मुख़्तार अंसारी पर पंजाब विधानसभा में बवाल, क्या है मामला?

पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार के जेल मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा है कि पिछली सरकार ने उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख़्तार अंसारी को जेल में वीआईपी की तरह रखा.

पंजाब विधानसभा में बजट सत्र के दौरान हो रही बहस में बैंस ने ये भी कहा कि जेल में मुख्तार अंसारी की पत्नी को भी रहने दिया गया.

मुख़्तार अंसारी को साल 2019 से एक फ़िरौती के मामले में पंजाब की रुपनगर जेल में रखा गया था. पिछले साल अदालत के आदेश के बाद मुख़्तार अंसारी की कस्टडी उत्तर प्रदेश को दे दी गई थी. अब अंसारी यूपी की बांदा जेल में हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने ही अंसारी की कस्टडी उत्तर प्रदेश पुलिस को ये कहते हुई दी थी कि उन्हें बीमारी की आड़ में बेतुके ग्राउंड्स पर पंजाब की जेल में रखा गया था.

हरजोत सिंह बैंस के आरोपों पर सदन में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने तीख़ी प्रतिक्रिया दी और दोनों के बीच काफ़ी बहस भी हुई.

पंजाब विधानसभा में बजट पर बहस के दौरान बैंस ने कहा, "मैं एक बहुत गंभीर मसला पंजाब के सामने पेश करना चाहता हूँ. बतौर जेल मंत्री मेरे सामने एक ऐसा केस आया है जिसने पंजाब की छवि पर सवाल उठा दिया है. भारत का नामी गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को दो साल तीन महीने पंजाब की जेल में रखा गया . उन्हें जाली एफ़आईआर करके यहां रखा गया. न कोई चालान हुआ और न डिफॉल्ट बेल ली गई."

बैंस ने कहा कि जिस बैरक में 25 क़ैदी रखे जाने चाहिए उसमें अंसारी अपनी पत्नी के साथ रहता था. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रॉडक्शन वारंट का विरोध करने के लिए पंजाब ने एक महँगा वकील रखा था जिसने अब 55 लाख का बिल भेजा है.

तीखी नोक-झोंक

विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा ने बैंस के भाषण पर आपत्ति दर्ज की और कहा कि बजट पर बहस के दौरान इस विषय को नहीं उठाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि जेल मंत्री बैंस साबित करें कि मुख़्तार अंसारी की पत्नी भी उनके साथ जेल में रह रही थी.

प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, "क्या आप साबित कर सकते हैं कि अंसारी की पत्नी उनके साथ जेल रह रही थी? अगर आप ये साबित नहीं कर पाए तो आपको इस्तीफ़ा देना होगा."

विधानसभा अध्यक्ष से मुख़ातिब होकर बाजवा ने कहा, "क्या हम बजट पर बहस के दौरान इस तरह से भटक सकते हैं? तब तो हमें भी गैंगस्टर लारेंस विश्नोई पर भी चर्चा करनी चाहिए जो दिल्ली की तिहाड़ जेल थे जो हमें मालूम है कि किस सरकार के अंतर्गत आती है."

हरजोत सिंह बैंस ने ये भी कहा कि पंजाब इस सारे मामले में एफ़आईआर दर्ज करेगा और सभी दोषियों को नामजद किया जाएगा.

कांग्रेस की आपत्ति के बावजूद हरजोत सिंह बैंस डटे रहे और कहा कि इस मामले में किसी को बख़्शा नहीं जाएगा.

अंसारी कैसे पहुंचे पंजाब?

मुख़्तार अंसारी की यूपी के बांदा जेल से पंजाब के रोपड़ जेल तक की यात्रा भी कम दिलचस्प नहीं है.

दरअसल, रंगदारी मांगने के किसी मामले में पंजाब पुलिस प्रोडक्शन वॉरंट लेकर आई थी और उन्हें बांदा जेल से ले गई.

जनवरी 2019 में मोहाली के एक बड़े बिल्डर को फ़ोन करके ख़ुद को मुख़्तार अंसारी बताते हुए 10 करोड़ रुपये मांगे गए थे.

मोहाली में इसी संदर्भ में एफ़आईआर दर्ज हुई और 24 जनवरी 2019 को पंजाब पुलिस ने मुख़्तार अंसारी को यूपी से ले जाकर मोहाली कोर्ट में पेश किया था.

अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रोपड़ जेल भेज दिया गया. उसके बाद ये हिरासत लगातार बढ़ती गई.

कौन हैं मुख़्तार अंसारी?

साल 1996 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख़्तार ने 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की. इनमें से आख़िरी तीन चुनाव उन्होंने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े.

ग़ाज़ीपुर के 'प्रथम राजनीतिक परिवार' के तौर पर पहचाना जाने वाले अंसारी परिवार की इस ज़िले में बड़ी धाक है.

मसलन, जेल में बंद मुख़्तार अंसारी के दादा देश की आज़ादी के संघर्ष में गांधी जी का साथ देने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं और 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी थे.

मुख़्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1948 की लड़ाई में बहादुरी के लिए मरणोपंरात महावीर चक्र से नवाज़ा गया था.

ग़ाज़ीपुर में साफ़-सुथरी छवि रखने वाले और कम्युनिस्ट बैकग्राउंड से आने वाले मुख़्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे.

मुख़्तार के बड़े भाई अफ़जाल अंसारी ग़ाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा से लगतार 5 बार (1985 से 1996 तक) विधायक रह चुके हैं और 2004 में ग़ाज़ीपुर से ही सांसद का चुनाव भी जीत चुके हैं.

मुख़्तार के दूसरे भाई सिबकातुल्ला अंसारी भी 2007 और 2012 के चुनाव में मोहम्मदाबाद से ही विधायक रह चुके हैं.

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