हिमाचल प्रदेश में अदानी के दो सीमेंट प्लांट बंद, क्या है वजह: प्रेस रिव्यू

अदानी समूह के मालिक गौतम अदानी

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इमेज कैप्शन, अदानी समूह के मालिक गौतम अदानी

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद अदानी समूह के दो सीमेंट प्लांट बंद हो गए हैं. इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश में सीमेंट की दरें बढ़ गयी हैं.

हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अमर उजाला के साथ विशेष बातचीत में इसकी वजह बयां की है.

उन्होंने कहा, "ये मामला क़ानून व्यवस्था से जुड़ा है. फ़ैक्ट्री यूनियन और अदानी समूह के बीच विवाद है. सरकार चाहती है कि समझौता हो जाए, लेकिन न यूनियन का नुक़सान हो और न फ़ैक्ट्री का, लेकिन एक बात साफ़ कर दूं कि हिमाचल प्रदेश में सीमेंट के दाम कम करने ही होंगे. ऐसा क़तई न हो कि पंजाब में सीमेंट सस्ते में बिके और हिमाचल में मंहगा.'

इस इंटरव्यू में सुक्खू ने ये भी बताया है कि उनकी सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को वापस लाने के लिए क्या कोशिशें करने जा रही है.

उन्होंने कहा, "पिछली भाजपा सरकार राज्य पर 70 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ छोड़कर गई है. बड़ी चुनौती है, लेकिन समाधान भी हैं. हमने पहले दिन कहा था और फिर कह रहा हूं कि कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम पर फ़ैसला पहली कैबिनेट में लेंगे. अन्य योजनाएं पूरा करना भी हमारी ज़िम्मेदारी है."

इसके साथ ही वीरभद्र सिंह परिवार के साथ कथित तनाव के मुद्दे पर हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री ने कहा, "कांग्रेस एक परिवार है. राज्य में अब कोई गुट नहीं रह गया है. वीरभद्र सिंह परिवार की कुछ इच्छाएं हैं, हम उसके अनुसार काम करेंगे. उनके बेटे विधायक हैं, सभी विधायकों को साथ लेकर चलना है."

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद कांग्रेस नेता रहे वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह या उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह के मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चाएं जारी थीं.

प्रतिभा सिंह की ओर से बयान भी आया था कि कांग्रेस पार्टी वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के योगदान को नकार नहीं सकती.

लेकिन आख़िर में कांग्रेस पार्टी ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री को उप-मुख्यमंत्री का पद दे दिया.

मोदी जिनपिंग

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इमेज कैप्शन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी

कांग्रेस ने चीन के मुद्दे पर बीजेपी से पूछे सवाल

कांग्रेस पार्टी ने बीते रविवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने वीडियो जारी करके चीन के मुद्दे पर बीजेपी और मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है.

अंग्रेजी अख़बार द टेलीग्राफ़ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, इस वक़्त बीजेपी राहुल गांधी को चीन का क़रीबी साबित करने पर तुली है, लेकिन उसके पास ऐसे दमदार तर्क और सामग्री नहीं है जैसी कांग्रेस के पास है.

कांग्रेस पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद दो वीडियो जारी किए हैं जिनमें पीएम मोदी चीन के साथ अपने ख़ास रिश्ते का ज़िक्र करते दिख रहे हैं.

एक वीडियो में पीएम मोदी कहते दिख रहे हैं - 'चीन के साथ मेरा निजी रूप से भी एक विशेष नाता है. मैं उसे बहुत गहरा रिश्ता समझता हूं.

चीनी यात्रा ह्वेन सांग मेरे पुश्तैनी गांव वडनगर में ठहरे थे जिसके बाद वह शी जिनपिंग के गृह नगर शियान गए. मैं समझता हूं कि ये भी विशिष्ट प्रकार का संकेत है.'

एक दूसरे वीडियो में पीएम मोदी कहते दिख रहे हैं - 'दो देशों के मुखिया - इतनी आत्मीयता, इतनी निकटता, इतना भाइचारा, ये अपने आप में जो परंपरागत रूप से वैश्विक संबंधों की चर्चा होती है. उससे प्लस वन (थोड़ा ज़्यादा) है. और इस प्लस वन को समझने के लिए कइयों को समय लगेगा.'

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राहुल गांधी के ख़िलाफ़ ऐसे वीडियोज़ नहीं मिलने की वजह से बीजेपी राजीव गांधी फ़ाउंडेशन को मिले चीनी फ़ंड और राहुल गांधी की चीनी राष्ट्रपति और राजदूत से मुलाक़ातों का ज़िक्र कर रही है. हालांकि अख़बार के मुताबिक़, पीएम केयर्स फ़ंड से लेकर आरएसएस-बीजेपी से जुड़े कई ट्रस्टों को चीनी फ़ंडिंग मिली है.

