झारखंड: आर्थिक तंगी भी ना रोक सकी रागिनी कच्छप को नेशनल पावरलिफ्टिंग चैंपियन बनने से

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM BBC
- Author, मोहम्मद सरताज आलम
- पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए, रांची से
"स्नातक के दौरान मैं हेल्दी होने लगी, खानदान के लोग ताने मारते कि मोटापे के कारण शादी नहीं होगी. इस वजह से मैंने जिम ज्वाइन किया."
ये शब्द पावर लिफ्टिंग-2023 की नेशनल चैंपियन रागिनी कच्छप के हैं. वो झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली हैं.
रागिनी ने 2013 में हाईस्कूल, 2015 में इंटर व 2018 में स्नातक की परीक्षा क्रमश: सत्तर, बासठ एवं चौहत्तर प्रतिशत अंकों के साथ पास की.
पढ़ाई में उम्दा रागिनी कच्छप सरकारी नौकरी करना चाहती थीं. इसलिए 2018 में रागिनी घर पर रहते हुए पहले स्नातक फिर सरकारी नौकरी से संबंधित परीक्षा की तैयारी में जुटी रहीं.
वर्ष 2018 में स्नातक परीक्षा के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू करने वाली रागिनी कहती हैं, "उस समय पढ़ाई के दौरान ज़्यादातर मैं बैठी ही रहती थी. फिज़िकल एक्टिविटी कम होने के कारण मैं हेल्दी होने लगी. जिसपर खानदान के कुछ लोग मज़ाक़ उड़ाते थे, तो कुछ लोग ताना मारते कि तुम मोटी हो रही हो, तुम्हारी शादी नहीं होगी."
वो बताती हैं, "मुझे रिश्तेदारों की बातें चुभती थीं. फिर मैंने डाइटिंग शुरु कर दी. मैं दिन भर खाना नहीं खाती. मेरी बस एक ही ज़िद थी कि किसी तरह पतली हो जाऊं,"
इसके चलते रागिनी ने जिम ज्वाइन किया. जिम के ट्रेनर सतीश की देखरेख में रागिनी ने पावर लिफ्टिंग शुरू की और 2018 में झारखंड स्टेट पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप की चैंपियन बन गईं.
लेकिन सरकारी नौकरी की तलाश जारी थी. उन्होंने अपना ध्यान वर्ष 2019 के दौरान सिर्फ परीक्षा की तैयारी पर केंद्रित किया. बैंकिंग, एसएससी आदि परीक्षा देने के बाद सफलता नहीं मिली और 2020 के कोरोना संकट ने परिवार की मुश्किलों को बढ़ा दिया.
रागिनी की मां कहती हैं, "लॉकडाउन लगने के बाद पति की नौकरी चली गई. रागिनी की शादी के लिए जमा कुछ पैसे थे जो मार्च 2020 से अक्तूबर 2021 तक घर चलाने के काम आए."
रागिनी कहती हैं, "अक्तूबर 2021 तक जब बाबा को नौकरी वापस नहीं मिली तब मैं भी पार्ट टाइम जॉब तलाशने लगी लेकिन 2022 तक कोई नौकरी नहीं मिली."
स्ट्रॉंगेस्ट वुमेन- 2023 का खिताब पाने का सफ़र

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM BBC
इस दौरान जिम में वजन उठाने का सिलसिला बना रहा. दिसंबर, 2022 को अमृतसर में हुई नेशनल चैंपियनशिप की तैयारी भी शुरू हो गई.
वो बताती हैं कि 2022-नेशनल चैंपियनशिप में क्वालिफाई करने के लिए डेडलिफ्ट में गोल्ड हासिल करते हुए 2022 में दोबारा झारखंड चैंपियन बनी.
नेशनल चैंपियनशिप के दौरान 26 और 27 दिसंबर को रागिनी ने 60 किलोग्राम वर्ग में बेंच-प्रेस व डेडलिफ्ट श्रेणी में 47.5 किलोग्राम और 120 किलोग्राम वज़न उठाकर दो गोल्ड हासिल किए. जबकि फुल पावर लिफ्टिंग के तहत रागिनी ने सर्वाधिक 250 किलोग्राम वज़न उठाकर तीसरा गोल्ड प्राप्त किया. इस वजह से उनको स्ट्रॉंगेस्ट वुमेन ऑफ इंडिया का खिताब मिला.
चैंपियनशिप के लिए रागिनी को लेना पड़ा कर्ज़

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM BBC
लेकिन ये सब इतना आसान भी नहीं था. नेशनल चैंपियनशिप के रजिस्ट्रेशन और यात्रा के लिए खर्च जुटाने की बड़ी चुनौती सामने थी.
रागिनी की मां कहती हैं, "मैंने मुहल्ले की महिला समिति से तीन हज़ार रुपए लिए जिसकी मदद से रागिनी का चैंपियनशिप में रजिस्ट्रेशन हुआ."
रागिनी बताती हैं, "अब मुझे अमृतसर जाने के लिए ट्रेन का भाड़ा चाहिए था. जिसके लिए मैंने अपनी एक जानने वाली से ढाई हज़ार रुपये लिए."
रागिनी के अनुसार अमृतसर में खाने का कोई इंतज़ाम नहीं था. रात में रुकने के लिए उस होटल के एक हॉल में ज़मीन पर जगह दे दी गई जहां गेम होना था. वहां ठंड की वजह से सभी झारखंड की लड़कियों को रात गुज़ारना मुश्किल हो गया.
आदिवासी समुदाय के उराँव समाज से हैं रागिनी

