दिल्ली में एक स्कूली छात्रा पर एसिड अटैक, तीनों अभियुक्त गिरफ़्तार

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दिल्ली में स्कूल की एक छात्रा पर तेज़ाब फेंकने के मामले में तीनों अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ ये घटना दिल्ली के द्वारका ज़िले की है.
घटना सुबह नौ बजे के आसपास की है, जब एक लड़के ने लड़की पर तेज़ाब फेंक दिया.
पुलिस ने बताया है कि लड़की को दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
दिल्ली पुलिस ने ये भी बताया है कि घटना के समय लड़की अपनी छोटी बहन के साथ थी.
लड़की ने इस मामले में अपने जानने वाले दो लोगों पर शक़ व्यक्त किया है.
पुलिस ने कहा है कि सभी तीन अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है और इस मामले में जाँच जारी है.
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क्या है लड़की की हालत?
लड़की की हालत स्थिति स्थिर बताई जा रही है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस मामले में केंद्र सरकार को घेरा है.
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है- द्वारका मोड़ के पास एक स्कूली छात्रा पर तेज़ाब फेंका गया. हमारी टीम पीड़िता की मदद के लिए अस्पताल पहुँच रही है. बेटी को इंसाफ़ दिलाएँगे. दिल्ली महिला आयोग सालों से देश में तेज़ाब बैन करने की लड़ाई लड़ रहा है. कब जगेंगी सरकारें?
राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले का स्वत:संज्ञान लेते हुए अपनी टीम अस्पताल में भेजने का फ़ैसला लिया है.
लड़की के पिता ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा- मेरी दोनों गुड़िया सुबह स्कूल के लिए निकलीं. कुछ देर बाद मेरी छोटी लड़की भागती हुई आई और बताया कि दो लड़के आए और दीदी पर एसिड डालकर चले गए. उन लड़कों ने अपना मुँह ढका हुआ था.
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उन्होंने बताया कि उनकी बेटी की हालत बहुत ख़राब है और उसकी दोनों आँखों में तेज़ाब गया है.
लड़की की माँ ने भी एएनआई से बताया कि उनकी छोटी लड़की ने इस घटना की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी की आँखों में तेज़ाब गया है.
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भारत में एसिड हमलों के कई मामले देखने को मिलते हैं, लेकिन इससे जुड़ा कोई विश्वसनीय आँकड़ा मौजूद नहीं है.
सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ एक साल में शायद ऐसे 1,000 मामले सामने आते हैं. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता इसे एक हास्यास्पद आँकड़ा बताते हैं.
उनका कहना है कि वास्तविक आँकड़ा इससे कई गुना ज़्यादा है.
पुलिस ने क्या कहा?
समाचार एजेंसी एएनआई ने द्वारका डीसीपी हर्षवर्द्धन के हवाले से लिखा है कि पुलिस ने मामले को सुलझा लिया है और तीनों अभियुक्त गिरफ़्तार कर लिए गए हैं.
सुबह साढ़े सात बजे के करीब पुलिस को मोहन गार्डन इलाके में एसिड हमले की सूचना मिली थी.
द्वारका डीसीपी ने कहा कि पहले एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया था. जांच के दौरान एक अन्य लड़का एसिड हमले का मुख्य अभियुक्त पाया गया.
भारत में एसिड हमलों के लिए क़ानून
भारत ने साल 2013 में एसिड हमलों को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए भारतीय दंड संहिता में धारा 326ए और धारा 326बी जोड़ी गई. इसके तहत एसिड हमलों के पीड़ितों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए.
इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर कम से कम 10 साल की जेल की सज़ा का प्रावधान किया गया, जो कुछ मामलों में बढ़ाकर उम्रकैद भी की जा सकती है.
कुछ मामलों में दोषियों को हर्जाने के तौर पर पीड़ित के इलाज में खर्च होने वाली राशि जितना ही भुगतान करना पड़ सकता है.
एसिड हमले के पीड़ितों को मुफ़्त इलाज के साथ ही कम से कम 3 लाख रुपये मुआवज़ा दिए जाने का भी प्रावधान है.
धारा 326ए और 326बी के तहत किसी को स्थायी या आंशिक नुक़सान पहुंचाने के इरादे से एसिड फेंकना, फिंकवाना या एसिड फेंकने की कोशिश को गंभीर जुर्म माना गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में एक पीड़िता की अर्ज़ी पर सुनवाई के दौरान कहा "एसिड हमला, हत्या से भी बुरा है. इससे पीड़ित का जीवन पूरी तरह बर्बाद हो जाता है."
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एसिड हमलों के पीड़ितों के इलाज और सुविधाओं के लिए भी नई गाइडलाइंस जारी की थी.
इसके तहत कोई भी अस्पताल तेज़ाब हमले के पीड़ित के इलाज से मना नहीं कर सकता. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को एसिड हमले के शिकार को तुरंत कम से कम तीन लाख रुपये की मदद देनी होगी, पीड़िता का निःशुल्क इलाज भी सरकार की ज़िम्मेदारी है. उसी समय सुप्रीम कोर्ट ने तेज़ाब की खुली बिक्री पर रोक लगाई थी.
अदालत के आदेशानुसार 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को तेज़ाब नहीं बेचा जा सकता.
इसके अलावा अदालत के फ़ैसले के बाद अब तेज़ाब ख़रीदने के लिए फ़ोटो पहचान पत्र ज़रूरी होगा. साथ ही साथ विक्रेता को ख़रीदार का पता भी रखना होगा.
ग़ैर-क़ानूनी ढंग से तेज़ाब बेचने वाले पर 50,000 जुर्माना लगाया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली ने वर्ष 2006 में तेज़ाब के हमले में घायल नाबालिग़ लक्ष्मी की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये दिशानिर्देश जारी किए थे. तेज़ाब के इस हमले में लक्ष्मी के हाथ, चेहरा और शरीर के दूसरे हिस्से झुलस गए थे.
एसिड हमलों के मामलों में कितने दोषियों को सज़ा?
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने इसी साल मानसून सत्र के दौरान संसद को बताया था कि साल 2018 से 2020 के बीच देश में महिलाओं पर एसिड हमलों के 386 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से कुल 62 मामलों के अभियुक्तों को दोषी पाया गया.
अजय कुमार मिश्रा ने सदन में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए ये जानकारी दी थी.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने यह जानकारी भी दी थी कि इस तरह के मामलों में साल 2018 में 28 लोगों, 2019 में 16 और 2020 में 18 लोगों को दोषी ठहराया गया.
उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तेज़ाब और रसायनों की खुदरा बिक्री को ज़हर नियमों के संदर्भ में सख्ती से रेग्युलेट किया जा सके ताकि इनका इस्तेमाल अपराध में न हो पाए.
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