पीएम मोदी ने कई मौकों पर शी जिनपिंग के साथ अपने मज़बूत रिश्तों को बयां करते हुए याद किया है कि शी जिनपिंग ने स्वयं उन्हें बताया था कि ह्वेनसांग वडनगर में रुके थे.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर सवाल उठाते हुए एक बयान जारी किया है.

उन्होंने कहा, ''कुछ समय पहले आपने कहा था कि शी ने अध्ययन करके रखा है कि आख़िर मोदी चीज़ क्या है...क्या चीन की नई आक्रामकता उसी गहन अध्ययन का नतीज़ा है. क्या जैसा आपने 2013 में कहा था कि समस्या सीमा पर नहीं दिल्ली में है, क्या ये हो सकता है?"

इसके साथ ही कांग्रेस ने सवाल पूछा है कि ''दो साल तक दूरी बनाए रखने के बाद चीन की तवांग में भारतीय पोस्ट पर क़ब्ज़ा करने की हिम्मत कैसे हुई. साल 1986 में समदोरंग चू टकराव के बाद पीएम राजीव गांधी ने भारतीय सैन्य बलों को तवांग में तैनात किया था जिसके बाद से यांग्त्से में भारत का दबदबा रहा है. चीन की एक नया मोर्चा खोलने की हिम्मत कैसे हुई?"

जयराम रमेश ने बीजेपी से ये भी पूछा है - "ख़बरें आ रही हैं कि पूर्वी सेक्टर में चीनी घुसपैठ की घटनाएं बड़ी होती जा रही हैं और उनकी आवृत्ति बढ़ती जा रही है. पिछली सरकारों में पत्रकारों और सांसदों को मोर्चे पर ले जाने की हिम्मत होती थी.

साल 1965, 1971 और कारगिल तक में ऐसा हुआ है. डोकलाम की भी चर्चा सुरक्षा पर संसद की स्थाई समिति में की गयी थी. लेकिन अब पीएम मोदी देश से क्या छुपा रहे हैं. वह इस बारे में चर्चा से क्यों भाग रहे हैं?

उन्होंने पूछा कि ''16 दौर की वार्ताओं के बाद भी चीन देपसांग में 18 किलोमीटर अंदर बैठा हुआ है. भारतीय गश्ती दल इस अहम रणनीतिक क्षेत्र में सैकड़ों वर्ग किलोमीटर में गश्त नहीं लगा पा रहे हैं. पीएम मोदी इस बारे में क्या करने की सोच रहे हैं?''

इसके साथ ही कांग्रेस ने सवाल किया है कि ''चीन के बढ़ते ख़तरे के बावजूद हमारी क्षमताओं में इतनी कमी कैसे है. भारतीय वायुसेना प्रमुख ने रिकॉर्ड पर कहा है कि उनके पास 42 स्क्वैड्रन होनी चाहिए, लेकिन 12 स्क्वैड्रन कम हैं.

यूपीए सरकार ने छह स्कॉर्पियन सबमरीन बनाई थीं. छह अतिरिक्त सबमरीन मंगवाने का प्रोजेक्ट '75 आई' लगातार टलता रहा है. अग्निपथ स्कीम के तहत सेना में भर्तियां भी काफ़ी कम हो गयी हैं."

बिहार ज़हरीली शराब

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बिहार में छह साल में ज़हरीली शराब से 200 की मौत

बिहार में ज़हरीली शराब पीकर मरने वालों की संख्या साल 2016 से 2021 के बीच 200 तक पहुंच गयी है.

हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कुछ अलग कहानी बयां करते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक़, बिहार में इन छह सालों में कम से कम 200 लोगों की मौत हुई है, लेकिन एनसीआरबी के आंकड़ों में ज़हरीली शराब पीकर मरने वालों की संख्या सिर्फ़ 23 बताई गयी है.

इस ख़बर के मुताबिक़, एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2016 में 6, 2017 में 0, 2018 में 0, 2019 में 9, 2020 में 6 और 2021 में 2 लोगों की मौत ज़हरीली शराब पीने से हुई.

हालांकि, इस अवधि के दौरान बिहार में ज़हरीली शराब के कम से कम 20 मामले सामने आये जिनमें क़रीब 200 लोगों की मौत हुई.

साल 2021 में भी ज़हरीली शराब पीने की वजह से 106 लोगों की मौत हुई है.

अख़बार के मुताबिक़, बिहार के सारण ज़िले में कुछ दिन पहले हुए ऐसे ही एक हादसे में कम से कम 72 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2022 से अब तक ज़हरीली शराब के 10 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें सारण के दो और नालंदा के तीन मामले शामिल हैं.

इसी बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के अन्य ज़िलों में ज़हरीली शराब के चलते होने वाली मीडिया रिपोर्ट्स के मद्देनजर मौके पर जांच के लिए एक सदस्यीय जांच दल भेजने का फ़ैसला किया है.

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