You’re viewing a text-only version of this website that uses less data. View the main version of the website including all images and videos.
गुड्डू मुस्लिम के बारे में जानिए, जिसका नाम अतीक़ अहमद के भाई अशरफ़ ने गोलियाँ चलने से पहले लिया
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पूर्व सांसद अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ अहमद की शनिवार रात पुलिस की मौजूदगी में तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी.
ये हत्या उस वक्त हुई जब पुलिस दोनों भाइयों को मेडिकल चेक-अप के लिए कॉल्विन अस्पताल ले जा रही थी. पुलिस ने तीनों हमलावरों को हिरासत में ले लिया है.
दोनों की हत्या से महज़ दो दिन पहले ही अतीक़ अहमद के बेटे असद और उनके साथी ग़ुलाम मोहम्मद का यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने झांसी में कथित एनकाउंटर कर दिया था.
गोली चलने के चंद सेकेंड पहले ही अतीक़ अहमद ने मीडिया से बात की थी.
इसके बाद उनके भाई अशरफ़ ने कैमरे पर गुड्डू मुस्लिम नाम के एक व्यक्ति के बारे में कुछ कहना शुरू ही किया था कि इतने में एक हमलावर ने अतीक़ अहमद की कनपटी पर पिस्तौल चला दी.
अतीक़ नीचे गिरे और दूसरे ही पल अशरफ़ पर भी कई राउंड फ़ायरिंग की गई.
'बमबाज़' गुड्डू मुस्लिम
गुड्डू मुस्लिम को बम बनाने का एक्सपर्ट माना जाता है.
गुड्डू मुस्लिम पर उत्तर प्रदेश के बड़े-बड़े माफ़िया गिरोहों के लिए काम करने का आरोप है.
बाद में गुड्डू ने अतीक़ अहमद के लिए काम करना शुरू किया.
ये भी कहा जाता है कि महज़ 15 साल की उम्र में गुड्डू मुस्लिम ने छोटी-मोटी चोरियों से अपराध की दुनिया में क़दम रखा.
लेकिन कुछ समय बाद बाहुबलियों की पनाह मिलने के बाद गुड्डू ने बम बनाना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश में होने वाले कई बड़े आपराधिक मामले में गुड्डू मुस्लिम का नाम भी जुड़ने लगा.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार प्रभात वर्मा के अनुसार गुड्डू मुस्लिम ने श्रीप्रकाश शुक्ला, मुख़्तार अंसारी, धनंजय सिंह और अभय सिंह सहित कई कथित माफ़ियाओं के लिए लगभग दो दशक तक काम किया है.
हालाँकि, अब गुड्डू मुस्लिम को अतीक़ अहमद का दाहिना हाथ माना जाता था. गुड्डू का नाम लखनऊ पीटर गोम्स मर्डर केस में भी सामने आया था.
फ़रवरी महीने में हुई उमेश पाल की हत्या के बाद आए सीसीटीवी फुटेज में भी गुड्डू मुस्लिम को मौक़े पर बम फेंकते हुए देखा गया था.
उमेश पाल की हत्या के बाद से गुड्डू मुस्लिम का पुलिस पता नहीं लगा पाई है.
पुलिस ने गुड्डू मुस्लिम पर उमेश पाल के हत्याकांड के बाद 5 लाख का इनाम भी घोषित किया है.
अतीक़ अहमद पर थे 100 से अधिक मुक़दमे
वहीं अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ भी कई मामले चल रहे थे. अतीक़ अहमद को साबरमती जेल में रखा गया था. अतीक़ पर एमपीएमएलए अदालत में चल रहे 50 से अधिक मामलों में सुनवाई वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही थी.
अतीक अहमद पर 100 से भी अधिक आपराधिक मुक़दमे दर्ज थे.
अधिकारियों के मुताबिक़ अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ 1996 से अब तक 50 मुक़दमे विचाराधीन थे.
अभियोजन पक्ष का कहना था कि 12 मुक़दमों में अतीक़ और अशरफ़ के वकीलों ने अर्ज़ियां दाख़िल की थीं, जिससे केस में आरोप तय नहीं हो पाए.
अतीक़ अहमद बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य अभियुक्त थे. इस मामले की जाँच अब सीबीआई कर रही है.
इस साल 28 मार्च को प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने अतीक़ अहमद को उमेश पाल का 2006 में अपहरण करने के मामले में दोषी पाया और उम्र कै़द की सज़ा सुनाई थी.
उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड के शुरुआती गवाह थे, लेकिन बाद में मामले की जाँच कर रही सीबीआई ने उन्हें गवाह नहीं बनाया था.
इसी साल 24 फ़रवरी को उमेश पाल की दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.
अतीक़ के भाई अशरफ़ का आपराधिक इतिहास
अशरफ़ उर्फ़ खालिद आज़मी पर पहला आपराधिक मुक़दमा साल 1992 में दर्ज हुआ था. अशरफ़ के ख़िलाफ़ 52 मुक़दमे दर्ज थे. इसमें हत्या, हत्या का प्रयास, बलवा (उपद्रव) और अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज थे.
इसी साल फरवरी में हुई उमेश पाल की हत्या के मामले में अशरफ़ को अभियुक्त बनाया गया था. उमेश पाल की हत्या से पहले साल 2006 में उनका अपहरण हुआ था.
ग़ौर करने वाली बात यह है कि उमेश पाल के अपहरण वाले मामले के फै़सले में अशरफ़ को निर्दोष ठहराया गया था. इसी मुक़दमे में अतीक़ और दो अन्य को दोषी पाया गया और 6 अभियुक्त बरी हुए थे.
प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने अतीक़ अहमद को उम्र कै़द की सज़ा सुनाई थी.
बसपा विधायक राजू पाल की 2005 में हुई हत्या के मामले में भी अशरफ़ पर आरोप लगे थे और ये मुक़दमा लखनऊ की सीबीआई अदालत में चल रहा था.
अशरफ़ को बरेली जेल में रखा गया था और उन्हें पेशी के लिए प्रयागराज लाया जाता था.
साल 2004 के आम चुनाव में फूलपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर अतीक़ अहमद लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने.
इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट ख़ाली हो गई और इसके लिए उपचुनाव हुए.
इस उपचुनाव में सपा ने अतीक़ के छोटे भाई अशरफ़ को टिकट दिया, वहीं बहुजन समाज पार्टी ने राजू पाल को उम्मीदवार बनाया.
उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक़ अहमद के भाई अशरफ़ अहमद को हरा दिया था.
पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद ही 25 जनवरी, 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
इस घटना में देवी पाल और संदीप यादव की भी मौत हुई थी. दो और लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.
इस हत्याकांड में सीधे तौर पर उस समय सांसद रहे अतीक़ अहमद और उनके भाई अशरफ़ पर आरोप लगे.
उमेश पाल की हत्या की साज़िश का आरोप भी अशरफ़ पर लगा था.
ये भी पढ़ें:
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)