You’re viewing a text-only version of this website that uses less data. View the main version of the website including all images and videos.
साल 2022: अपराध की पांच घटनाएं जो लोगों के ज़ेहन में दर्ज हो गईं
- Author, दिलनवाज़ पाशा
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
कुछ अपराध जुनून में होते हैं और कुछ के पीछे तर्क होता है. लेकिन इनके बीच का फ़र्क़ स्पष्ट नहीं है. फ़्रांसीसी दार्शनिक अल्बेयर कामू के इस विचार को इस तरह भी कहा जा सकता है कि 'अपराध सिर्फ़ अपराध होता है.'
अपराध रोकने के लिए एक पूरा सिस्टम है जिसे लॉ एंड ऑर्डर कहा जाता है. अपराधियों को सज़ा देने के लिए भी एक व्यवस्था है जिसे न्याय व्यवस्था कहते हैं.
बावजूद इस सिस्टम और व्यवस्था के अपराध होते हैं और कई अपराध तो ऐसे होते हैं जो सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं कि क्या ऐसा भी हो सकता है. ये अपराध सनसनी और डर पैदा करते हैं और कई बार राजनीति का मुद्दा भी बन जाते हैं.
साल 2022 के जाते-जाते एक नज़र अपराध की ऐसी घटनाओं पर जो सिर्फ़ इस साल में ही नहीं बल्कि लोगों के ज़ेहन में भी हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं.
मुंबई की रहने वाली 26 साल की श्रद्धा वालकर का मर्डर 18 मई 2022 को दिल्ली में कर दिया गया था. उनकी हत्या की बात तब सामने आई जब दिल्ली पुलिस ने 12 नवंबर को उनके लिव इन पार्टनर आफ़ताब पूनावाला को गिरफ़्तार किया.
6 महीने तक उनकी हत्या एक राज़ ही बनी रही. आरोप है कि आफ़ताब पूनावाला ने श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े किए और उन्हें एक बड़े फ़्रिज में अपने किराए के घर में ही रखा.
जैसे-जैसे श्रद्धा के क़त्ल से जुड़ी जानकारियां सामने आईं और आफ़ताब पूनावाला की कथित साज़िश का पर्दाफ़ाश हुआ, इस हत्याकांड को लेकर ग़ुस्सा बढ़ने लगा.
लिव-इन में रहने के लिए अपने परिवार को छोड़कर आई एक ज़िंदादिल लड़की की बर्बर हत्या ने समाज को झकझोर दिया. इस मर्डर केस के बाद लिव-इन और अंतरधार्मिक रिश्तों पर सवाल उठा. कथित लव जेहाद का मुद्दा भी एक बार फिर से हावी हुआ.
आफ़ताब के साथ लिव इन रिलेशनशिप में आने के बाद श्रद्धा का संपर्क उनके परिवार से लगभग कट गया था. जब कई महीनों तक उनके बारे में कोई ख़बर नहीं मिली और उनके दोस्त भी संपर्क नहीं कर सके तो उनके परिवार ने मुंबई में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.
श्रद्धा और आफ़ताब मई में ही दिल्ली के महरौली इलाक़े में किराये पर रहने आए थे. पुलिस जांच के मुताबिक़ दिल्ली आने के कुछ दिन बाद ही श्रद्धा की हत्या कर दी गई और फिर अगले कई महीनों के दौरान अलग-अलग समय और अलग-अलग स्थानों पर उनके शव के टुकड़े फेंके गए.
आफ़ताब पूनावाला फ़िलहाल जेल में हैं. दिल्ली पुलिस अभी भी इस हत्याकांड के सबूत जुटाने में लगी है. इस हत्या को अदालत में साबित करना और क़ातिल को सज़ा दिलाना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
ये भी पढ़ें:- हिंदू बनाम मुसलमान: धर्म की खाई फ़िल्में कितना पाट पाईं?
