You’re viewing a text-only version of this website that uses less data. View the main version of the website including all images and videos.
'मैं शीशे में अपना मुँह नहीं देखना चाहती, उनके शब्द मेरे कानों में गूँजते हैं'
- Author, सुशीला सिंह
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
"जब मैं कोर्ट में सुनवाई के लिए जाती हूँ, तो मेरे दिमाग़ में केवल उनके चेहरे घूमते रहते हैं. मुझे ये डर रहता है कि कहीं वो कुछ कर ना दें. क्योंकि उनका कोई भरोसा नहीं है. उन्हें तो जेल ही जाना है."
ये शब्द है कथित गैंगरेप की सर्वाइवर के, जिनके ज़ेहन में पिछले साल हुई घटना के ज़ख़्म तरोताज़ा हैं.
- 26 जनवरी 2022 को हुई घटना.
- ये घटना पूर्वी दिल्ली में हुई थी.
- महिला के साथ गैंगरेप का आरोप.
- सर्वाइवर का सिर मुँडवा कर चेहरे पर कालिख़ पोती गई.
- महिला को मारा-पीटा गया, जूतों की माला पहनाकर गलियों में घूमाया गया.
- इस घटना का वीडियो भी बनाया गया.
इस मामले में मुख्य अभियुक्त के परिवार का आरोप है कि उनके बेटे और सर्वाइवर की शादी से पहले से दोस्ती थी.
सर्वाइवर की शादी हो चुकी है और उनका तीन साल का बच्चा भी है.
साथ ही अभियुक्त के परिवार का आरोप है ये दोस्ती महिला (सर्वाइवर) की शादी के बाद भी जारी थी और सर्वाइवर की वजह से ही उनके लड़के ने साल 2020 में खुदकुशी कर ली थी.
इसके बाद सर्वाइवर की तरफ़ से ये आरोप लगे कि उन्हें धमकी मिल रही है.
इस धमकी को लेकर उन्होंने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी, लेकिन उनका आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की.
बीबीसी से बातचीत में शाहदरा ज़िले के पुलिस उपायुक्त रोहित मीणा का कहना है कि इस मामले में लड़की की बहन ने शिकायत दर्ज कराई थी और पुलिस ने कार्रवाई की और चार्जशीट दायर कर दी है.
सर्वाइवर के साथ हुई घटना के मामले में 16 लोगों की गिरफ़्तारियाँ हुईं और पाँच नाबालिग़ों को पकड़ा गया था.
हालाँकि इस मामले में नाबालिग़ों को छोड़ दिया गया है. वहीं बालिग़ में से एक को छोड़ा गया है.
महिला के वकील तेज प्रताप सिंह कहते हैं, "जिस लड़के ने आत्महत्या की उसके परिवारवालों से सर्वाइवर को धमकी मिल रही थी, इसकी वजह से वो ससुराल छोड़ कर कहीं और रहने लगी. लेकिन लड़के के परिवारवालों को उसकी भनक लगी और फिर ऑटो, स्कूटी से लोग आए. इस मामले में ऑटो मालिक की कोई भूमिका नहीं थी, क्योंकि उसने अपना ऑटो किराए पर दिया हुआ था."
वहीं इस मामले में ये भी सवाल उठा कि सर्वाइवर के घर से कुछ ही दूरी पर पिंक बूथ है, लेकिन इस घटना के दौरान वो बंद पड़ा था.
इसका जवाब देते हुए पुलिस उपायुक्त रोहित मीणा कहते हैं, "उस दिन 26 जनवरी थी और बहुत सारी फ़ोर्स तैनात की गई थी लेकिन इस मामले में कोई पीसीआर कॉल नहीं आई. पुलिस को बीट इंटेलिजेंस के ज़रिए पता चला और वो तुरंत वहाँ पहुँची और लड़की को बचाया गया."
आरोप
सर्वाइवर ने हर सवाल का जवाब मुस्कुराहट और बहुत कम शब्दों में दिया और बीच-बीच में गुमसुम हो जाती थी.
सर्वाइवर ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "माँ की पहले ही मौत हो गई थी. पिता की पिछले साल दिसंबर में मौत हुई. मेरी छोटी बहन है. अब मुझ पर उसकी भी ज़िम्मेदारी है और मेरा तीन साल का बच्चा भी है. मेरा बस ये कहना है उन्हें जल्द से जल्द सज़ा मिले और मैं यहाँ से दूर चली जाऊँ."
"मुझे बहुत डर लगता है. मैं नींद में घबराकर उठ जाती हूँ. मैं ख़ुद को शीशे में नहीं देखना चाहती, क्योंकि मेरा चेहरा क्या था और उन्होंने पीटकर कैसा बना दिया है. जो शब्द उन्होंने कहे थे, वो मेरे कानों में आज भी गूँजते हैं."
सर्वाइवर 12 वीं पास है और नौकरी करना चाहती हैं. वो कहती हैं कि पति उनका साथ देते हैं, लेकिन हाल ही में उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. ऐसे में उन्हें चिंता है कि आगे क्या होगा.
वो कहती हैं, "अगर मैं नौकरी करूँगी, तो मुझे इन डरावनी यादों से ध्यान हटाने में मदद मिलेगी. मुझे अचानक चक्कर आ जाता है और आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है. वो चोट कई बार बहुत दर्द देती है. सिर में रोज़ दर्द होता है. उन लोगों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए."
कुछ आगे बढ़ने पर हमारी मुलाक़ात अभियुक्तों के परिवार से हुई.
