाव किया है.इसके तहत, पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस, पावर एक्सचेंज, कमोडिटी एक्सचेंज और स्टाक एक्सचेंज में आटोमेटिक रूट से 49 फीसदी एफडीआई को अनुमति दे दी है.

आनंद शर्मा ने कहा कि विदेशी खुदरा क्षेत्र की तरफ से लगातार बढ़ रही मांगों को देखते हुए सरकार ने अनेक ब्रांड वाले खुदरा व्यापार में एफडीआई के मानदंडों को उदार बनाने का निर्णय किया है.

भारतीय मुद्रा

नागरिक उड्यन में एफ़डीआई की 49 फ़ीसदी की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

रक्षा क्षेत्र का मामला

रक्षा क्षेत्र में आटोमेटिक रूट से 26 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति होगी, जबकि 26-49 फीसदी एफडीआई के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यूरिटी (सीसीएस) की अनुमति अनिवार्य होगी.

महत्वपूर्ण है कि रक्षामंत्री एके एंटनी ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मौजूदा सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के प्रस्ताव का विरोध किया था.

तर्क यह था कि यह एक ‘उल्टा’ कदम साबित होगा क्योंकि इससे इससे एक तरफ जहां विदेशी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ेगी वहीं घरेलू रक्षा उद्योग की वृद्धि प्रभावित होगी.

सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी फ़ैसले मायाराम समिति की सिफारिशों पर लिए हैं.समिति ने 20 क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने का सुझाव दिया था, लेकिन सरकार ने सिर्फ़ 12 को ही मंज़ूरी दी है.

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