पंजाब: मानसा ज़िले में दलित युवक को पेड़ से बांधने का क्या है मामला?

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- Author, सुरिंदर मान
- पदनाम, बीबीसी पंजाबी के लिए
पंजाब के एक दलित युवक को नीम के पेड़ से बांधे जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मानसा ज़िले का उड्डत भगतराम गाँव इन दिनों चर्चा में आ गया है.
गाँव के चौक चौराहों पर बैठे लोग इसी बात की चर्चा करते नज़र आ रहे हैं. ज़्यादातर ग्रामीण इस बात से सहमत नहीं हैं कि यह मामला दलितों और जाटों के बीच संघर्ष का है. दूसरी ओर, पंजाब मज़दूर मुक्ति मोर्चा के लोग गाँव की दलित धर्मशाला में इकट्ठे हुए. संगठन ने इस घटना को दलित विरोधी करार दिया है.
इस मामले की शुरुआत गाँव के बाहर एक डेरे में सिर नवाने (नतमस्तक होने) से शुरू हुई. दलित बिरादरी से संबंध रखने वाले और गाँव की पंचायत के सदस्य माखन सिंह ने बताया कि डेरे में शराब चढ़ाई जाती है, जिसके लिए युवा अक्सर ही इस डेरे में आते हैं.
उन्होंने कहा, "मैं साफ़ तौर पर कह सकता हूं कि यह दो युवाओं के बीच की लड़ाई है, न कि दलितों और जाटों के बीच की. यहां दो युवक ट्रैक्टर पर तेज़ आवाज़ में गाना बजाने को लेकर बहस कर रहे थे. 20 दिन पहले उनके बीच समझौता भी करवा दिया गया था. यहां हर वर्ग के बीच भाईचारा है, लेकिन इस घटना ने अब गाँव को ज़रूर बदनाम कर दिया है."
दलित समुदाय के जिस युवक बिट्टा सिंह की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, फ़िलहाल उनका मानसा के सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है.

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'न्याय मिलने के बजाय हम पर ही हुआ केस'
बिट्टा सिंह ने बताया कि वे एक धार्मिक स्थल पर सिर नवाने जा रहे थे कि एक पुराने झगड़े के चलते उन्हें एक परिवार ने घर में खींचकर नीम के पेड़ से बांध दिया. यह घटना पिछले हफ़्ते 23 मई की है. सूचना मिलते ही इस गाँव से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुलिस चौकी के जवान मौक़े पर पहुंच गए.
कोट धर्मू थाना प्रभारी अमरीक सिंह ने बताया, "जैसे ही हम बंदी युवक को छुड़ाकर थाने ले जाने लगे, भीड़ ने उसी समय उसे पुलिस से छीन लिया. लेकिन बाद में उस युवक को मानसा अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है."
ग्रामीणों के अनुसार, कुछ दिन पहले एक ज़मींदार परिवार के युवक लवप्रीत सिंह और बिट्टा सिंह के बीच झगड़ा हो गया था. पंजाब के अन्य गाँवों की तरह यह गाँव भी कई हिस्सों में बंटा हुआ है. गाँव के एक तरफ़ ज़मींदार रहते हैं और दूसरी तरफ़ दलित समुदाय के लोग .
दलित इलाक़े में रहने वाले एक दुकानदार बूटा सिंह के अनुसार, एक ज़मींदार परिवार ने दलितों को डेरे में प्रवेश करने से कथित तौर पर रोका था.
वे कहते हैं, "हम इसका लगातार विरोध कर रहे थे, क्योंकि यह पूजा स्थल सभी वर्गों के लिए आम है. इस पर नाराज़गी और आक्रोश बढ़ रहा था और फिर यह घटना हो गई. हम पुलिस के पास गए थे, लेकिन वहां हमें न्याय देने के बजाय पुलिस ने हम पर ही केस कर दिया. अब हमारे पास संघर्ष करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं."
पुलिस अधिकारी अमरीक सिंह के अनुसार, इस मामले में तीन अज्ञात लोगों के अलावा आठ लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा, "इस घटना का दलितों या जाटों से कोई लेना-देना नहीं है. कुछ दलित युवकों ने पहले से ही चल रहे झगड़े में एक ज़मींदार परिवार के लवप्रीत सिंह के घर में प्रवेश किया और परिवार को पीटने की कोशिश की. हम वहीं मौक़े पर मौजूद थे, जिसके बाद लवप्रीत सिंह की मां रानी कौर के बयानों के आधार पर मामला दर्ज़ किया गया है."

