नकली 'IPL' क्रिकेट मैच से असली सट्टेबाजी, गुजरात में कैसे खुला धोखाधड़ी का खेल?

Still from the match
इमेज कैप्शन, नकली आईपीएल मैच की एक तस्वीर
    • Author, भार्गव पारिख
    • पदनाम, बीबीसी गुजराती

शाम होते ही हाईवे से दूर एक छोटे गांव के एक खाली पड़े, बड़े से खेत में गतिविधियां बढ़ जाती थीं.

बत्तियां जल जाती थीं और खेत में काम करने वाले मजदूर अपने मिट्टी से सने कपड़े बदल कर क्रिकेट खिलाड़ियों की ड्रेस पहन लेते थे.और क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू हो जाता था.

इस टूर्नामेंट के हर मैच में विदेशी लोग लाखों रुपये का सट्टा लगाया करते थे, लेकिन शायद ही इसमें कोई जीतता था.

ये किसी फिल्म की स्क्रिप्ट लग सकती है. लेकिन यह सब गुजरात में मेहसाणा जिले के मोलीपुर गांव में असलियत में हो रहा था.

इस गांव में अधिकतर लोग खेती-बाड़ी का काम करते हैं और खेती के लिए मानसून पर निर्भर हैं.

रोजगार का कोई और साधन न होने की वजह से गांव के ज्यादातर नौजवान कमाने के लिए विदेश चले जाते हैं. कमाने के लिए विदेश जाने वाले लोगों में सोहेब दवड़ा भी हैं जो अपनी थोड़ी-बहुत पढ़ाई कर किस्मत आजमाने के लिए रूस चले गए थे.

वहां उन्होंने एक पब में नौकरी कर ली. पब में आनेवाले ज्यादातर लोग शराब पीने के साथ सट्टेबाजी में लग जाते थे.

लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद सोहेब गुजरात लौट आए. रूस में नौकरी करने के बावजूद सोहेब पर्याप्त पैसा नहीं कमा पाए थे.

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पुलिस ने बताया कैसे चलता था गोरखधंधा

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  • नकली क्रिकेट मैचों को असली जैसा दिखाने के लिए किराए के खेत में मैच
  • मिमिक्री में माहिर लोग करते थे जाने-माने कमेंटटरों की नकल
  • पूरी योजना रूस में बनी
  • खिलाड़ियों को जुटाने का प्लान तैयार किया गया
  • आसपास के गांवों के मज़दूरों को 400 रुपये की दिहाड़ी पर रखा, उन्हें साफ़ जूते और कपड़े दिए
  • मज़दूर सट्टेबाजी के नेटवर्क से अंजान थे.
  • टेलीग्राम ऐप के जरिये हर गेंद पर निर्देश दिया जाता था.
  • मैच के बाद हवाला के ज़रिए पैसों का लेन-देन
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इस तरह शुरू हुआ सट्टे का धंधा

हुमायूं मंसूरी का विसनगर में बिजनेस है. उनकी ससुराल मोलीपुर में हैं. वह बताते हैं, '' रूस से लौटने के बाद सोहेब बड़े फर्राटे की अंग्रेजी बोलने लगे थे. उन्होंने यह बात फैला दी कि वो रूस से खेती का एक क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी सीख कर आए हैं. ''

मंसूरी ने बताया, '' सोहेब लोगों को यह बताया करता थे कि वह वह एक खेत किराये पर लेकर नई तकनीक से खेती करेंगे. वो यहां खेती की पूरी तस्वीर बदल कर रख देंगे. उन्होंने कहा कि वह खेत का मोटा किराया देने के लिए तैयार हैं. उनकी बात पर भरोसा कर गुलाम मासी नाम के एक किसान ने उन्हें किराये पर अपना खेत दे दिया. ''

मेहसाणा में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के इंस्पेक्टर बी. एच. राठौड़ ने कहा, '' हमें खबर मिली कि मेहसाणा से यू ट्यूब चैनल के जरिये क्रिकेट सट्टेबाजी का रैकेट चलाया जा रहा है. जांच के दौरान हमें इस यूट्यूब का लिंक मिल गया.

उन्होंने बताया, ''उस दिन पालनपुर स्पोर्ट्स किंग और चेन्नई फाइटर्स के बीच क्रिकेट मैच खेला जा रहा था. दोनों टीमों के खिलाड़ी आईपीएल क्रिकेटरों की तरह ही अलग-अलग रंग की ड्रेस पहने हुए थे.