अक्तूबर में दक्षिण भारतीय राज्य केरल में मानव बलि की एक घटना ने सनसनी मचा दी थी. केरल के इलाथूर क़स्बे में एक घर से दो महिलाओं के शरीर के अवशेष कई हिस्सों में मिले.
पुलिस जांच में पता चला कि यहां रहने वाले एक दंपति ने धन हासिल करने के लालच में तीन महीने के भीतर तांत्रिक प्रक्रिया करते हुए दो महिलाओं की बलि दी और फिर उनके शरीर के हिस्सों को घर के आंगन में अलग-अलग जगहों पर दबा दिया. पुलिस ने शवों के 61 अवशेष भगावल सिंह के घर से बरामद करने का दावा किया.
इस मामले में पुलिस ने भगावल सिंह, लैला और शफ़ी नाम के व्यक्ति को गिरफ़्तार किया.
पुलिस लापता हुई पद्मा और रोज़लिन नाम की दो महिलाओं की तलाश कर रही थी. ये तलाश भगावल सिंह के घर जाकर पूरी हुई.
इस हत्याकांड की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद लोग सदमे, हैरानी और दहशत में थे.
मौके पर गई बीबीसी टीम से बात करते हुए कई लोगों ने ये आशंका ज़ाहिर की थी कि हो सकता है दो से अधिक महिलाओं की हत्या की गई हो. हालांकि आगे इस दिशा में पुलिस जांच में कुछ नहीं मिल सका.
पुलिस ने तीनों अभियुक्तों को गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया था.
14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में दो नाबालिग दलित लड़कियों के शव पेड़ से लटके मिले थे. मेडिकल रिपोर्ट में लड़कियों के साथ बलात्कार की पुष्टि भी हुई थी.
कमज़ोर आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि की इन लड़कियों की हत्या ने देश को झकझोर दिया था.
पुलिस ने 48 घंटों के भीतर ही छह अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था. अभियुक्त सुहैल, करीमउद्दीन, आरिफ़, जुनैद, हिफ़जुर्रहमान आसपास के गांव के रहने वाले थे.
एक अन्य अभियुक्त छोटू गौतम लड़कियों के ही गांव का रहने वाला है.
पुलिस ने दावा किया कि तीन अभियुक्त लड़कियों को घर से बुलाकर ले गए थे. बाद में गांव के पास ही खेत में उनके साथ बलात्कार किया गया और फिर हत्या करके शव पेड़ से लटका दिए गए.
पुलिस ने एक अभियुक्त जुनैद को कथित एनकाउंटर के बाद गिरफ़्तार करने का दावा किया था.
दलित लड़कियों की हत्या और फिर शवों को पेड़ से लटकाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठे थे.
इस मामले में अभियुक्त भी सामान्य आर्थिक पृष्ठभूमि के ही थे. मुख्य अभियुक्तों के मुसलमान होने की वजह से सांप्रदायिक तनाव का ख़तरा भी पैदा हुआ था.
महिलाओं, ख़ासतौर से सामाजिक रूप से कमज़ोर वर्ग की महिलाओं के प्रति अपराध की इस घटना ने ये सवाल भी एक बार फिर उठाया था कि आख़िर ऐसे जघन्य अपराध के निशाने पर 'कमज़ोर वर्ग की महिलाएं ही अधिकतर क्यों होती हैं.'
इस मामले में सभी छह अभियुक्त जेल में हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने पीड़ित परिवार की पचास लाख रुपए की आर्थिक मदद की है.
उत्तराखंड के श्रीनगर के पास छोटे से गांव डोभ श्रीकोट की रहने वाली 19 साल की अंकिता भंडारी का शव ऋषिकेश की चिल्ला नहर से 24 सितंबर को मिला था. 6 दिन पहले उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.
अंकिता भंडारी ने ऋषिकेष के वनंतरा रिज़ॉर्ट में एक सितंबर से ही नौकरी शुरू की थी. महज़ 20 दिन के भीतर उसकी हत्या हो गई.
अंकिता की हत्या के आरोप में रिज़ॉर्ट के मालिक पुलकित आर्या और दो कर्मचारियों को गिरफ़्तार किया गया है.
