कांग्रेस और बीजेपी में कैसे होता है अध्यक्ष पद का चुनाव?

    • Author, सरोज सिंह
    • पदनाम, बीबीसी संवाददाता

कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन होगा? इस सवाल का जवाब तो अक्टूबर में मिलेगा, लेकिन उससे पहले अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को लेकर बवाल शुरू हो गया है.

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव पर अब तक बीजेपी वाले ही सवाल उठाते थे.

लेकिन इस बार पूरी प्रक्रिया पर सवाल कांग्रेस के भीतर से उठ रहे हैं.

सबसे पहले रविवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में आनंद शर्मा ने इस बारे में सवाल उठाया था.

बुधवार को दूसरे वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने आंनद शर्मा के सुर में सुर मिलाया.

कांग्रेस अध्यक्ष के प्रस्तावित चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीक़े से कराने के दावे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने ट्विटर पर अपनी राय ज़ाहिर की.

ट्विटर पर मधुसूदन मिस्त्री को टैग करते हुए मनीष तिवारी ने पूछा है कि जब पार्टी की मतदाता सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ही नहीं है, तो यह चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र कैसे हो सकता है?

इस समय कांग्रेस पार्टी में चुनाव करवाने की प्रक्रिया के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री हैं.

तिवारी ने कहा है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए ज़रूरी है कि मतदाताओं के नाम और पते कांग्रेस की वेबसाइट पर पारदर्शी तरीक़े से प्रकाशित किए जाएं.

हालांकि मधुसूदन मिस्त्री ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में दावा किया है कि जो भी सदस्य वोट देने वालों की सूची चाहता है, वो उसे प्रदेश कांग्रेस कमिटी से ले सकता है. अध्यक्ष पद के लिए जो भी नामांकन दाखिल करेगा, उसे भी वो सूची उपलब्ध कराई जाएगी.

बीबीसी ने भी कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया समझने के लिए मधुसूदन मिस्त्री से सम्पर्क साधा, लेकिन उनका जवाब नहीं आया.

ऐसे में ये जानना ज़रूरी है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव आख़िर होता कैसे है?

जवाब कांग्रेस पार्टी के संविधान में छिपा है.

कांग्रेस संगठन

कांग्रेस पार्टी का संगठन अलग अलग समितियों को मिला कर बना है.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी)

कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी)

प्रदेश कांग्रेस कमिटी (पीसीसी)

डिस्ट्रिक्ट और ब्लॉक कांग्रेस कमिटी

अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी में करीब 1500 सदस्य हैं, जो कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) के 24 सदस्यों को चुनते हैं.

भारत भर में कुल 30 प्रदेश कांग्रेस कमिटी हैं, 5 केंद्र शासित प्रदेशों में कमिटियां हैं जिनमें 9000 से ज़्यादा सदस्य हैं.

अध्यक्ष के चुनाव की ज़िम्मेदारी

कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक बेवसाइट पर मौजूद संविधान के मुताबिक अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सबसे पहले केंद्रीय चुनाव अथॉरिटी (प्राधिकरण) के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है.

कांग्रेस वर्किंग कमिटी इस अथॉरिटी का गठन करती है, जिसमें तीन से पाँच सदस्य होते हैं. इनमें से ही एक सदस्य को इसका चेयरमैन बनाया जाता है.

इस समय कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री इसके चेयरमैन हैं.

चुनाव अथॉरिटी के सदस्य चुनाव कराने तक संगठन में कोई पद ग्रहण नहीं कर सकते. इस अथॉरिटी का कार्यकाल तीन साल के लिए होता है.

यही चुनाव अथॉरिटी अलग अलग प्रदेशों में चुनाव अथॉरिटी का गठन करती है, जो आगे ज़िला और ब्लॉक में चुनाव अथॉरिटी बनाते हैं.

साल 2022 में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अहम तारीखें

सालों बाद कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ है.

चुनाव के लिए अधिसूचना 22 सिंतबर को जारी की जाएगी.

नामांकन 24 सितंबर से 30 सितंबर तक दाखिल किए जा सकेंगे. 11 बजे सुबह से 3 बजे शाम तक.

सभी नामांकन पत्रों के जाँच के बाद पहली उम्मीदवारों की सूची 1 अक्टूबर को जारी कर दी जाएगी.

नामांकन वापस लेने की तारीख 8 अक्टूबर दोपहर 3 बजे तक है.

चुनाव के लिए वोट 17 अक्टूबर को होना है.

वोटों की गिनती 19 अक्टूबर को होगी.

कैसे होता है चुनाव

कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव कोई भी पार्टी सदस्य लड़ सकता है, जिसके पास प्रदेश कांग्रेस कमिटी के 10 सदस्यों का समर्थन हो, जिन्हें प्रस्तावक कहा जाता है.

कांग्रेस संविधान के मुताबिक अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सबसे पहले एक रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया जाता है. केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण का चेयरमैन ही रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया जाता है.

किसी प्रदेश कांग्रेस कमिटी के 10 सदस्य मिल कर किसी कांग्रेस नेता का नाम अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावित करते सकते हैं.

ऐसे सभी नामों को रिटर्निंग अधिकारी के सामने तय तारीख पर रखा जाता है.

उनमें से कोई भी सात दिन के भीतर अपना नाम वापस लेना चाहे तो ले सकता है.