स्टेडियम इस तरह बनाया गया था कि लगे कि कोई बड़ा टूर्नामेंट खेला जा रहा है. इसके अलावा ऐसी व्यवस्था की गई थी कि लगे कि कोई जाना-माना नाम मैच की कमेंट्री कर रहा है. गेंदबाज के विकेट लेने या बल्लेबाज के शॉट लगाने पर दर्शकों का शोर सुनाई पड़ता था.

संदेह की वजह

इंस्पेक्टर राठौड़ ने बताया, '' हमने एक मैच पर ध्यान दिया. मैच आगे बढ़ा, हमने देखा कि अंपायर ट्रैक पैंट पहने खड़ा था और दोनों टीमों के बैट्समैन सफेद पैड पहने थे. हमें शक हुआ और हमने इस आधार पर जांच आगे बढ़ाई. ''

जांच के दौरान हमने पाया कि जिस प्लेग्राउंड में मैच खेला जा रहा था वह क्रिकेट ग्राउंड नहीं था. ये एक सपाट मैदान था. इस पर पीले रंग का मैट बिछा कर इसे क्रिकेट ग्राउंड में तब्दील करने की कोशिश की गई थी. कहने का मतलब कि ये नकली क्रिकेट ग्राउंड था.

राठौड़ ने कहा कि उनके पास जांच बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत था. जांच के दौरान पता चला कि इन लोगों ने 'क्रिच हीरोज' नाम के मोबाइल एप्लिकेशन पर सेंचुरी हिटर्स नाम की एक टीम रजिस्टर्ड करा रखी थी. सोहेब और उनके दोस्त आसिफ मोहम्मद सट्टे का यह धंधा चला रहे थे. आसिफ रूस में रहते थे.

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ऐसे चलता था रैकेट

राठौड़ ने बताया, '' ये लोग नकली क्रिकेट मैचों को असली जैसा दिखाने के लिए किराए के खेत में हैलोजन लाइट लगाते थे और खिलाड़ियों के लिए कपड़े खरीदते हैं. ये लोग मिमिक्री में माहिर शाकिब को बुलाते थे, जो माने-माने कमेंटटरों की नकल कर सकते थे.कमेंट्री के लिए पांच हाई क्वालिटी वहां लगाए गए थे. लेकिन इन तीन गलतियों ने सट्टेबाजी कराने वाले इस गिरोह का भंडाफोड़ कर दिया. ''

उन्होंने बताया, '' हमने उस जगह की तलाशी ली, जहां से मैच का प्रसारण हो रहा था. हमें वहां मैच का सारा सामान मिल गया. जांच में पता चला कि सोहेब को हवाला से तीन लाख रुपये मिलने से पहले क्वार्टर फाइनल मैच खेला गया था.

राठौर ने बताया, " ये पूरी योजना रूस मेंबनाई गई थी. सोहेब ने खिलाड़ियों को जुटाने का प्लान तैयार किया था. उन्होंने आसपास के गांवों में काम करने के लिए आने वाले श्रमिकों को 400 रुपये की दिहाड़ी, साफ जूते और कपड़े दिए थे. इन लोगों को पता नहीं था कि ये सब सट्टेबाजी का नेटवर्क चलाने के लिए किया जा रहा है."

राठौड़ के मुताबिक आसिफ टेलीग्राम ऐप के जरिये हर गेंद पर निर्देश देते थे. मैच के बाद, सोहेब को पैसे हवाला से भेजे जाते थे. सोहेब यहां के सारे खर्चे काट कर अपने पैसे रख लेते थे.

डीपी पटेल कभी गुजरात के कथित सट्टा किंग दिनेश कलगी के साथ काम किया करते थे. वो अब ये काम पूरी तरह छोड़ चुके हैं. पटेल पहले अहमदाबाद के सोला रोड स्थित सुदामा रिजॉर्ट में कलगी के साथ काम किया करते थे.

बीबीसी से बात करते हुए पटेल कहते हैं, ''मैच फिक्सिंग पिछले कई सालों से हो रही है. पहले हम हर गेंद पर सट्टे की रकम बदल देते थे. हम पहले क्रिकेटरों के जरिये मैच फिक्स करते थे लेकिन मैंने मेहसाणा जैसी घटना के बारे में पहली बार सुना. "

वीडियो कैप्शन, कैसे चलता है यहां अरबों का सट्टा कारोबार. सुनिए एक बुकी की ज़ुबानी.

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