सोनिया गांधी ने कांग्रेस के 'चिंतन शिविर' में सुझाए बदलाव के ये मंत्र, बीजेपी पर बोला हमला

राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिवसीय 'नव संकल्प चिंतन शिविर' चल रहा है जिसके पहले दिन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी में बदलाव के लिए कुछ सुझाव दिए हैं.

13 से 15 मई तक चलने वाले इस शिविर में सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत देश भर से कांग्रेस के दिग्गज नेता हिस्सा ले रहे हैं.

भारत में 2014 के बाद लोकसभा और विधानसभा के करीब 45 चुनाव हुए हैं जिसमें से कांग्रेस महज़ पांच चुनाव जीत पाई है. साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे तब कांग्रेस की सरकार 9 राज्यों में थी लेकिन अब पार्टी महज दो राज्यों तक सिमट गई है.

इन नतीजों ने कांग्रेस की विश्वसनीयता और नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर दिया है. ये सवाल बाहर से नहीं बल्कि पार्टी के अंदर से ही उठाए गए.

अब चिंतन शिवर में पार्टी के आंतरिक मुद्दों, संगठन को मजबूत करने और भविष्य की राजनीति को लेकर कांग्रेस पार्टी विचार विमर्श कर रही है. इस 'नव संकल्प चिंतन शिविर' के पीछे आने वाले चुनाव हैं.

इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव है जबकि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. ऐसे में कांग्रेस का लंबे समय के बाद ये चिंतन शिविर काफी अहम माना जा रहा है.

"अल्पसंख्यकों के साथ क्रूर व्यवहार"

'नव संकल्प चिंतन शिविर' में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोगों से कर्ज उतारने की अपील की है. उन्होंने कहा, "हमारे लंबे और सुनहरे इतिहास में आज एक ऐसा समय आया है जब हमें अपनी निजी आकांक्षाओं को संगठन के हितों के अधीन रखना होगा. पार्टी ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है. अब कर्ज उतारने का समय है. मैं समझती हूं इससे आवश्यक और कुछ नहीं है"

सोनिया गांधी ने बीजेपी और पीएम मोदी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने बीजेपी पर अल्पसंख्यकों के साथ क्रूर व्यवहार करने और महात्मा गांधी के हत्यारों को महिमामंडित करने का आरोप लगाया.

सोनिया गांधी ने कहा, ''अब ये पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि पीएम मोदी और उनके सहयोगियों का ''अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार'' के नारे का असल मतलब क्या है. इसका मतलब है देश को हमेशा ध्रुवीकरण की स्थिति में रखना, लोगों को हमेशा डर और असुरक्षा में रहने के लिए मजबूर करना, हमारे समाज के अभिन्न अंग और हमारे गणतंत्र के समान नागरिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करना और क्रूरता के साथ उन्हें निशाना बनाना.''

उन्होंने कहा कि इसका मतलब है महात्मा गांधी के हत्यारों को महिमामंडित करना. न्याय, उदारता, समानता और धर्मनिरपेक्षता के हमारे संविधान के स्तंभों को खुले तौर पर नकारना.

जवाहरलाल नेहरू को लेकर क्या कहा

सोनिया गांधी ने बीजेपी पर राजनीतिक विरोधियों को धमकाने और देश में डर का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीतियों का मतलब लोगों को बाँटना और एकता और विभिन्नता के विचार को ख़त्म करना है. साथ ही राजनीतिक विरोधियों को धमकाना, उनकी छवि ख़राब करना, छोटी-छोटी बातों के लिए जेल में डालना और उनके ख़िलाफ़ जाँच एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल करना है. इसका मतलब है लोकतंत्र की सभी संस्थाओं की स्वतंत्रता को ख़त्म करना. हमारे नेताओं, ख़ासतौर पर जवाहरलाल नेहरू का लगातार अपमान करना. उनके योगदान, उपलब्धियों और त्याग को व्यवस्थित तरीक़े से नकारते जाना.

सोनिया गांधी ने पार्टी में सख्त जरूरी बदलावों की बात भी की. उन्होंने कहा, "हर संगठन को ना केवल जीवित रहने के लिए बल्कि बदलने के लिए समय समय पर अपने अंदर परिवर्तन लाने होते हैं. हमें सुधारों की सख्त जरूरत है. रणनीति में बदलाव, सुधार और रोजाना काम करने के तरीके में परिवर्तन की जरूरत है. इसके लिए हमें सामूहिक प्रयास करना होगा"

सोनिया गांधी ने चुनावों में लगातार मिल रही हार पर भी बात की. उन्होंने कहा, "हाल ही में मिली नाकामयाबियों से हम बेखबर नहीं हैं. लोगों की हमसे जो उम्मीदें है उनसे हम अनजान नहीं हैं. व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से प्रण लेने के लिए एकत्रित हुए हैं कि देश की राजनीति में अपनी पार्टी को उसी भूमिका में लाएंगे जो भूमिका पार्टी ने सदैव निभाई है."

'नव संकल्प चिंतन शिविर' में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मंच से भाषण दिया. उन्होंने खासकर देश में हो रहे दंगे और हिंसा पर बात की. उन्होंने बिना नाम लिए इसके लिए बीजेपी का जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, "ऐसे फासिस्ट लोग धर्म के नाम पर काबिज हो गए हैं, जो आसान काम है. धर्म जाति एक ऐसी चीज है जिसे लेकर आप दंगे और हिंसा कर सकते हो, ये हो रहा है. राजस्थान तो टारगेट नंबर वन है. जहां जहां चुनाव आते हैं वहां वहां ये टारगेट बना लेते हैं."

एक परिवार एक टिकट

बीजेपी हमेशा कांग्रेस पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगाती है. पीएम मोदी अपनी चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को बार बार उछालते हैं.

इस मुद्दे पर भी कांग्रेस के तीन दिवसीय 'नव संकल्प चिंतन शिविर' में चर्चा हो रही है. कांग्रेस के नेता अजय माकन का कहना है, "एक परिवार एक टिकट को लेकर चर्चा हुई है. और उसे लेकर एक मत बन रहा है कि एक परिवार के लिए एक टिकट का प्रावधान होना चाहिए. इसमें बदलाव तभी हो जब परिवार का दूसरा व्यक्ति कम से कम पांच साल संगठन में दे. ऐसा ना हो कि किसी पुराने नेता का बेटा या रिश्तेदार सीधा आकर चुनाव लड़ ले. फिलहाल इस पर चर्चा हो रही है"

इसके साथ पार्टी में 50 प्रतिशत युवाओं की भागीदारी पर भी बात हो रही है.

इस 'नव संकल्प चिंतन शिविर' के जरिए कांग्रेस पार्टी फिर से जान फूंकने की कोशिश कर रही है.

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