अगर नाम वापस लेने के बाद अध्यक्ष पद के लिए केवल एक ही उम्मीदवार रहता है तो उसे अध्यक्ष मान लिया जाता है.

तो इस बार अगर एक ही नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में रहता है तो 8 अक्टूबर को भी कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जा सकती है.

दो या दो से ज़्यादा उम्मीदवार होने पर

लेकिन अगर दो से ज़्यादा लोग होते हैं तो फिर रिटर्निंग अधिकारी उन नामों को प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पास भेजते हैं.

वोटिंग वाले दिन प्रदेश कांग्रेस कमिटी ( पीसीसी) के सभी सदस्य उसमें हिस्सा लेते हैं. प्रदेश कांग्रेस कमिटी के स्टेट हेडक्वाटर में वोटिंग पेपर और बैलेट बॉक्स से चुनाव होता है.

अगर अध्यक्ष पद की रेस में दो उम्मीदवार हैं - तो वोट देने वालों को किसी एक के नाम का नाम लिख कर बैलेट बॉक्स में डालना होता है.

अगर अध्यक्ष पद की रेस में दो से ज़्यादा उम्मीदवार हैं - तो वोट देने वाले को कम से कम अपना पहला दो प्रेफरेंस (वरीयता) 1 और 2 नंबर के ज़रिए लिखना होता है.

दो से कम प्रेफरेंस लिखने वालों के वोट अमान्य करार दिए जाते हैं. हालांकि वोटिंग करने वाले दो से ज़्यादा प्रेफरेंस दे सकते हैं.

पीसीसी में जमा किए गए बैलेट बॉक्स को फिर एआईसीसी दफ़्तर भेजा जाता है.

वोटों की गिनती

एआईसीसी में बैलेट बॉक्स आने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर के मौजूदगी में वोटों की गिनती शुरू की जाती है.

सबसे पहले पहले प्रेफरेंस वाली वोटों की गिनती की जाती है.

जिस उम्मीदवार को 50 फीसदी से ज़्यादा वोट मिलते हैं, उसे अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है.

अगर किसी को 50 फीसदी वोट प्रथम वरीयता में नहीं मिलते हैं - तो जिसे सबसे कम वोट प्रथम वरीयता में मिलते हैं उस उम्मीदवार का नाम लिस्ट से हटा दिया जाता है.

इस तरह से 'एलिमिनेशन' के ज़रिए अध्यक्ष पद का चुनाव होता है.

अंत में जिस उम्मीदवार के पास ज़्यादा वोट बचते हैं - उसे अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है.

कांग्रेस में हाल में कब हुए हैं अध्यक्ष पद के चुनाव

वैसे तो कांग्रेस के इतिहास में अध्यक्ष पद के चुनाव की नौबत बहुत कम मौकों पर आई है.

कांग्रेस की राजनीति पर दशकों से पैनी नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं, "अभी तक पीसीसी डेलिगेट की लिस्ट सार्वजनिक नहीं हुई है. अलग अलग प्रदेश कांग्रेस कमिटी वाले लिस्ट तो किसी नेता विशेष को लिस्ट मुहैया कराएंगे नहीं. मान लीजिए कि नेता अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का नामांकन दाखिल कर देते हैं, तो उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमिटी में जाकर लिस्ट लेनी होगी. "

रशीद यहाँ एक उदाहरण देते हैं.

वो कहते हैं, "साल 2000 में जितेंद्र प्रसाद जब सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े थे तो प्रचार के दौरान भोपाल का कांग्रेस दफ़्तर ही उन्हें बंद मिला था. कई जगह उन्हें काले झंडे दिखाए गए. पीसीसी डेलिगेट को फोन करके बताया गया कि उन्हें किन्हें वोट करना है. उसी तरह से जब शरद पवार और राजेश पायलट ने सीताराम केसरी के ख़िलाफ़ 1997 में चुनाव लड़ा था तो वो थोड़े प्रभावशाली थे. वो लोग कई जगह चुनाव प्रचार कर पाए. फिर भी सीताराम केसरी तकरीबन 70 फ़ीसदी वोट से चुनाव जीत गए."

28 अगस्त को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तारीखों के ऐलान के कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि भारत में कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जहाँ अध्यक्ष पद के लिए पारदर्शी तरीके से चुनाव होता आया है, हो रहा है और होता रहेगा.

कैसे होता है बीजेपी में अध्यक्ष का चयन ?

बीजेपी के संविधान के मुताबिक पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष वही व्यक्ति हो सकता है जो कम से कम 15 वर्षों तक सदस्य रहा हो.

बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के 'चुनाव' निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और प्रदेश परिषदों के सदस्य शामिल होते हैं.

बीजेपी संविधान में ये भी लिखा है कि निर्वाचक मंडल में से कोई भी बीस सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रूप से प्रस्ताव कर सकते हैं.

यह संयुक्त प्रस्ताव कम से कम ऐसे पांच प्रदेशों से आना ज़रूरी है जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों. साथ ही साथ नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति आवश्य होनी चाहिए.

हालांकि बीजेपी में अध्यक्ष पद के चुनाव को नज़दीक से कवर करने वाले कई पत्रकारों का मानना है कि बीजेपी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव आम राय से होता है. इसमें आरएसएस की अहम भूमिका होती है. बीजेपी के नेता एक नाम तय करते हैं जिस पर आखिर में मोहर आरएसएस को लगाना होता है.

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