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM BBC
रागिनी कच्छप का घर रांची के लालपुर चौक में स्थित है. नाले के किनारे जिस छोटी सी ज़मीन पर उनका घर है, वर्षों पहले वहां रागनी के दादा खेती करते थे.
1995 में रागिनी कच्छप के पिता ने खपड़े की छत व कच्ची मिट्टी की दीवारों से दो कमरों का आशियान बनाया.
रागिनी की मां अंजना गाड़ी बताती हैं, "उस समय जब हम इस घर में आए तो हमें सुकून था कि खपड़े की ही सही हमारे सर पर अपनी छत है."
रांची शहर के बीचो बीच जिस इलाके में रागिनी का घर है, उसके चारों तरफ अपार्टमेंट के अलावा आलीशान घर मौजूद हैं. लेकिन वहां सिर्फ दो घर एस्बेस्टस के दिखे. इनमें से एक घर रागिनी का है.
परिवार की माली हालत अच्छी नहीं
अंजना गाड़ी के अनुसार रागिनी का जब जन्म हुआ उस समय उनके पति की आय दो सौ रुपए प्रति हफ्ते थी. जो अब ढाई हज़ार रुपये प्रति हफ्ते हो गई है.
अंजना बताती हैं, "लेकिन आर्थिक तंगी तब भी थी और आज भी है. इस कारण मुझे भी दो पैसे जुटाने के लिए कई तरह के काम करने पड़े,"
आय के संबंध में सवाल करने पर रागिनी के पिता पशुपति उराँव कहते हैं, "मैंने अपनी पढ़ाई रिक्शा चलाकर की. लेकिन हाईस्कूल तक पहुंचने के बावजूद मैं मैट्रिक नहीं कर सका. इसलिए अच्छी आय वाला काम मुझे कभी नहीं मिल सका."

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM BBC
पशुपति उराँव एक इलेक्ट्रॉनिक शॉप के गोदाम में लेबर हैं. जबकि रागिनी की मां अंजना गाड़ी नज़दीकी अपार्टमेंट के घरों में साफ-सफाई का काम करती हैं. जिससके एवज में उन्हें हर महीने तीन हज़ार रुपए मिलते हैं.
अपने समय की स्टेट हॉकी खिलाड़ी अंजना गाड़ी 2015 से आंगनबाड़ी सहायिका हैं. उन्हें परिश्रमिक के तौर पर ढाई हज़ार रुपए मिलते हैं.
अंजना गाड़ी के अनुसार आंगनबाड़ी सहायिका को समय पर वेतन नहीं मिलता. इस वजह से अकसर आर्थिक तंगी से रागिनी का परिवार दोचार होता रहा है.
भविष्य को लेकर चिंतित हैं मां अंजना
बेटी के नेशनल चैंपियन बनने से उत्साहित अंजना गाड़ी का मानना है कि उनके समक्ष दो बड़ी चुनौतियां हैं, एक बेटी रागिनी की शादी तो दूसरी विकलांग बेटे रोहन कच्छप के भविष्य की चिंता. बीस साल के रोहन ने छठवीं कक्षा तक पढ़ाई की. उनकी याददाश्त ठीक नहीं है.
अंजना कहती हैं, "मैं रागिनी से कहती हूं कि आज मैं और बाबा हैं, कल नहीं रहेंगे, इसलिए मेहनत करो ताकि सरकारी नौकरी मिल जाए. मेरे न रहने पर रोहन की ज़िम्मेदारी तुम्हें ही उठानी है."
पावरलिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप है अगला टार्गेट

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM BBC
रागिनी कच्छप के कोच संदीप तिवारी कहते हैं कि पावर लिफ्टिंग ओलंपिक में शामिल नहीं है लेकिन भारत में पावर लिफ्टिंग के क्षेत्र में संभावनाएं बहुत हैं. विशेष कर सर्विस के लिहाज़ से.
वो कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि रागिनी अपना अगला टार्गेट एशियन और वर्ल्ड चैंपियनशिप को बनाएं."
लेकिन एशियन और वर्ल्ड चैंपियनशिप में जाने की तैयारी पर रागिनी कहती हैं, "मैं इन चैंपियनशिप की तैयारी कर तो रही हूं. लेकिन वहां जाने का खर्च लगभग डेढ़ लाख रुपए है. जो मेरे पास नहीं है."
वो आगे कहती हैं, "दिसंबर में जब मुझे नेशनल चैंपियनशिप में जाने के खर्च की पांच हज़ार रुपए की छोटी रकम उधार लेनी पड़ी. तो डेढ़ लाख रुपए का कर्ज़ मुझे कौन देगा. इतनी बड़ी रकम तो मैंने कभी देखी भी नही. अब सरकार से ही उम्मीदें हैं."
रागिनी कच्छप की सफलता से उत्साहित झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो बीबीसी से कहते हैं कि प्रदेश की प्रतिभाएं देश विदेश में झारखंड का नाम रौशन कर रही हैं, विशेष कर प्रदेश की बेटियां. ये हमारे लिए गर्व की बात है. रागिनी ने डेडलिफ्ट के दौरान एक सौ बीस केजी वज़न उठाया, ये बहुत बड़ी बात है.
क्या आपकी सरकार रागिनी कच्छप को वर्ल्डपावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप का हिस्सा बनने के लिए आर्थिक सहायता करेगी? इस प्रश्न पर जगरनात महतो कहते हैं, "हमारी सरकार ने खेल नीति बनाई है, अत: किसी प्रतिभावान खिलाड़ी को पैसे की कमी नहीं होगी."
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)













