अदानी ग्रुप पर 106 पन्नों की रिपोर्ट से एलआईसी को बड़ा झटका, दो ही दिन में गंवाए 16,600 करोड़ - प्रेस रिव्यू

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अमेरिका के हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अदानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. लेकिन अदानी समूह के शेयरों में इस गिरावट से एलआईसी को ज़बरदस्त झटका लगा है.
'इंडियन एक्सप्रेस' ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस रिपोर्ट की वजह से अदानी समूह की बाज़ार पूंजी (मार्केट कैपिटलाइज़ेशन) में शुक्रवार को एक ही दिन में 3.37 लाख करोड़ रुपये की भारी गिरावट आ गई है.
लेकिन इसका खमियाज़ा जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी को भुगतना पड़ा. देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी को इस वजह से 16,627 करोड़ रुपये गंवाने पड़े. अदानी ग्रुप की सबसे बड़ी पांच कंपनियों में एलआईसी सबसे बड़ी घरेलू (नॉन-प्रमोटर) निवेशक है.
अख़बार ने लिखा है कि महज़ दो दिनों में अदानी समूह की कंपनियों में एलआईसी के निवेश का मूल्य 22 फ़ीसदी गिर गया. शुक्रवार को इसका मूल्य 72,193 करोड़ रुपये था लेकिन मंगलवार को (शनिवार और रविवार को शेयर बाज़ार में कारोबार बंद रहता है) ये घट कर 55,565 करोड़ रुपये पर आ गई.
इसके साथ ही शुक्रवार को एलआईसी की शेयरों में 3.5 फीसदी की गिरावट आई. दो दिन में इसके शेयर 5.3 फीसदी गिर गए.
इकोनॉमिक टाइम्स पर छपी एक ख़बर के अनुसार अपनी 106 पन्नों की रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने अदानी पर 'कार्पोरेट दुनिया की सबसे बड़ी धोखाधड़ी' का आरोप लगाया है. ये आरोप ऐसे समय आया है जब अदानी ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी अदानी इंटप्राइज़ेज़ का एफ़पीओ लांच होने वाला था. शुक्रवार को पहले दिन इसका एफ़पीओ सिर्फ एक फ़ीसदी सब्सक्राइब हुआ.

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रिपोर्ट ने मॉरीशस और कैरिबियाई द्वीपों जैसे विदेशी टैक्स हैवेन में मौजूद कंपनियों पर अदानी ग्रुप की मिल्कियत पर सवाल खड़ा किया है.
इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि अदानी की कंपनियों पर पर्याप्त क़र्ज़ है जो पूरे ग्रुप को 'वित्तीय तौर पर बहुत जोख़िम वाली स्थिति' में डालता है.
इससे पहले गुरुवार को, अदानी ग्रुप ने कहा था कि वो हिंडनबर्ग रिसर्च के ख़िलाफ़ भारत और अमेरिका में 'सुधारात्मक और दंडात्मक' कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है.
अदानी का कहना था कि वो हमेशा से ही 'क़ानूनों का पालन' करते रहे थे.

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अदानी की क़ानूनी सलाहकार टीम के प्रमुख जतिन जालुंधवाला ने कहा, "रिपोर्ट ने भारतीय शेयर बाज़ार में जो उतार-चढ़ाव पैदा किया है, वो बहुत चिंताजनक है और भारतीय नागरिकों के लिए अनचाही परेशानी का सबब बना है."
उन्होंने कहा, "साफ़ है कि ये रिपोर्ट और इसके अप्रमाणित तथ्य इस तरह पेश किए गए कि इसका अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की क़ीमत पर बुरा असर पड़े क्योंकि हिंडनबर्ग रिसर्च ने खुद ये माना है कि अदानी के शेयरों के गिरने से उसको फ़ायदा पहुंचेगा."
हिंडनबर्ग 'शॉर्ट सेलिंग' की स्पेशलिस्ट है यानी वो ऐसी कंपनियों के शेयर में सट्टा लगाती है जिनके भाव गिरने की अपेक्षा हो.
अदानी ग्रुप भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और उसका कारोबार कमोडिटी ट्रेडिंग, एयरपोर्ट, यूटिलिटी और रिन्यूबल एनर्जी समेत कई क्षेत्रों में फैला है.
दुनिया के अरबपतियों की फ़ोर्ब्स मैग्ज़ीन की रीयल टाइम लिस्ट के मुताबिक़, शेयर के मूल्यों में आई गिरावट के बाद शनिवार को अदानी ग्रुप के मालिक गौतम अदानी 7वें नंबर पर रहे.