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दूसरे पक्ष का दावा, 'दलित युवक ने किया हमला'
मैं जब गाँव पहुंचा उसी समय भाकपा माले के ज़िला सचिव गुरमीत सिंह नंदगढ़ वहां की धर्मशाला में दलितों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे.
वे कह रहे थे, "दलित युवक को नीम से बांधे जाने का वायरल वीडियो हमारे लिए वर्गीय चुनौती है. दुख की बात है कि पंजाब में एक ऐसा पूंजीपति वर्ग उभरा है, जो लगातार ऐसी घटनाओं को अंज़ाम दे रहा है. हम अधिकारों के लिए लड़ते रहे हैं और लड़ते रहेंगे."
वहीं पंजाब मजदूर मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष भगवंत सिंह समायो ने कहा कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद 26 मई को ही यह मामला चर्चा में आ पाया.
उनके अनुसार, "अमीर लोग दलितों पर अत्याचार करने के इरादे से इस तरह की चीज़ें कर रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. अकाली और कांग्रेस सरकारों के दौरान भी ऐसी कई घटनाएं घटी हैं. अब आम आदमी पार्टी की सरकार में भी यह सिलसिला बरक़रार है. हैरानी की बात है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के बजाय, इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराए गए दलित युवक के ख़िलाफ़ ही मामला दर्ज़ कर लिया गया है."

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दूसरी और ज़मींदार परिवार के लवप्रीत सिंह के मामा बलजिंदर सिंह अपनी बूढ़ी मां के साथ घर में मौजूद थे. पहले तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार किया, लेकिन बाद में बातचीत के लिए राजी हो गए.
बलजिंदर सिंह ने दलित परिवारों के विपरीत एक अलग ही कहानी सुनाई. उन्होंने कहा कि वास्तव में उनके घर पर कुछ दलित युवकों ने हमला कर दिया था.
वे कहते हैं, "बस इतनी सी ही बात है और बाक़ी मौक़े पर पुलिस पहुंच गई थी. हम अपने गाँव में दलित समुदाय से प्यार करते हैं और गाँव में ऐसा कोई भेदभाव नहीं है."
इसी गाँव के निवासी और भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के अध्यक्ष मनजीत सिंह ने बताया कि इस गाँव में दलितों और ज़मींदारों के गुरुद्वारे और श्मशान घाट साझे हैं.

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'हमें न्याय दिया जाए '
उन्होंने कहा, "वीडियो वायरल होने से हमारे गाँव की काफ़ी बदनामी हुई है, जबकि गाँव में ऐसा कुछ नहीं है. पूरा गाँव कोशिश कर रहा है कि किसी आम और साझी जगह पर लोग इकट्ठे हों और दोनों पक्षों के बीच सहमति बन जाए ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना फिर से न हो."
हालांकि, गाँव की गलियों में हर तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ था. लोग जहां भी बैठे थे, वहीं इस घटना की चर्चा कर रहे थे.
जब मैं गांव के कुछ सार्वजनिक जगहों से फोटो ले रहा था तो कई लोगों ने मुझे रोका और फोटो खींचने का कारण पूछा. मैंने उन्हें बताया कि मैं एक पत्रकार हूं और गाँव में क्या हुआ है, इसकी जानकारी जुटा रहा हूं.
इसके बाद, मुझे फिर वही बात सुनने को मिली, "हमारे गांव के सांप्रदायिक सद्भाव को किसी की नज़र लग गई है. हमारा गाँव बिना किसी बात के ही चर्चा में है."
वहीं अस्पताल में इलाज करा रहे बिट्टा सिंह की मां रानी कौर ने कहा, "मेरे बेटे को पीटा गया है. उसे नीम से बांधकर पीटने का वीडियो मोबाइल फोन पर फैलने से मैं परेशान हूं. दूसरा यह कि पुलिस ने मेरे बेटे पर ही केस कर दिया है. अब हम कहां जाएं? हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें न्याय दिया जाए."
पुलिस ने दावा किया है कि जिन व्यक्तियों के ख़िलाफ़ घर में ज़बरदस्ती प्रवेश करने का मामला दर्ज़ किया गया है, उनमें से एक या दो व्यक्तियों के ख़िलाफ़ पहले से ही विभिन्न धाराओं के तहत चार-चार मामले दर्ज़ हैं.