माया देवी, अभियुक्तों की नानी हैं, "मेरा पूरा परिवार जेल में है. इसमें बेटा, बहू, बेटी, जमाई, बेटी के ससुराल वाले, बहू का परिवार सब. केवल बच्चे हमारे पास हैं. बस वो जेल से छूट जाएँ, हम यही चाहते हैं."
वे इस बात को स्वीकार करती हैं कि महिला के साथ जो 26 जनवरी को हुआ, वो उनके परिवार ने किया था.
ये पूछे जाने पर कि उन्होंने परिवार के सदस्यों को क्यों नहीं रोका, तो इस पर उनका कहना था, "वो उस समय घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी. अगर पता होता तो उन्हें रोकती."
उन्हीं के साथ चारपाई पर बैठी उनकी पड़ोसी शहनाज़ रोते हुए कहती हैं कि घटनास्थल पर उनकी बेटी बच्चे को गोद में लेकर खड़ी थी, उसने कुछ नहीं किया लेकिन उसे भी लेकर चले गए.
इसी बातचीत के दौरान परवीन बार-बार बोलने लगते हैं. वो बताते हैं कि वो भी माया देवी के रिश्तेदार हैं. मैंने जब पूछा कि ये घटना हो रही थी तो किसी ने रोकने की कोशिश क्यों नहीं की.
परवीन कहते हैं, "उस समय लोगों में ग़ुस्सा था. लड़की का परिवार भी मदद के लिए आगे नहीं आया तो ऐसे में कोई दूसरा क्यों मदद करने आता."
कौन-कौन सी धाराएँ लगीं
वकील तेज प्रताप सिंह कहते हैं कि अभी तो केवल मामले की सुनवाई चल रही है, लेकिन डर इस बात का है कि लड़की से साथ जिरह शुरू होगी तब क्या होगा.
वे बताते हैं, "ये महिला कितनी डरी हुई है उसका अंदाज़ा आप इससे लगाइए कि आरोप तय होने के बाद कोर्ट में सुनवाई की चार तारीख़ लगी हैं. उन चार तारीख़ों में कोर्ट में आते-जाते या बाहर जो रिश्तेदार बैठे रहते हैं, वो धमकी देते रहते हैं. हालाँकि मैंने भी उन्हें समझाया है."
वो कहते हैं, "चार जनवरी को सुनवाई हो रही थी और अभियुक्त पर्दे के पीछे खड़े थे. उन्होंने पर्दा हटाकर महिला को घूरना शुरू कर दिया. जज साहब ने उन्हें चेतावनी भी दी कि आप ऐसा नहीं कर सकते."
वे आगे बताते हैं, "इसके बाद लड़की ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. हालाँकि क़रीब आधे घंटे के लिए इंतजार किया गया लेकिन उन्होंने गवाही देने से इनकार कर दिया."
अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी.
वो कहते हैं, "मेरी चिंता इस बात को लेकर है कि ज़िरह के दौरान महिला मानसिक तौर पर सवालों से कैसे निपटेगी क्योंकि उसे भावनात्मक तौर पर तोड़ने की कोशिश की जाएगी."
वकील का कहना है कि पुलिस ने चार्जशीट में धारा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है साथ ही महिला को काउंसलिंग के लिए 'इब्हास' भी भेजा गया.
इब्हास एक स्वायत्त संस्था है, जो मनोचिकित्सकीय मदद करती है.
इस मामले की सुनवाई दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में चल रही है और इस मामले में 10 से ज़्यादा धाराएँ लगाई गई हैं.
अभियुक्तों पर जो धाराएँ लगाई गई हैं, उनमें 376 (डी) के तहत गैंगरेप के अलावा कई धाराएँ शामिल हैं.
इस धारा में कठिन कारावास और कम से कम 20 साल जेल की सज़ा का प्रावधान है और यह ग़ैर ज़मानती है.
वहीं इस धारा के अंतर्गत जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सज़ा भी हो सकती है.
इस घटना के एक साल बीत चुके हैं. सर्वाइवर का कहना है कि वो बस अपने भगवान पर भरोसा रख रही हैं, खुद को हौसला दे रही हैं और जल्द से जल्द कहीं दूर बसना चाहती हैं.
धाराएँ
- धारा 307: कोई व्यक्ति अगर किसी ऐसे इरादे से अलग-अलग परिस्थितियों में ऐसा काम करता है, जो किसी की मौत का कारण बनता है तो ऐसे में उसे हत्या का दोषी माना जाएगा. ऐसे मामले में 10 साल तक की सज़ा और जुर्माना भी हो सकता है.
- धारा 323, 325: गंभीर चोट पहुँचाना. इसमें सज़ा का प्रावधान किया गया है जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है साथ ही ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है.
- धारा 354 और 354(बी): 'शील भंग' करने के मक़सद से महिला पर हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल करना. इसमें सज़ा तीन साल से कम नहीं या उसे बढ़ाकर सात साल करने का प्रावधान है. इसके अलावा ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है.
- धारा 342: ग़लत तरीक़े से बंधक बनाना. ऐसे व्यक्ति को जे़ल की सज़ा हो सकती है जो एक साल तक बढ़ सकती है, वहीं ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है.
- धारा 365: अगवा या अपहरण करने के मामले में ये धारा लगाई जाती है, जिसमें कठिन कारावास और अधिकतम 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान है. इसमें एक से पाँच साल तक की सज़ा और ज़ुर्माना शामिल है.
- धारा 149: एक ही मक़सद से इकट्ठा होकर अपराध करना इस धारा के तहत आता है. इसमें तीन साल तक की सज़ा का प्रावधान है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)