अंकिता की गुमशुदगी ने आमतौर पर शांत रहने वाले उत्तराखंड में आक्रोश पैदा कर दिया था.
एक ग़रीब ग्रामीण परिवार की होनहार लड़की की हत्या ने समाज को झकझोर दिया.
अंकिता आगे पढ़ना चाहती थी और उसके लिए ही उसने रिज़ॉर्ट में नौकरी शुरू की थी.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ रिज़ॉर्ट में अंकिता पर अनैतिक काम करने और ख़ास मेहमानों को ख़ास सेवा देने का दबाव था.
अंकिता के उसके दोस्त के साथ कुछ चैट भी सामने आए जिसमें इस दबाव का उल्लेख किया गया था.
प्रशासन ने पुलकित आर्या के रिज़ॉर्ट पर बुलडोज़र भी चला दिया था. हत्या के क़रीब तीन महीने बाद पुलिस ने स्वीकार किया कि रिज़ॉर्ट से कोई फ़ोरेंसिक सबूत नहीं मिले हैं.
रिज़ॉर्ट पर आनन-फ़ानन में बुलडोज़र चलाए जाने के बाद ये सवाल उठा था कि कहीं ऐसा सबूत मिटाने के लिए तो नहीं किया गया है.
अंकिता पर किन ख़ास मेहमानों की सेवा करने का दबाव था ये जानकारी भी पुलिस जांच में सामने नहीं आ सकी.
इस मामले में मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्या के पिता विनोद आर्या भारतीय जनता पार्टी के प्रभावशाली नेता और पूर्व मंत्री हैं. हत्याकांड के बाद विनोद आर्या को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
फ़िलहाल मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्या और दो अन्य अभियुक्त जेल में हैं. उत्तराखंड पुलिस की एसआईटी (विशेष जांच दल) इस हत्या की जांच कर रही है.
ये भी पढ़ें:- रूस-यूक्रेन युद्ध- 2023 में कौन से पांच मोड़ ले सकता है?
28 जून को राजस्थान के उदयपुर से आए एक वीडियो ने दहशत पैदा कर दी. अपनी दुकान में काम कर रहे कन्हैया लाल दर्जी की हत्या का ये वीडियो इतना वीभत्स था कि इस देखना भी आसान नहीं था.
हत्या का वीडियो रिकॉर्ड करके उसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया गया था ताकि लोगों में दहशत और आक्रोश फैले.
ये हत्या ऐसे समय पर हुई थी जब पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर बीजेपी नेता की विवादित टिप्पणी की वजह से देश में माहौल गर्म था.
हत्या करने वाले अभियुक्तों गौस मोहम्मद और रियाज़ मोहम्मद अत्तारी ने दावा किया था कि ये हत्या पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की प्रतिक्रिया में की गई है.
पुलिस ने शुरुआत में गौस मोहम्मद, रियाज़ अत्तारी और मोहम्मद शेख़ को गिरफ़्तार किया था.
उदयपुर के धानमंडी थाने में दर्ज इस मामले को बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया था.
इस मामले में एनआईए ने 11 लोगों को अभियुक्त बनाया है जिनके ख़िलाफ़ पिछले सप्ताह चार्जशीट दाख़िल की गई है.
एनआईए ने चार्जशीट में कहा है कि अभियुक्तों ने आक्रोश और डर पैदा करने के लिए वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था.
एनआईए ने ये भी कहा कि अभियुक्त 'आतंकी गैंग मॉड्यूल' की तरह काम कर रहे थे और उन्होंने बदला लेने की साज़िश रची थी.
इस घटना के क़रीब चार महीने बाद बीबीसी से बात करते हुए कन्हैया लाल के बेटे ने कहा था, "ये वीडियो इतना वीभत्स था कि मैंने इसे अभी तक अपनी मां को नहीं देखने दिया है. हमने अपने घर में टीवी बंद कर दिया था. हमारा परिवार अब भी दहशत से नहीं निकल पाया है."
बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)