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'हम अमीर नहीं हैं'
लवप्रीत सिंह की मां रानी कौर के मुताबिक़, वे पिछले 17 सालों से विधवा की ज़िंदगी जी रही हैं.
उन्होंने कहा, ''हम सिर्फ चार एकड़ जमीन पर खेती करते हैं और हमारी रोजी-रोटी बहुत ही मुश्किल से चलती है. सोशल मीडिया पर हमें अमीर ज़मींदार बताया गया है, जिसने मुझे और मेरे बेटे को परेशान किया है."
उनके अनुसार, "हम गांव के दलित समुदाय से प्यार करते हैं, लेकिन जो लोग नशे के आदी हैं वे हमारे लिए परेशानी के सबब हैं. हमने अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस में अर्ज़ी दी है. हमारे साथ ग़लत हो रहा है."
गाँव के बाहर बना हुआ यह डेरा, शराब का लंगर चलाए जाने के चलते पहले भी चर्चा में रह चुका है. ग्रामीणों ने बताया कि यहां लोग मन्नत मांगते हैं और दूर-दूर से आने वाले लोग मन्नत पूरी होने के बाद इस डेरे में प्रसाद के तौर पर शराब चढ़ाते हैं.
ग्रामीणों के अनुसार, प्रसाद में चढ़ाई जाने वाली शराब पीने के लिए कुछ ग्रामीण अक्सर डेरे के चक्कर लगाते रहते हैं. डेरे के रास्ते में ही ज़मींदार परिवार का घर है. यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान डेरे में आने वाले युवकों का इस परिवार से झगड़ा होता रहा है.
लवप्रीत सिंह ने कहा कि उन्होंने एक नया ट्रैक्टर ख़रीदा था, जिस पर उन्होंने टेप रिकॉर्डर लगाया था. उनके परिवार ने यह भी बताया कि उन्होंने 2 लाख रुपए का एक ट्रैक्टर ख़रीदा है. इस पर 50 हज़ार रुपए का साउंड सिस्टम लगाया गया है.
उनके अनुसार, "हाँ, यह सच है कि जब मैं गाँव से अपने खेत वाले घर में आ रहा था, तो मेरे ट्रैक्टर पर गाने चल रहे थे, लेकिन जैसे ही कुछ दलित युवकों ने मुझे इन गाना रोकने के लिए कहा. मैंने गाने को बंद कर दिया. इस बात को लेकर आक्रोश फैल गया और बाद में कुछ लोगों ने मुझ पर हमला कर दिया."
लवप्रीत सिंह के मामा गुरसेवक सिंह ने बताया कि उनका भांजा क़रीब 20 दिन पहले ही सरदुलगढ़ से ट्रैक्टर में नया साउंड सिस्टम लगाकर लौट रहा था और उसी दिन झगड़ा हो गया. उन्होंने कहा कि कोई ख़ास गीत नहीं चल रहा थ, थे, केवल साधारण गीत थे लेकिन बड़े साउंड सिस्टम के कारण उनकी आवाज थोड़ी तेज़ थी.

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'मामला भड़काने की कोशिश'
वहीं नाम न छापने की शर्त पर गांव के कुछ जाने माने लोगों ने आरोप लगाया कि कुछ बाहरी लोग इस मामले को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच, पंजाब मजदूर मुक्ति मोर्चा ने एलान किया है कि वो इस दलित परिवार को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष भी कर सकता है.
मोर्चा के नेता भगवंत सिंह सामाओ ने कहा कि अगर पंजाब का न्याय प्रिय वर्ग इस तरह की प्रवृत्ति रोकने के लिए आगे नहीं आता, तो इससे पंजाब के सांप्रदायिक सद्भाव में दरार पड़ सकती है.
वो कहते हैं, "हम नहीं चाहते कि हालात बिगड़े. प्रशासन को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना चाहिए."
उधर पुलिस का कहना है कि उन्हें दोनों पक्षों की शिक़ायतें उनके पास आई हैं और इस मामले की जांच अभी की जा रही है.
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