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भारत-चीन सीमा पर चीनी राष्ट्रपति के दौरे का अमेरिका ने किया विरोध
पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति शी ज़िनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए भारत-चीन सीमा पर डटे चीनी सैनिकों से मुलाकात की थी. इसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेना में तनातनी के बीच अमेरिका ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
'हिन्दुस्तान टाइम्स' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अमेरिकी विदेश विभाग की एक नियमित प्रेस ब्रिफिंग के दौरान हिन्दुस्तान टाइम्स के संवाददाता की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में डिप्टी प्रेस प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा अमेरिका हालात पर बारीक निगाह बनाए हुए है.
पटेल कहा, "हम हमले के ज़रिये किसी जमीन पर दावे की एकतरफा कोशिशों का विरोध करते हैं. अमेरिका सैन्य या असैन्य तरीक़े से सीमा पार किसी स्थापित वास्तविक नियंत्रण में बदलाव का विरोध करता है."
पटेल ने कहा कि अमेरिका मौजूदा द्विपक्षीय चैनलों के जरिये भारत और चीन के बीच विवादित सीमाओं के मसले को सुलझाने की कोशिशों को प्रोत्साहित करता है.
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जैक सुलिवन के बीच अगले सप्ताह क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होनी है.
अख़बार लिखता है कि इस बैठक से पहले अमेरिका की भारत-चीन सीमा पर तनाव पर आए इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत के साथ टेक्नोलॉजी सहयोग को अहम माना है. हालांकि दोनों के बीच ये टेक्नोलॉजी ट्रांसफ़र विवादास्पद मुद्दा रहा है.

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चारधाम यात्रा पर जोशीमठ का असर नहीं - पुष्कर धामी
उत्तराखंड के जोशीमीठ में जमीन धंसने की घटनाओं के बाद चारधाम यात्रा को लेकर चिंता शुरू हो गई है. छह महीने के विराम के बाद इस साल चारधाम यात्रा 22 अप्रैल शुरू हो जाएगी. 27 अप्रैल को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल जाएंगे.
इस बीच, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं का इस यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की ख़बर के मुताबिक़ सीएम धामी ने कहा, "यात्रा शुरू होने में अभी 100 दिन बाकी हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे कि यात्रा से पहले सभी तैयारियां पूरी हो जाएं. हमें यात्रियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना है. पिछले साल रिकार्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने तीर्थयात्रा की थी और इस साल भी उम्मीद है कि भारी संख्या में लोग आएंगे."
दरअसल जोशीमठ में ज़मीन धंसने के बाद लोगों के विरोध और विशेषज्ञों की सलाह के बाद हेलांग बाईपास रोड का काम रुक गया है. इस रास्ते से जोशीमठ में घुसे बिना लोग बद्रीनाथ जा सकते थे. चूंकि अब ये काम रुक गया है. इसलिए इस यात्रा को लेकर चिंता जताई जा रही थी.

चीन के साथ भारत के व्यापार में लगातार बढ़ोतरी, पड़ोसी और ब्रिक्स देश भी चीन पर निर्भर
भारत-चीन की बीच सीमा पर जारी तनाव के बावजूद दोनों के देशों के आपसी कारोबार पर असर नहीं पड़ा है. बल्कि इस दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार और बढ़ा है.
'द हिंदू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 2022 में चीन से भारत का आयात रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया. वहीं भारत से चीन को किया जाने वाला निर्यात पांच साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया. चीन से सबसे ज़्यादा इलेक्ट्रिक मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंस आयात किया गया है. पिछले कुछ समय से इन चीज़ों के मामले में भारत की चीन पर निर्भरता काफी बढ़ गई है.

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रिपोर्ट के मुताबिक़ सिर्फ भारत ही नहीं इसके पड़ोसियों और ब्रिक्स देशों की आयात निर्भरता भी चीन पर काफी बढ़ गई है.
भारत से चीन को सबसे ज़्यादा निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं में लौह अयस्क, पेट्रोलियम ऑयल, सेमी फिनिश्ड आयरन प्रोडक्ट, फेरो क्रोमियम, झींगा मछली, ग्रेनाइट, सल्फर, एल्यूमीनियम, काली मिर्च आदि शामिल हैं.
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